प्रतीकात्मक तस्वीर
– फोटो : instagram
विस्तार
एम्स में गामा नाइफ से आंखों में होने वाले कैंसर पर वार कर रोशनी को सुरक्षित बचाया गया। पिछले ढाई साल में इस तकनीक की मदद से संस्थान के डॉक्टरों ने 15 मरीजों का इलाज किया है और सभी के परिणाम बेहतर मिले। अभी तक ट्यूमर को निकालने के लिए सर्जरी करनी पड़ती थी। इस सर्जरी में ट्यूमर के साथ आंख को भी निकालना पड़ता था, जिस कारण उक्त मरीज की स्थायी रूप से रोशनी भी चली जाती थी। नई तकनीकी से इस समस्या से स्थाई रूप से छुटकारा मिल रहा है।
विशेषज्ञों का कहना है कि आंखों की रोशनी को बचाने के लिए एम्स के नेत्र विज्ञान विभाग ने न्यूरोलॉजी विभाग के साथ मिलकर आंखों के कैंसर (यूवेल मेलेनोमा) के इलाज के लिए गामा नाइफ रेडियो सर्जरी की शुरुआत की। इसमें 30 मिनट में ट्यूमर पर 0.1 मिली मीटर की सटीकता के साथ गामा किरणें दी गई। जो एक बार में ही ट्यूमर का इलाज कर देती है। मरीज को इलाज देकर उसी दिन छुट्टी भी कर दी जाती है। जिस कारण मरीजों की इलाज की गति बढ़ेगी और इंतजार कम होगा।
एम्स के डॉ. आर पी सेंटर की प्रोफेसर डॉ. भावना चावला ने कहा कि एम्स ने पिछले ढाई साल में 15 मरीजों का इस तकनीक से इलाज किया। इसमें सबसे छोटा मरीज 14 साल का था। सभी मरीजों पर परिणाम बेहतर मिले हैं। इस आधुनिक तकनीक की मदद से रोशनी को बचाया जा सकता है। यह मरीज के लिए काफी राहत की बात है। अभी तक सामान्य सर्जरी में रौशनी चली जाती थी।
इन्हें होने का खतरा
– गोरा चेहरा
– भूरी आंखें
– आंखों में तिल
– पराबैंगनी किरणों का प्रभाव
#Eye #Cancer #Gamma #Knife #Attacks #Eye #Cancer #Vision #Remains #Intact #Amar #Ujala #Hindi #News #Live