होली और सियासत के बीच का रिश्ता अनूठा है। मुगलिया शहंशाह और ब्रिटिश हुक्मरान तक इससे अछूते नहीं रहे। उत्सव का लुत्फ इन्होंने भी उठाया। आजादी के बाद होली दरबारों से निकलकर प्रधानमंत्री आवास तक पहुंची। देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने होली पर अपने आवास तीन मूर्ति भवन का दरवाजा हर आम और खास के लिए खोल दिया था। प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और अटल बिहारी वाजपेयी ने भी होली दिल्ली वालों के साथ मनाई। चुनावी साल में होली और सियासत के और भी गहरे व दिलचस्प संयोग में पेश है दिल्ली में नेताओं की होली के मजेदार किस्से। सुना रहे हैं संतोष कुमार …
अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ. कैनेडी की पत्नी जैकलीन को पीएम नेहरू ने लगाया था गुलाल
तीन मूर्ति भवन पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का आवास था। तब होली के दिन इस भवन को आम लोगों के लिए खोल दिया जाता था। नेहरू गुलाल लगाते और लगवाते थे। अब की तरह सुरक्षा नियम सख्त न होने से हजारों लोग तीन मूर्ति के लॉन में पहुंचते और सभी के साथ नेहरू के साथ होली खेलते थे। एक दिलचस्प वाकया अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ. कैनेडी की पत्नी जैकलीन के साथ का है। तत्कालीन राजनयिक बीके नेहरू अपनी आत्मकथा ‘नाइस गाइज फिनिश सेकेंड’ में लिखते हैं, 1962 में कैनेडी की पत्नी जैकलीन नौ दिनों की निजी यात्रा पर भारत पहुंची थीं। जिस दिन उनकी यहां से वापसी थी, उसी दिन होली थी। जाने से पहले वह जवाहर लाल नेहरू को अलविदा कहने तीन मूर्ति भवन पहुंची। वह हमेशा की तरह फैशनेबल कपड़े पहनीं थीं। वहां मौजूद तत्कालीन अमेरिकी राजदूत गालब्रेथ ने कुर्ता-पायजामा पहन रखा था। बीके नेहरू के मुताबिक, नेहरू होली खेलने के शौकीन थे। जैसे ही जैकलीन तीन मूर्ति भवन पहुंची, उनके सामने चांदी की ट्रे में कई रंगों में गुलाल भरी छोटी-छोटी कटोरियां लाई गईं। नेहरू ने जैकलीन के माथे पर गुलाल का टीका लगाया। उन्होंने भी नेहरू के माथे पर टीका लगा दिया। इंदिरा गांधी ने भी यही किया। रंग गीले नहीं थे, इसलिए थोड़े पानी की मदद से जैकलीन का चेहरा और कपड़े दोनों साफ हो गए। नेहरू ने फिर अमेरिकी राजदूत गालब्रेथ के साथ पालम हवाई अड्डे पर जैकलीन कैनेडी को विदाई दी। देश के पहले प्रधानमंत्री नेहरू के साथ ही प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद भी होली खेलते थे। तीन मूर्ति भवन में होली का यह सिलसिला 1963 तक चलता रहा। 1964 में नेहरू अस्वस्थ थे। उस साल होली वहां हुई नहीं। 27 मई, 1964 को उनके निधन के बाद प्रधानमंत्री आवास में होली खेलना बंद हो गया।
गुजिया से स्वागत करती थीं इंदिरा गांधी
इंदिरा गांधी जब प्रधानमंत्री थीं, तब उनके एक सफदरजंग रोड स्थित सरकार आवास में भी होली खेली जाती थी और आने वाले सभी मेहमानों को गुजिया खिलाई जाती थी। उनके आवास पर होली बहुत शालीनता के साथ मनाई जाती थी। कहते हैं कि जब सोनिया गांधी पहली बार बहू बनकर उनके सामने आईं तो इंदिरा गांधी ने पूछा कि बहू तुम गुजिया बना लेती हो? अब बहू के चेहरे पर परेशानी के बादल छा गए। बेचारी ने गुजिया का नाम तक नहीं सुना था। इस पर इंदिरा गांधी ने तेजी बच्चन को बुलाया और कहा उनको जिम्मेदारी दी कि वह उनकी बहू को गुजिया बनाना सिखाएं। वह इसमें कामयाब भी रहीं। आगे पहले राजीव गांधी और उनके बाद सोनिया गांधी के घर भी होली खेली जाती है। बहुत से कांग्रेसी उनके आवास पर पहुंचते। उस दिन गुजिया परोसी जाती।
जब वाजपेयी के साथ मोदी ने खेली होली
अटल बिहारी जब देश के प्रधानमंत्री बने, तो काफी लोग उन्हें गुलाल लगाने जाते थे। होली के दिन कोई भी व्यक्ति प्रधानमंत्री के आवास पर जाकर उनको गुलाल लगा सकता था। वह खुद गुजिया, मिठाई व ठंडाई का इंतजाम करते थे। ढोल की थाप पर फाग गाती टोलियां प्रधानमंत्री आवास पहुंचती और सब मिलकर होली खेलते। एक वाकया मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ का भी है। बात 1999 की है। प्रधानमंत्री रहते हुए वाजपेयी ने अपने आवास पर होली मिलन कार्यक्रम रखा। इसमें सरकार में सहयोगियों के अलावा बीजेपी के तमाम बड़े नेता शामिल हुए थे। इसमें मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मौजूद रहे। ढोल की थाप पर तत्कालीन पीएम वाजपेयी और मौजूदा पीएम मोदी खूब थिरके और एक-दूसरे को रंग लगाया। मौके पर तत्कालीन केंद्रीय मंत्री विजय गोयल भी मौजूद थे।
चांदनी चौक की होली, दिल्ली के नेता करते थे शिरकत
पुरानी दिल्ली की गलियों की होली मशहूर है। इसमें सत्ता पक्ष-विपक्ष से परे जाकर सभी एक-दूसरे से मिलकर होली की शुभकामनाएं देते थे।। मोती बाजार, गली परांठे वाली, मालोवाड़ा, भागीरथ पैलेस समेत दूसरे जगहों पर होली के दिन मस्ती होती थी। होली का एक दिलचस्प खेल ऊपरी मंजिल से टोपी खींचने का था। इसमें घरों की ऊपरी मंजिलों से डोरी लगाई जाती थी। डोरी में कपड़े सुखाने वाली चिमटी लगी होती। गमी में से गुजरते लोगों की इसके सहारे टोपियां ऊपर खींच ली जाती और बच्चे शोर मचाते हुए होली की बधाई देते।
कांग्रेस नेता राम चरण अग्रवाल के किनारी बाजार के नौघरा स्थित घर पर हर दल का नेता पहुंचता। इसमें अरुणा आसफ अली, मीर मुश्ताक अहमद, कुंदन लाल शर्मा, लाला दरोगा मल समेत दूसरे कई लोग होते। सब मिलकर होली खेलते। भाजपा नेता विजय गोयल के यहां भी होली मनाई जाती थी।
भागीरथ पैलेस की होली मशहूर थी। पूर्व सांसद एचकेएल भगत समेत इसमें कई नेता भी शामिल होते। इसमें फूल माला पहनाकर नेताओं को गधे पर बैठाकर घुमाया जाता था। चांदनी चौक की गलियों में इस दौरान तांगों को जुलूस भी निकलता था। मदन लाल खुराना, साहिब सिंह वर्मा, सुषमा स्वराज, अरुण जेटली, शीला दीक्षित के घर भी होली मनाई जाती थी। नेताओं के बीच होली का अलग अनुभव था। पानी गरम करना, टेसू के फूल का रंग, गुलाल का टीका, गुजिया, भल्ले, चाट, ठंडा दूध, यह सब होता। बड़ों की इस होली में सादगी और नफासत दोनों थी। अलग-अलग दलों के नेता अपने-अपने दलों के राष्ट्रीय व प्रदेश स्तरीय नेताओं के आवास पर जाते और टीका लगाकर होली खेलते।
आडवाणी के घर नेता बनते थे काला भूत
पूर्व उपप्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी के यहां पानी से होली खेली जाती थी। उनके आवास पर इसमें पानी का हौद बनाया जाता और जो भी नेता उनके घर पहुंचता, उसको पानी में डुबो दिया जाता था। आडवाणी के यहां लोगों को काला भूत भी बनाया जाता था। इसमें चेहरे पर इस कदर काला रंग पोत दिया जाता था कि पहचान कर पाना मुश्किल होता। दूसरी तरफ राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने अपनी होली अलग अंदाज में मनाई। वह अपनी होली मानसिक तौर पर कमजोर बच्चों के साथ मनाते। इसमें रंग और गुलाल की जगह फूलों का लेन-देन होता। केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के दिल्ली स्थित सरकारी आवास पर भी होली उत्साह के साथ मनाई जाती है। गुलाल और खाने-पीने का दौर चलता है। गाना-बजाना होता है। इस मौके पर काफी लोग उनके आवास पर जाकर होली का आनंद लेते हैं।
(नोट: पूर्व केंद्रीय मंत्री विजय गोयल, भाजपा नेता हरीश खुराना, प्रवीण शंकर कपूर, कांग्रेस नेता जेपी अग्रवाल, मतीन अहमद, समाजसेवी धर्मेंद्र गुप्ता, चांदनी चौक के कारोबारी जगमोहन गोटेवाल, अभिषेक गुप्ता से मिले इनपुट पर आधारित)