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Notes in Hindi – Geography – भूगोल – सौरमंडल के पिंड





Notes in Hindi – Geography – भूगोल - सौरमंडल के पिण्ड



Geography in Hindi

भूगोल (Geography)

                                                                                                                                                                

सौरमंडल के पिंड

अन्तर्राष्ट्रीय खगोलशास्त्रीय संघ ( International Astronomical Union – IAU ) की प्राग सम्मेलन -2006 के अनुसार सौरमंडल में मौजूद पिंडों को तीन श्रेणियों में बाँटा गया है

  1. परम्परागत ग्रह : बुध , शुक्र , पृथ्वी , मंगल , बृहस्पति , शनि , अरुण एवं वरुण ।
  2. बौने ग्रह : प्लूटो , चेरॉन , सेरस , 2003 यूबी 3131
  3. लघु सौरमंडलीय पिंड : धूमकेतु , उपग्रह , एवं अन्य छोटे खगोलीय पिंड ।

ग्रह :- ग्रह वे खगोलीय पिंड है जो निम्न शतों को पूरा करता हों:-

  • जो सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करता हो
  • उसमें पर्याप्त गुरुत्वाकर्षण बल हो जिससे वह गोल स्वरूप ग्रहण कर सके ।
  • उसके आस – पास का क्षेत्र साफ हो यानि उसके आस पास अन्य खगोलीय पिंडो की भीड़ – भार न हो ।

ग्रहों की उपर्युक्त परिभाषा आई ० एन ० यू ० की प्राग सम्मेलन ( अगस्त -2006 ) में तय की गई है । ग्रह की इस परिभाषा के आधार पर यम ( Pluto ) को ग्रह के श्रेणी से निकाल दिया गया फलस्वरूप परम्परागत ग्रहों की संख्या 9 से घटकर 8 रह गयी । यम को बौने ग्रह की श्रेणी में रखा गया है ।
ग्रहों को दो भागों में विभाजित किया गया है 
:-

  1. पार्थिव या आन्तरिक ग्रह ( Terrestrial or inner planet ) :बुध, शुक्र , पृथ्वी एवं मंगल को पार्थिव ग्रह कहा जाता है क्योंकि ये पृथ्वी के सदृश होते हैं ।
  2. बृहस्पतीय या बाह्य ग्रह Jovean or outer planet ) : बृहस्पति , शानि , अरुण एवं वरुण को बृहस्पतीय ग्रह कहा जाता है । कुल 8 ग्रहों में से केवल पाँच को नंगी आँखों देखा जा सकता है जो है- बुध , शुक्र , शनि , बृहस्पति एवं मंगल ।

आकार के अनुसार ग्रहों का क्रम ( घटते क्रम में ) है : बृहस्पति , शनि , अरुण , वरुण , पृथ्वी , शुक्र , मंगल . एवं बुध
अर्थात सबसे बड़ा ग्रह बृहस्पति एवं सबसे छोटा ग्रह बुध है ।
घनत्व केअनुसार ग्रहों का क्रम ( बढ़ते क्रम में ) हैं : शनि , यूरेनस , बृहस्पति , नेप्च्यून , मंगल शुक्र
शुक्र एवं अरुण ( यूरेनस ) को छोड़कर अन्य सभी ग्रहों का धूर्णन एवं परिक्रमण की दिशा एक ही है ।

Notes in Hindi – Geography – भूगोल – सौरमंडल के पिंड



परम्परागत ग्रह 

बुध( Mercury ) :

  • यह सूर्य का सबसे नजदीकी ग्रह है , जो सूर्य निकलने के दो घंटा पहले दिखाई पड़ता है ।
  • यह सबसे छोटा ग्रह है , जिसके पास कोई उपग्रह नहीं है ।
  • इसका सबसे विशिष्ट गुण है – इसमें चुम्बकीय क्षेत्र का होना
  • यह सूर्य की परिक्रमा सबसे कम समय में पूरी करता

शुक्र( Venus )

  • यह पृथ्वी का निकटतम ग्रह है । 
  • यह सबसे चमकीला एवं सबसे गर्म ग्रह है ।
  • इसे साँझ का तारा या भोर का तारा कहा जाता है । 
  • यह अन्य ग्रहों के विपरीत दक्षिणावर्त ( anticlockwise ) चक्रण करता है । 
  • इसे पृथ्वी का भगिनी ग्रह कहते है । यह घनत्व , आकार एवं व्यास में पृथ्यी के समान है । 
  • इसके पास कोई उपग्रह नहीं है ।

बृहस्पति ( Jupiter )

  • यह सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह है । इसे अपनी धुरी पर चक्कर लगाने में 10 घंटा ( सबसे कम ) और सूर्य की परिक्रमा करने में 12 वर्ष लगते हैं ।
  • इसका उपग्रह ग्यानीमीड सबसे बड़ा उपग्रह है ।  यह पीले रंग का उपग्रह है ।

मंगल ( Mars )

  • इसे लाल ग्रह ( Red Planet ) कहा जाता है , इसका रंग लाल , आयरन ऑक्साइड के कारण है ।
  • यहाँ पृथ्वी के समान दो धुव है तथा इसका कक्षातली 25 डिग्री कोण पर झुका हुआ है , जिसके कारण यहाँ पृथ्वी के समान ऋतु परिवर्तन होता है ।
  • इसके दिन का मान एवं अक्ष का झुकाव पृथ्वी के समान है ।
  • यह अपनी धुरी पर 24 घंटे में एक बार पूरा चक्कर लगाता है ।
  • इसके दो उपग्रह हैं – फोयोस ( Phothos ) और डीमोस ( Deimas )
  • सूर्य की परिक्रमा करने में इसे 687 दिन लगते हैं ।
  • सौरमंडल का सबसे बड़ा ज्वालामुखी ओलिपस मेसी एवं सौरमंडल का सबसे ऊँचा पर्वत निक्स ओपिया ( Nix olympia ) जो माउंट एवरेस्ट से तीन गुना अधिक ऊँचा है , इसी ग्रह पर स्थित है ।

शनि ( Saturn ) :-

  • यह आकार में दूसरा सबसे बड़ा ग्रह है । 
  • यह आकाश में पीले तारे के समान दिखाई पड़ता है । >
  • इसकी विशेषता है – इसके तल के चारों ओर वलय का होना ( मोटी प्रकाश वाली कुंडली ) ।
  • इसके उपग्रहों की संख्या 62  है , जो सबसे अधिक है ।
  • शनि का सबसे बड़ा उपग्रह टाइटन ( Titan ) है । यह आकार में बुध के बराबर है ।
  • फोबे नामक शनि का उपग्रह इसकी कक्षा में पूमने की विपरीत दिशा में परिक्रमा करता है ।

अरुण( Uranus ):-

  • यह आकार में तीसरा सबसे बड़ा ग्रह है । 
  • इसकी खोज 1781 ई ० में विलियम हर्शल द्वारा की गयी है ।
  • इसके चारों और नौ वलयों में पाँच वलयों का नाम अल्फा ( a ) , बीटा ( B ) , गामा ( ४ ) , डेल्टा ( A ) एवं इप्सिलॉन है
  • यह अपने अक्ष पर पूर्व से पश्चिम की ओर घूमता है , जबकि अन्य ग्रह पश्चिम से पूर्व की ओर घूमते हैं ।
  • यहाँ सूर्योदय पश्चिम की ओर एवं सूर्यास्त पूरब की ओर होता है । ” इसके सभी उपग्रह भी पृथ्वी की विपरीत दिशा में परिभ्रमण करते हैं ।
  • यह अपनी धुरी पर सूर्य की ओर इतना झुका हुआ है कि लेटा हुआ – सा दिखलाई पड़ता है . इसलिए इसे लेटा हुआ ग्रह कहा जाता है । 
  • इसका तापमान 18 ° C है । इसके 27 उपग्रह हैं जिसमें सबसे बड़ा उपग्रह टाइटेनिया ( Titania ) है ।

वरुण ( Neptune ):-

  • इसकी खोज 1846 ई ० में जर्मन खगोलज्ञ जहाँन गाले ने की है ।
  • नई खगोलीय व्यवस्था में यह सूर्य से सबसे दूर स्थित ग्रह है
  • यह हरे रंग का ग्रह है
  • इसके चारों ओर अति शीतल मिथेन का बादल छाया हुआ है ।
  • इसके 13 उपग्रह हैं जिनमें ट्रिटॉन ( Triton ) प्रमुख है ।

Notes in Hindi – Geography – भूगोल – सौरमंडल के पिंड

पृथ्वी ( Earth ):-

  • यह आकार में पाँचवी सबसे बड़ा ग्रह है । 
  • वह सौरमंडल का एकमात्र ग्रह है , जिस पर जीवन है । 
  • इसका विषुवतीय व्यास 12,756 किमी और ध्रुवीय व्यास 12,714 किमी है ।
  • पृथ्वी अपने अक्ष पर 23.5 डिग्री झुकी हुई है ।
  • यह अपने अक्ष पर पश्चिम से पूर्व 1610 किमी प्रतिघंटा की चाल से 23 घंटे 56 मिनट और 4 सेकेण्ड में एक पूरा चक्कर लगाती है । पृथ्वी की इस गति को घूर्णन या दैनिक गति कहते हैं । इस गति से दिन रात होते हैं
  • पृथ्वी को सूर्य की एक परिक्रमा पूरी करने में 365 दिन 5 घंटे 48 मिनट 46 सेकेण्ड ( लगभग 365 दिन 6 घंटे ) का समय लगता है । सूर्य के चातुर्दिक पृथ्वी के इस परिक्रमा को पृथ्वी की वार्षिक गति अथवा परिक्रमण कहते हैं । पृथ्वी को सूर्य की एक परिक्रमा करने में लगे समय को सौर वर्ष कहा जाता है । प्रत्येक सौर वर्ष , कलेण्डर वर्ष से लगभग 6 घंटा बढ़ जाता है , जिसे हर चीथे वर्ष में लीप वर्ष बनाकर समायोजित किया जाता है । लीप वर्ष 366 दिन का होता है , जिसके कारण फरवरी माह में 28 के स्थान पर 29 दिन होते हैं ।
  • पृथ्वी पर ऋतु परिवर्तन , इसकी अक्ष पर झुक होने के कारण तथा सूर्य के सापेक्ष इसकी स्थिति में परिवर्तन यानि वार्षिक गति के कारण होती है । वार्षिक गति के कारण ही पृथ्वी पर दिन – रात छोटा – बड़ा होता है ।
  • आकार एवं बनावट की दृष्टि से पृथ्वी शुक्र के समान है ।
  • जल की उपस्थिति के कारण इसे नीला ग्रह भी कहा जाता है ।
  • इसका अक्ष इसकी कक्षा के सापेक्ष 66.5 ° का कोण बनाता है । 
  • सूर्य के बाद पृथ्वी के सबसे निकट का तारा प्रॉक्सिमा सेन्चुरी है , जो अल्फा सेन्चुरी समूह का एक तारा है । यह पृथ्वी से 4.22 प्रकाश वर्ष दूर है ।
  • पृथ्वी का एकमात्र उपग्रह चन्द्रमा है ।

नोट : 24 अगस्त , 2006 को अंतर्राष्ट्रीय खगोल विज्ञानी संघ ( आईएयू ) की प्राग ( चेक गणराज्य ) बैठक में खगोल विज्ञानियों ने प्लूटो का ग्रह होने का दर्जा खत्म कर दिया क्योंकि इसकी कक्षा वृत्ताकार नहीं है और यह वरूण ग्रह की कक्षा से होकर गुजरती है । नई खगोलीय व्यवस्था में प्लूटो को बौने ग्रहों की श्रेणी में रखा गया है ।

चन्द्रमा ( Moon ):-

  • चन्द्रमा की सतह और उसकी आन्तरिक स्थिति का अध्ययन करने वाला विज्ञान सेलेनोलॉजी कहलाता है ।
  • इस पर धूल के मैदान को शान्ति सागर कहते हैं । यह चन्द्रमा का पिछला भाग है , जो अंधकारमय होता है ।
  • चन्द्रमा का ऊच्चतम पर्वत लीबनिट्ज पर्वत है , जो 35000 फुट ( 10,668 मी ० ) ऊँचा है । यह चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर स्थित है ।
  • चन्द्रमा को जीवाश्म ग्रह भी कहा जाता है ।
  • चन्द्रमा पृथ्वी की एक परिक्रमा लगभग 27 दिन 8 घंटे में पूरी करता है और इतने ही समय में अपने अक्ष पर एक घूर्णन करता है । यही कारण है कि चन्द्रमा का सदैव एक ही भाग दिखाई पड़ता है । पृथ्वी से चन्द्रमा का 57 % भाग को देख सकते हैं ।
  • चन्द्रमा का अक्ष तल पृथ्वी के अक्ष के साथ 58-48  डिग्री का अक्ष कोण बनाता है । चन्द्रमा पृथ्वी के अक्ष के लगभग समानान्तर है ।
  • चन्द्रमा का व्यास 3,480 किमी तथा द्रव्यमान , पृथ्वी के द्रव्यमान का लगभग1 /81  है | 
  • पृथ्वी के समान इसका परिक्रमण पथ भी दीर्घ वृत्ताकार है ।
  • सूर्य के संदर्भ में चन्द्रमा की परिक्रमा की अवधि 29.53 दिन ( 29 दिन , 12 घंटे , 44  मिनट और 2.8 सैकेण्ड ) होती है । इस समय को एक चन्द्रमास या साइनोडिक मास कहते है । 
  • नाक्षत्र समय के दृष्टिकोण से चन्द्रमा लगभग 27.5  दिन ( 27 दिन . 7 घंटे , 43 मिनट और 11.6 सेकेण्ड ) में पुनः उसी स्थिति में होता है । 27.5 दिन की यह अवधि एक नाक्षत्र मास कहलाती है ।
  • ज्वार उठने के लिए अपेक्षित सौर एवं चन्द्रमा की शक्तियों का अनुपात 11 : 5 है ।
  • ओपोलो के अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा लाए गए चट्टानों से पता चला है कि चन्द्रमा भी उतना ही पुराना है जितना पृथ्वी ( लगभग 460 करोड़ वर्ष ) । इसकी चट्टानों में टाइटेनियम की मात्रा अत्यधिक मात्रा में पायी गयी है ।

बौने ग्रह 

यम ( Pluto ):-

  • इसकी खोज 1930 ई ० मे क्लाड टामवो ने की थी । 
  • अगस्त 2006 की आई ० ए ० यू ० की प्राग सम्मेलन में ग्रह कहलाने के मापदंड पर खरे नहीं उतरने के कारण यम को ग्रह की श्रेणी से अलग कर बौने ग्रह की श्रेणी में रखा गया है ।
  • यम को ग्रह की श्रेणी से निकाले जाने का कारण है- ( i ) आकार में चन्द्रमा से छोटा होना ( ii ) इसकी कक्षा का वृत्ताकार नहीं होना ( iii ) वरुण को कक्षा को काटना 
  • आईएयू ने इसका नया नाम 131340 रखा है ।

सेरस ( Ceres ) :-

  • इसकी खोज इटली के खगोलशास्त्री पियाजी ने किया था ।
  • आई ए यू की नई परिभाषा के अनुसार इसे बौने ग्रह की श्रेणी में रखा गया है , जहाँ इसे संख्या 1 से जाना जाएगा ।
  • इसका व्यास बुथ के व्यास का 1/5 भाग है ।
  • अन्य बौने ग्रह है घेरॉन एवं 2003 UB 313 ( इरिस ) ।

लघु सौरमंडलीय पिंड

क्षुद्र ग्रह ( Asteroids ) :

  • मंगल एवं बृहस्पति ग्रह की कक्षाओं के बीच कुछ छोटे छोटे आकाशीय पिंड है जो सूर्य की परिक्रमा कर रहे हैं , उसे क्षुद्र ग्रह कहते हैं । खगोलशास्त्रियों के अनुसार ग्रहों के विस्फोट के फलस्वरूप टूटे टूकड़ों से क्षुद्र ग्रह का निर्माण हुआ है ।
  • क्षुद्र ग्रह जब पृथ्वी से टकराता है , तो पृथ्वी के पृष्ट पर विशाल गर्त बनता है । महाराष्ट्र में लोनार झील ऐसा ही एक गर्त है ।
  • फोर वेस्टा एकमात्र क्षुद्र ग्रह है जिसे नंगी आँखों से देखा जा सकता है ।

धूमकेतु ( Comet ):

  • सौरमंडल के छोर पर बहुत ही छोटे – छोटे अरबों पिंड विद्यमान हैं , जो धूमकेतु या पुच्छल तारे कहलाते हैं ।
  • यह गैस एवं धूल का संग्रह है , जो आकाश में लम्बी चमकदार पूंछ सहित प्रकाश के चमकीले गोले के रूप में दिखाई देते हैं ।
  • धूमकेतु केवल तभी दिखाई पड़ता है जब वह सूर्य की ओर अग्रसर होता है क्योंकि सूर्य  किरणें इसकी गैस को चमकीला बना देती हैं ।
  • धूमकेतु की पूँछ हमेशा सूर्य से दूर होता दिखाई देता है । 
  • हैले नामक धूमकेतु का परिक्रमण काल 76 वर्ष है , यह अंतिम बार 1986 में दिखाई दिया था । अगली बार यह (1986 + 76) 2062 में दिखाई देगा ।
  • धूमकेतु हमेशा के लिए टिकाऊ नहीं होते हैं , फिर भी प्रत्येक धूमकेतु के लौटने का समय निश्चित होता है ।

 उल्का( Meteors ):

  • उल्काएँ प्रकाश की चमकीली घारी के रूप में देखते है जो आकाश में क्षणभर के लिए दमकती हैं और लुप्त हो जाती हैं ।
  • उल्काएँ क्षुद्र ग्रहों के टुकड़े तथा धूमकेतुओं द्वारा पीछे छोड़े गए घूल के कण होते हैं ।

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