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Notes in Hindi – Indian Constitution – भारतीय संविधान- संघीय कार्यपालिका – राष्ट्रपति

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Notes in Hindi – Indian Constitution – भारतीय संविधान- संघीय कार्यपालिका – राष्ट्रपति

Indian Constitution in Hindi

संघीय कार्यपालिका – राष्ट्रपति

                                                                                                                                      

भारतीय संविधान – संघीय कार्यपालिका

Notes in Hindi – Indian Constitution – भारतीय संविधान- संघीय कार्यपालिका – राष्ट्रपति

  • भारतीय संघ की कार्यपालिका शक्ति राष्ट्रपति में निहित है ।
  • भारत में संसदीय व्यवस्था को अपनाया गया है । अतः राष्ट्रपति नाममात्र की कार्यपालिका है तथा प्रधानमंत्री तथा उसका मंत्रिमंडल वास्तविक कार्यपालिका है ।

राष्ट्रपति

  • राष्ट्रपति देश का संवैधानिक नाम प्रधान होता । 
  • राष्ट्रपति भारत का प्रथम   नागरिक कहलाता है

राष्ट्रपति-पद की योग्यता –

    • संविधान के अनुच्छेद 58 के अनुसार कोई व्यक्ति राष्ट्रपति  होने योग्य तब होगा , जब  वह
    1. भारत का नागरिक हो ।
    2. 35 वर्ष की आयु पूरी कर चूका हो |
    3. लोक सभा का सदस्य निर्वाचित किए जाने योग्य हो |
    4. चुनाव के समय लाभ का पद धारण नहीं करता

नोट : यदि व्यक्ति राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति के पद पर हो या संघ अथवा किसी राज्य की मंत्रिपरिषद का सदस्य हो तो वह लाभ का पद नही माना जाएगा ।

भारत के राष्ट्रपति
राष्ट्रपति कार्यकाल 
1 डॉ ० राजेन्द्र प्रसाद 26.01.1950-13.05.1962
2 डॉ ० एस.राधाकृष्णन 13.05.1962-13.05.1967
3 डॉ . जाकिर हुसैन 13.05.1967-03.05.1969
4 वी ० वी ० गिरि 24.08.1969-24.08.1974
5 फखरूद्दीन अली अहमद 24.08.1974 11.02.1977
6 नीलम संजीव रेडी 25.07.1977-25.07.1982
7 ज्ञानी जैल सिंह 25.07.1982-25.07.1987
8 आर ० वैकटरमण 25.07.1987-25.07.1992
9 डॉ ० शकर दयाल शर्मा 25.07.1992-25.07.1997
10 के ० आर ० नारायण 25.07.1997-25.07.2002
11 डॉ ० ए ० पी ० जे ० अब्दुल कलाम 25.07.2002-25.07.2007
12 प्रतिभा पाटिल 25.07.2007 – 25.07.2012 
13 प्रणव मुखर्जी  25.07.2012 – 25.07.2017 
14 राम नाथ कोविंद  25.07.2017 —



नोट : वी ० वी ० गिरि 3 मई , 1969 से 20 जुलाई , 1969 तक , न्यायमूर्ति मुहम्मद हिदायतुल्ला 20 जुलाई , 1969 से 24 अगस्त , 1900 तक एवं बी ० डी ० जती 11 फरवरी , 1977 से 25 जुलाई , 1977 तक कार्यवाहक राष्ट्रपति के पद पर रहे ।

  • राष्ट्रपति के निर्वाचन के लिए निर्वाचक मंडल : इसमें राज्य सभा , लोक सभा और राज्यों की विधान सभाओं के निर्वाचित सदस्य रहते हैं । नवीनतम व्यवस्था के अनुसार पाडिचेरी विधान सभा तथा दिल्ली की विधान सभा के निर्वाचित सदस्य को भी सम्मिलित किया गया है ।
  • राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए निर्वाचक मंडल के 50 सदस्य प्रस्तावक तथा 50 सदस्य अनुमोदक होते है ।
  • एक ही व्यक्ति जितनी बार चाहे राष्ट्रपति के पद पर निर्वाचित हो सकता है । 
  • राष्ट्रपति का निर्वाचन समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली और एकल संक्रमणीय मत पद्धति के द्वारा होता है ।
  • राष्ट्रपति के निर्वाचन से संबंधित विवादों का निपटारा उच्चतम न्यायालय द्वारा किया जाता है । निर्वाचन अवैध घोषित होने पर उसके द्वारा किए गए कार्य अवैध नहीं होते हैं ।

  • राष्ट्रपति अपने पद ग्रहण की तिथि से पाँच वर्ष की अवधि तक पद धारण करेगा । अपने पद की समाप्ति के बाद भी वह पद पर तब तक बना रहेगा जब तक उसका उत्तराधिकारी ग्रहण नहीं कर लेता है । 

  • पद धारण करने से पूर्व राष्ट्रपति को एक निर्धारित प्रपत्र पर भारत के मुख्य न्यायाधीश अथवा उनकी अनुपस्थिति में उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीश के सम्मुख शपथ लेनी पड़ती है ।

  • राष्ट्रपति निम्न दशाओं में पाँच वर्ष से पहले भी पद त्याग सकता है :

    • ( i ) उपराष्ट्रपति को संबोधित अपने त्यागपत्र द्वारा ।
    • ( ii ) महाभियोग द्वारा हटाए जाने पर ( अनुच्छेद 56 एवं 61 ) । महाभियोग के लिए केवल एक ही आधार है, जो अनुच्छेद 61 ( 1 ) में उल्लेखित है . वह है संविधान का अतिक्रमण
  • राष्ट्रपति पर महाभियोग : राष्ट्रपति द्वारा संविधान के प्रावधानों के उल्लंघन पर संसद के किसी सदन द्वारा उस पर महाभियोग लगाया जा सकता है , परन्तु इसके लिए आवश्यक है , कि राष्ट्रपति को 14 दिन पहले लिखित सूचना दी जाए , जिस पर उस सदन के एक चौथाई सदस्यों के हस्ताक्षर हो । संसद के उस सदन , जिसमें महाभियोग का प्रस्ताव पेश है . के दो तिहाई सदस्यों द्वारा पारित कर देने पर प्रस्ताव दूसरे सदन में जाएगा , तब दूसरा सदन राष्ट्रपति पर लगाए गए आरोपों की जाँच करेगा या कराएगा और ऐसी जाँच में राष्ट्रपति के ऊपर लगाए गए आरोपों को सिद्ध करने वाला प्रस्ताव दो तिहाई बहुमत से पारित हो जाता है , तब राष्ट्रपति पर महाभियोग की प्रक्रिया पूरी समझी जाएगी और उसी तिथि से राष्ट्रपति को पदत्याग करना होगा ।
  • राष्ट्रपति की रिक्ति को छह महीने के अन्दर भरना होता है ।
  • जब राष्ट्रपति पद की रिक्ति पदावधि ( पाँच वर्ष ) की समाप्ति से हुई है , तो निर्वाचन पदावधि की समाप्ति के पहले ही कर लिया जाएगा [ अनुच्छेद 62(1)] किन्तु यदि उसे पूरा करने में कोई विलंब हो जाता है , तो ” राज अंतराल “ न होने पाए इसीलिए यह उपबंध है कि राष्ट्रपति अपने पद की अवधि समाप्त हो जाने पर भी तब तक पद पर बना रहेगा , जय तक उसका उत्तराधिकारी पद धारण नहीं कर लेता है [ अनुच्छेद 56 ( 1 ) ग ] । ऐसी दशा में उपराष्ट्रपति , राष्ट्रपति के रूप में कार्य नहीं कर सकेगा ।

राष्ट्रपति के वेतन एवं भत्ते :-

  • 2017 तक उनको सिर्फ 1.50 लाख रुपये मासिक वेतन मिलता था जो वरिष्ठ नौकरशाह के वेतन से भी काफी कम था। 2017 में इसे बढ़ाकर 5 लाख रुपये प्रति महीने किया गया। वेतन के अलावा राष्ट्रपति को अन्य भत्ते भी मिलते हैं जिनमें मुफ्त चिकित्सा, आवास और उपचार सुविधा (जीवन भर) शामिल हैं। 
  • राष्ट्रपति के मौजूदा वेतन और भत्तों की सूची इस तरह से है…

1. उनको हर महीने 5 लाख रुपये सैलरी मिलती है। इस रकम पर टैक्स नहीं लगता है।
2. उनको मुफ्त चिकित्सा सुविधा और आवास मिलते हैं।
4. राष्ट्रपति के जीवनसाथी को भी हर महीने 30,000 रुपये सेक्रटेरियल असिस्टेंस के तौर पर मिलता है।

रिटायरमेंट के बाद:- 

1. उनको हर महीने 1.5 लाख रुपये पेंशन मिलता है।
2. राष्ट्रपतियों के जीवनसाथियों को हर महीने 30,000 रुपये सेक्रटेरियल असिस्टेंस के तौर पर मिलता है।
3. एक फर्निश्ड रेंट फ्री बंगला
4. दो फ्री लैंडलाइन और एक मोबाइल फोन
5. स्टाफ खर्च के लिए हर साल 60,000 रुपये
6. रेल या विमान से यात्रा फ्री। एक आदमी को साथ भी ले जा सकते हैं।

राष्ट्रपति के अधिकार एवं कर्तव्य :

  • नियुक्ति सम्बन्धी अधिकार : राष्ट्रपति निम्न की नियुक्ति करता है:

( 1 ) भारत का प्रधानमंत्री  ( 2 ) प्रधानमंत्री की सलाह पर मंत्रिपरिषद के अन्य सदस्यों , ( 3 ) सर्वोच्च एवं उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीशों , ( 4 ) भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक , ( 5 ) राज्यों के राज्यपाल , ( 6 ) मुख्य चुनाव आयुक्त एवं अन्य चुनाव आयुक्त ( 7 ) भारत के महान्यायवादी , ( 8 ) राज्यों के मध्य समन्वय के लिए अन्तर्राज्यीय परिषद् के सदस्य , ( 9 ) संघीय लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और अन्य सदस्यों , ( 10 ) संघीय क्षेत्रों के मुख्य आयुक्तों , ( 11 ) वित्त आयोग के सदस्यों , ( 12 ) भाषा आयोग के सदस्यों , ( 13 ) पिण्डा वर्ग आयोग के सदस्यों , ( 14 ) अल्पसंख्यक आयोग के सदस्यों , ( 15 ) भारत के राजदूतो तथा अन्य राजनयिकों , ( 16 ) अनुसूचित क्षेत्रों के प्रशासन के संबंध में रिपोर्ट देने वाले आयोग के सदस्यों आदि ।

Notes in Hindi – Indian Constitution – भारतीय संविधान- संघीय कार्यपालिका – राष्ट्रपति

  1. संसद सदस्‍य के मनोनयन का अधिकार (Right to nominate member of parliament)
    • जब राष्‍ट्रपति को यह लगे कि लोकसभा में आंग्‍ला भारतीय समुुुदाय के व्‍यक्ति का समुचित प्रतिनिधित्‍व नहीं है तो वह उस समुदाय के दो व्‍यक्तियों को लोकसभा के सदस्‍य के रूप मेें मानोनीत कर सकते हैं इसी प्रकार वह कला, साहित्‍य, पत्रकारिता, विज्ञान, आदि में पर्याप्‍त अनुभव रखने वाले 12 व्‍यक्तियों को राज्‍यसभा में मनोनीत कर सकते हैं
  2. अध्‍यादेश जारी करने का अधिकार (Right to issue ordinance)
    • जब संसद के दोंनों सदन सत्र में नहीं होते हैं तब सविधान के अनुच्‍छेद 123 तहत राष्‍ट्रपति अध्‍यादेश जारी कर सकते हैं जिसका प्रभाव संसद सत्र के शुरू होने के छ: सप्‍ताह तक रहता है
  3. राजनैतिक शक्‍ति (Political power)
    • दूसरे देशों के साथ कोई भी समझौता या संधि राष्‍ट्रपति के नाम से की जाती है राष्‍ट्रपति विदेशों के लिए भारतीय राजदूतों की भी नियुक्ति करते हैं
  4. क्षमादान की शक्ति (Power of clemency)
    • राष्‍ट्रपति को संविधान के अनुच्‍छेद 72 के तहत किसी भी व्‍यक्ति के दंड को क्षमा करने की शक्ति प्राप्‍त है या उसकी सजा को कम करने का अधिकार है अगर राष्‍ट्रपति में एक बार याचिका रद्द कर दी हो तो दूसरी बार याचिका दायर नहीं की जा सकती है
  5. राष्‍ट्रपति की आपातकालीन शक्तियाँ (Presidential Emergency Powers)
    • भारतीय संविधान के अनुच्‍छेद 352 से लेकर 362 तक आपातकाल से संबधित जानकारी है इसके अनुसार मंत्रीपरिषद् के परामर्श से राष्ट्रपति तीन प्रकार के आपात काल लागू कर सकते हैं
      • युद्ध या बाहरी आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह के कारण लगाया गया आपात – अनुच्‍छेद 352
      • राज्यों के संविधानिक तंत्र के विफल होने कारण लगाया गया आपात – अनुच्‍छेद 356 – राष्ट्रपति शासन 
      • वित्‍तीय आपात – अनुच्‍छेद 360 

नोट : – राष्‍ट्रपति संविधान के अनुच्‍छेद 143 के अंतर्गत किसी सार्वजनिक महत्‍व के प्रश्‍न पर उच्‍चतम न्‍यायालय से परामर्श ले सकते हैं
लेकिन वह यह परामर्श मानने के लिए बाध्‍य नहीं हैं| 
भारत की प्रथम महिला राष्ट्रपति – प्रतिभा देवी सिंह पाटिल थी |

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