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Rajasthan News: Leaders who came to join BJP again returned, there was a mistake regarding joining

भाजपा पार्टी मुख्यालय
– फोटो : सोशल मीडिया

विस्तार


भाजपा में वापसी करने पहुंचे बागी नेताओं को आज गफलत के चलते बैरंग लौटना पड़ा। नेताओं की ज्वाइनिंग को लेकर कुछ नेताओं ने विरोध भी जताया है। अब प्रश्न यह उठ रहा है कि आखिर यह कोई गफलत थी या फिर आनन-फानन में बिना किसी को विश्वास में लिए पार्टी ज्वाइन कराने की तैयारी थी।

दरअसल मंगलवार को फतेहपुर से पूर्व विधायक नंदकिशोर महरिया, भाजपा से बगावत कर विधानसभा चुनाव लड़ने वाले राजेंद्र भांभू, फतेहपुर से बीजेपी के बागी रहे मधुसूदन भिंडा, कैलाश मेघवाल, जेजेपी युवा विंग के प्रदेश अध्यक्ष प्रतीक महिरया सहित दर्जनों नेता और समर्थक भाजपा की सदस्यता ग्रहण करने भाजपा प्रदेश मुख्यालय पहुंच गए। यहां नेता और उनके समर्थक पार्टी के हॉल में ज्वाइनिंग का इंतजार करने लगे। 

इस दौरान पार्टी कार्यालय में प्रदेश चुनाव प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे और अन्य नेता चुनाव प्रबंधन समिति की बैठक ले रहे थे। बैठक के बाद सहस्त्रबुद्धे हॉल में आए भी लेकिन मीडिया से बात करके लौट गए। ज्वाइनिंग के लिए वहां बैठे लोगों को लेकर उन्होंने सिर्फ इतना ही कहा कि बड़ी पार्टी है, चुनाव के समय लोग आते हैं। इधर ज्वाइनिंग करने आए नेताओं को भाजपा के किसी नेता ने पार्टी की सदस्यता ग्रहण नहीं करवाई, तो ये सभी नेता बैरंग लौट गए। 

अब यह प्रश्न यह उठ रहा है कि ये गफलत हुई कैसे?  इन नेताओं को पार्टी में शामिल करवाने कोई लाया था या फिर ये नेता खुद ही पार्टी में शामिल होने आ गए। बीजेपी में इनकी ज्वॉइनिंग पर किसने वीटो लगाया। बीजेपी ज्वाइनिंग कमेटी के संयोजक अरूण चतुर्वेदी का कहना है कि आज किसी भी तरह की कोई ज्वाइनिंग नहीं है। वहीं इन नेताओं के साथ आई सुमन कुल्हरी ने कहा कि कारण क्या रहा यह तो पता नहीं, लेकिन संवाद में कमी रह गई, जिससे इनकी ज्वॉइनिंग नहीं हो पाई।  

वहीं दूसरी ओर नंदकिशोर महरिया ने कहा कि वर्ष 2013 में टिकट नहीं मिलने के बाद मैनें निर्दलीय चुनाव लड़ा। पांच साल पार्टी में आ नहीं सकता था विधायक सदस्यता जा सकती थी, लेकिन अब पार्टी में वापस आ रहा हूं। वहीं कैलाश मेघवाल ने कहा कि उनका परिवार शुरू से ही बीजेपी का रहा है। किन्हीं कारणों से पार्टी से अलग हो गया था, अब वापसी कर रहा हूं।

इधर फतेहपुर से बीजेपी का चुनाव लड़ने वाले श्रवण चौधरी ने इनकी ज्वाइनिंग का विरोध करते हुए कहा कि इन नेताओं के कारण पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ा। इन्होंने फतेहपुर, पिलानी, झुंझुनू की हार में भूमिका निभाई है। पिलानी में बीजेपी से सुंदरलाल मेघवाल बरसों से जीतते रहे, लेकिन उनके पुत्र कैलाश मेघवाल ने बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ा। इधर संभवतया पार्टी फिलहाल उन्हें माफ करने के मूड में नहीं है।

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