राजस्थान
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वर्ष 2023 के अंत तक आते-आते प्रदेश की सत्ता में बड़ा फेरबदल हो गया और इस महासमर में भाजपा ने कांग्रेस को पटखनी देकर सत्ता पर कब्जा किया। एक तरफ सत्ता में पुनर्वापसी के लिए कांग्रेस ने कई प्रकार की गारंटी दी थी, वहीं भाजपा ने चुनावी संकल्प पत्र में पीएम मोदी की गारंटी के रूप में लोगों को उम्मीद की किरण दिखाई।
भाजपा ने चुनाव के दौरान पीजी तक की फ्री पढ़ाई, केवल 450 रुपये में एलपीजी सिलेंडर, गरीब परिवारों की लड़कियों के जन्म पर सेविंग बॉन्ड देने की घोषणा, फ्री स्कूटी योजना, पीएम किसान निधि की राशि को दोगुना करना जैसे वादे किए और सत्ता में आने के बाद इनमें कुछ वादों को पूरा कर अपने इरादे जाहिर कर दिए।
फिलहाल सत्ता मिलने के साथ ही भाजपा सरकार पर इन वादों को पूरा करने का दबाव बढ़ गया। ऐसे में मुख्यमंत्री की शपथ लेने के कुछ दिनों के अंदर ही भजनलाल शर्मा सरकार ने जनता से किए वादों को पूरा करने की दिशा में काम करना शुरू कर दिया। इस कड़ी में 16 दिसंबर को सरकार ने बदमाशों पर कार्रवाई के लिए एंटी गैंगस्टर टॉस्क फोर्स तथा विभिन्न परीक्षाओं में पेपरलीक रोकने तथा माफिया पर शिकंजा कसने के लिए एसआईटी गठित कर दी। दोनों ही एजेंसियों ने अपना काम शुरू कर दिया है और कार्रवाई का अंजाम भी दिया है।
राज्य सरकार ने अपने संकल्प पत्र की घोषणाओं को पूरा करने के क्रम में उज्ज्वला गैस कनेक्शन का सिलेंडर 450 रुपए में देने की घोषणा कर दी। इससे प्रदेश के 70 लाख परिवारों को सीधा लाभ मिलेगा, लेकिन राज्य सरकार के खजाने पर करीब 626 करोड़ रुपए का अतिरिक्त भार आएगा।
कर्ज के बोझ तले कैसे होगा काम?
राजस्थान पर अप्रैल से अगस्त 2023 तक प्रदेश 12,288 करोड़ के कर्ज का बोझ बढ़ गया था। एक साल पहले यह कर्ज चार लाख 58 हजार करोड़ रुपए था। चुनावी साल में राजस्थान पर कर्ज का बोझ तेजी से बढ़ा है। अभी राज्य पर कर्ज बढ़कर 5.59 लाख करोड़ से ज्यादा हो गया है। यदि भाजपा संकल्प पत्र की घोषणाओं को पूरा करती है तो राज्य पर आर्थिक भार और बढ़ने की आशंका है। ऐसे में प्रश्न यह है कि कर्ज के इतने बोझ के बाद भाजपा की नई सरकार अपना काम कैसे करेगी ?
राज्य के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कांग्रेस की जनहित की योजनाएं बंद नहीं कर उन्हें बेहतर बनाकर लागू करने की घोषणा की है। ऐसे में पुरानी योजनाओं को चलाने का प्रेशर भी सरकार पर होगा। यदि सारी योजनाएं जारी रहीं तो कर्ज का बोझ कम करना चुनौतीपूर्ण होगा।
आपराधिक कृत्यों से राहत दिलाना भी एक चुनौती
प्रदेश में पिछले साल तीन लाख से ज्यादा आपराधिक केस दर्ज हुए हैं। इनमें हत्या, हत्या के प्रयास, अपहरण आदि के कुल मिलाकर 18 हजार मामले हैं। पॉक्सो के तहत 1600 से ज्यादा और दुष्कर्म के करीब चार हजार 692 मामले दर्ज हुए। बलात्कार के मामलों राजस्थान फिर से एक नंबर पर है। महिला अपराध यहां सबसे बड़ी चुनौती बनती नजर आ रही है। प्रदेश में दस से ज्यादा बड़ी गैंग सक्रिय हैं। इन सारे आपराधिक कृत्यों को रोकना और जनता को इनसे राहत दिलाना सरकार के लिए बड़ा सिरदर्द हो सकता है।
पेपर लीक एक बड़ा मुद्दा
कांग्रेस सरकार के पतन के पीछे का एक बड़ा कारण पेपर लीक प्रकरण रहा है। प्रदेश में पिछले सालों में 17 परीक्षाओं के पेपर लीक हुए और करीब 22 लाख से भी ज्यादा छात्र और युवा बेरोजगार इससे प्रभावित हुए। परीक्षाएं कराने वाली सरकारी एजेंसी खुद ही जांच के दायरे में आ गई। ऐसे में भाजपा सरकार के सामने नकल माफिया से निपटना और सरकारी भर्ती निकालना दोनों की बड़ी चुनौतियां हैं।
संगठन को साथ लेकर चलना भी कड़ी परीक्षा
एक और बड़ी परेशानी जो सरकार के सामने है, वह है संगठन को साथ लेकर चलने की। मुख्यमंत्री भजनलाल हाल ही में चुने गए 199 विधायकों में से उन चुनिंदा नेताओं में शामिल हैं जो पहली बार ही विधायक का चुनाव जीते हैं और उस पर भी बड़ी बात ये कि मुख्यमंत्री भी बना दिए गए। हालांकि वे पार्टी के साथ पिछले 34 साल से जुड़े हुए हैं, लेकिन सरकार का यह उनका पहला अनुभव है। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे , किरोड़ीलाल मीणा, राज्यवर्धन सिंह राठौड़ के साथ ही पार्टी के कई बड़े दिग्गजों को साथ लेकर चलना सबसे बड़ी चुनौती है।
कुल मिलाकर भजनलाल सरकार के सिर पर कांटों भरा ताज है। कहते हैं नया सवेरा उम्मीद की नई किरण लेकर आता है, ऐसे में देखना होगा कि नए साल में राज्य की भाजपा सरकार लोगों की आशाओं पर कितना खरा उतर पाती है?
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