राजस्थान
– फोटो : साेशल मीडिया
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जल जीवन मिशन घोटाले को लेकर ईडी की 10 टीमों ने पांच लोगों के ठिकानों पर छापेमारी की कार्रवाई शुरू की। इसी कड़ी में पूर्व मंत्री महेश जोशी समेत जलदाय विभाग के दो अधिकारियों और दो ठेकेदारों के ठिकानों पर भी छापेमारी की गई। इसके अलावा डूंगरपुर और बांसवाड़ा में भी कार्रवाई किए जाने की जानकारी मिली है। पूर्व मंत्री व ठेकेदारों के अलावा विभाग के पूर्व एसीएस सुबोध अग्रवाल का नाम भी घोटाले में है।
हाल में राजस्थान हाईकोर्ट ने भी इस मामले को लेकर सरकार से कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी थी। जानकारी के मुताबिक ईडी के पास महेश जोशी और जलदाय विभाग के अधिकारियों और ठेकेदारों के खिलाफ पुख्ता सबूत हैं। इस आधार पर ईडी की टीम महेश जोशी को पूछताछ के लिए ईडी मुख्यालय आने का नोटिस भी दे सकती है।
घोटाले के संबंध में बड़ी राशि के फर्जी बिल ईडी के हाथ लगे हैं। इन्हीं बिलों को लेकर टीम विभाग के दोनों जिम्मेदार अधिकारियों और ठेकेदारों से बात कर रही है।
क्या है मामला
जल जीवन मिशन में गणपति ट्यूबवेल और श्री श्याम कृपा ट्यूबवेल कंपनी ने भारत सरकार के उपक्रम इरकॉन इंटरनेशनल लिमिटेड के फर्जी कंप्लेशन सर्टिफिकेट प्रस्तुत करके करीब 900 करोड़ रुपये के टेंडर प्राप्त कर लिए। इस बारे में इरकॉन इंटरनेशनल लिमिटेड ने जल जीवन मिशन के अतिरिक्त मुख्य अभियंता को दो बार पत्र भी लिखे कि फर्जी दस्तावेजों आधार पर कंपनियों ने 900 करोड़ रुपए प्राप्त किए हैं लेकिन तत्कालीन गहलोत सरकार में विभाग के एसीएस सुबोध अग्रवाल व पीएचईडी मंत्री महेश जोशी ने मामले में कोई कार्रवाई नहीं की।
पब्लिक अगेंस्ट करप्शन संस्था की ओर से इस मामले में जांच के लिए हाईकोर्ट में पीआईएल भी दायर की जा चुकी है, जिस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने सरकार से कार्रवाई रिपोर्ट भी मांगी थी।
राजस्थान हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की तरफ से उपस्थित अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल आर.डी. रस्तोगी ने भी कोर्ट को बताया था कि यह एक बहुत बड़ा घोटाला है, जिसमें राजस्थान सरकार के प्रमुख सचिव तक कि संलिप्तता पता चली है। उक्त संदर्भित मामले के आधार पर प्रवर्तन निदेशालय ने कार्रवाई की है |
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