Notes in Hindi – Indian Histroy - प्राचीन भारत - शैव धर्म - वैष्णव धर्म

Notes in Hindi for Competitive Exams – Indian Histroy - प्राचीन भारत – 6 - शैव वैष्णव धर्म

Notes in Hindi – Indian Histroy – प्राचीन भारत – शैव धर्म – वैष्णव धर्म

History in Hindi

प्राचीन भारत (Ancient India)

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शैव धर्म

Notes in Hindi – Indian Histroy – प्राचीन भारत – शैव धर्म – वैष्णव धर्म

  • भगवान शिव की पूजा करनेवालों को शैव एवं शिव से संबंधित धर्म को शैवधर्म कहा गया है ।
  • शिवलिंग – उपासना का प्रारंभिक पुरातात्त्विक साक्ष्य हड़प्पा संस्कृति के अवशेषों से मिलता है ।
  • ऋग्वेद में शिव के लिए ‘ रुद्र ‘ नामक देवता का उल्लेख है ।
  • अथर्ववेद में शिव को भव , शर्व , पशुपति एवं भूपति कहा गया है ।
  • लिंग – पूजा का पहला स्पष्ट वर्णन मत्स्यपुराण में मिलता है । महाभारत के अनुशासन पर्व से भी लिंग – पूजा का वर्णन मिलता है ।
  • वामन पुराण ‘ में शैव सम्प्रदाय की संख्या चार राम्प्रदाय संस्थापक बतायी गयी है । ये हैं- ( i ) पाशुपत , ( ii ) कापालिक ( iii ) कालामुख , ( iv ) लिंगायत ।
  • पाशुपत सम्प्रदाय शैवों का सर्वाधिक प्राचीन सम्प्रदाय है । इसके संस्थापक लकुलीश थे । जिन्हें भगवान शिव के 18 अवतारों में से एक माना जाता है ।
  • पाशुपत सम्प्रदाय के अनुयायियों को पंचार्थिक कहा गया है । इस मत का प्रमुख सैद्धान्तिक ग्रंथ पाशुपत सूत्र है । श्रीकर पंडित एक विख्यात पाशुपत आचार्य थे ।
  • कापालिक सम्प्रदाय के ईष्टदेव भैरव थे । इस सम्प्रदाय का प्रमुख केन्द्र श्री शैल नामक स्थान था ।
  • कालामुख सम्प्रदाय के अनुयायिओं को शिव पुराण में महाव्रतधर कहा गया है । इस सम्प्रदाय के लोग नर – कपाल में ही भोजन , जल तथा सुरापान करते हैं और साथ ही अपने शरीर पर चिता की भस्म मलते हैं ।
  • लिंगायत सम्प्रदाय दक्षिण में प्रचलित था । इन्हें जंगम भी कहा जाता था । इस सम्प्रदाय के लोग शिव लिंग की उपासना करते थे ।
  • बसव पुराण में लिंगायत सम्प्रदाय के प्रवर्तक अल्लभ प्रभु तथा उनके शिष्य बासव को बताया गया है । इस सम्प्रदाय को वीरशिव सम्प्रदाय भी कहा जाता है ।
  • दसवीं शताब्दी में मत्येन्द्रनाथ ने नाथ सम्प्रदाय की स्थापना की । इस सम्प्रदाय का व्यापक प्रचार – प्रसार बाबा गोरखनाथ के समय में हुआ ।
  • दक्षिण भारत में शैवधर्म चालुक्य , राष्ट्रकूट , पल्लव एवं चोलों के समय लोकप्रिय रहा ।
  • पल्लव काल में शैव धर्म का प्रचार प्रसार नायनारों द्वारा किया गया । नायनार सन्तों की संख्या 63 बताई गयी है जिनमें अपार , तिरुज्ञान , सम्बन्दर एवं सुन्दर मूर्ति आदि के नाम उल्लेखनीय है । >
  • ऐलोरा के प्रसिद्ध कैलाश मंदिर का निर्माण राष्ट्रकूटों ने करवाया ।
  • चोल शासक राजराज प्रथम ने तंजौर में प्रसिद्ध राजराजेश्वर शैव मंदिर का निर्माण करवाया , जिसे बृहदीश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है ।
  • कुषाण शासकों की मुद्राओं पर शिव एवं नन्दी का एक साथ अंकन प्राप्त होता है ।

Notes in Hindi – Indian Histroy – प्राचीन भारत – शैव धर्म – वैष्णव धर्म

वैष्णव धर्म

  • वैष्णव धर्म के विषय में प्रारंभिक जानकारी उपनिषदों से मिलती है । इसका विकास भगवत धर्म से हुआ ।
  • वैष्णव धर्म के प्रवर्तक कृष्ण थे , जो वृषण कबीले के थे और जिनका निवास स्थान मथुरा था ।
  • कृष्ण का उल्लेख सर्वप्रथम छांदोग्य उपनिषद् में देवकी पुत्र और अंगिरस के शिष्य के रूप में हुआ है ।
  • विष्णु के दस अवतारों का उल्लेख मल्यपुराण में मिलता है । दस अवतार इस प्रकार हैं – मत्स्य , कूर्म , वराह , नृसिंह , वामन , परशुराम , राम , बलराम , बुद्ध एवं कल्कि
  • वैष्णव धर्म में ईश्वर को प्राप्त करने के लिए सर्वाधिक महत्त्व भक्ति को दिया गया है ।

Notes in Hindi – Indian Histroy – प्राचीन भारत – शैव धर्म – वैष्णव धर्म

प्रमुख सम्प्रदाय , मत एवं आचार्य

प्रमुख सम्प्रदाय

मत 

आचार्य

वैष्णव सम्प्रदाय

विशिष्टाद्वैत

रामानुज

ब्रह्म सम्प्रदाय

द्वैत

जानन्दतीर्थ

रुद्र सम्प्रदाय

शुद्धाद्वैत

वल्लभाचार्य

सनक सम्प्रदाय

द्वैताद्वैत

निम्बार्क

प्रमुख सम्प्रदाय संस्थापक एवं पुस्तक
प्रमुख सम्प्रदाय संस्थापक पुस्तक
बरकरी नामदेव
श्रीवैष्णव रामानुज ब्रह्मसूत्र
परमार्थ रामदास दासबोध
रामभक्त रामानन्द अध्यात्म रामायण
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