Science and Technology – Bio Technology Notes

Science and Technology - Steps in Bio Technology

Science and Technology – Steps in Bio Technology

 जैव प्रौद्योगिकी के चरण Steps in Biotechnology

  1. सर्वप्रथम वांछित DNA की प्राप्ति ।
  2. वांछित DNA की क्लोनिंग ।
  3. जीव / कोशिका में DNA का स्थानांतरण।

2. वांछित DNA की क्लोनिंग ।

  क्लोनिंग में सहायक एंजाइम 

DNA लाइगेज –  

  • ये DNA खण्डों/ Fragments को जोड़ने का कार्य करता है। 
  • इस एंजाइम की खोज डॉ. हरगेोविन्द खुराना ने की। 

क्षारीय फॉस्फेटेज (Alkaline Phosphatase) –

  • ये DNA के सिरों में फॉस्फेट समूह को हटा देता है। जिससे DNA तंतु आपस में जुड़ते नहीं है। 

DNA पॉलिमरेज –

  • रिवर्स ट्रांसक्रिप्टेज –  ये RNA से DNA निर्माण [रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन] में सहायक।
  • DNA पोलीमरेज – DNA की प्रतिकृति / Replication (DNA से DNA का निर्माण] में सहायक।

3. जीव / कोशिका में DNA का स्थानांतरण। (Transfer in Target cell/Competent Host )

ये 2 प्रकार से किया जा सकता है 

  1. मध्यस्थ / Mediator कोशिका में।
  2. सीधे Target Cell में (लिक्षितकोशिका] में।

मध्यस्थ / Mediator कोशिका में।

  • मध्यस्थ कोशिका में ये वांछित के टुकड़े प्रवेरा करा कर इन मध्यस्य Cells में इस DNA का गुणन /Multiplication होता है तथा वांछित उत्पाद/Product प्राप्त कर लेते हैं।
  • मध्यस्थ Cells में DNA का प्रवेश कराने हेतु इस DNA को Ca / कैल्सियम से उपचारित करते हैं। Ca / कैल्सियम से उपचारित DNA को कोशिका पर रख कर थर्मल शॉक / Heating Treatment देते हैं।

सीधे ही Target Cells  में DNA को 4 प्रकार से प्रवेश करा सकते हैं – 

  1. माइक्रोइन्जेक्शन  – अत्यन्त पतले आकर की सुई/ Needle के द्वारा वांछित DNA को Target Cells के DNA के पास छोड़ा जाता है।
  2. इलेक्ट्रोपोरेशन – इसमें लाइसोजाइम एंजाइम व Ca / कैल्सियम की सहायता से Target Cells में छिद्र/Pores  बना देते हैं, जिनसे होकर वांछित DNA इस Cell में चला जाता है।
  3. जीन गन/बायोलिस्टिक विधि– वांछित DNA को सोने एवं टंगस्टन जैसी धातुओं के साथ मिलाकर जीन के गन के द्वारा Target Cells  बौछार करते  है ।
  4. रासायनिक पदार्थों से – PEG (पौलिइथाईलीन ग्लाइकॉल) की सहायता से को Target Cells  में प्रवेश कराते हैं।

पुनार्योजी DNA/Recombinant DNA/r-DNA / काइमेरिक DNA का निर्माण

    • r-DNA/पुनार्योजी DNA का निर्माण अलग-2 DNA को मिलाने से होता है।
    • r-DNA तकनीक से ही विभिन्न प्रकार के वैक्सीन, हॉर्मोन्स एवं दवाओं के निर्माण के अलावा आनुवांशिकतया रुपांतरित (genetically modified) जीवों का निर्माण किया गया है।
  •  पुनार्योजी DNA का निर्माण निम्नलिखित चरणों में

1) वांछित DNA का पृथक्करण / isolation of desirable DNA ।

2) DNA की कांट-छांट एवं क्लोनिंग वेक्टर का प्रयोग।

3) PCR/Polymerase Chain Reaction के द्वारा DNA का आवर्धन । 

माईकल स्मिथ एवं कॅरी मुलिस ने PCR के बारे में बताया, जिसके द्वारा प्रतिकृतिकरण (Replication) के द्वारा आवर्धन किया जाता है। 

PCR का प्रयोग DNA फिंगर प्रिंटिंग में, एइस के परीक्षण में, r-DNA बनाने में तथा COVID-19 के परीक्षण में भी करते हैं।

4) r-DNA का निर्माण – पुनार्योजी DNA को 2 अलग-2  DNA से बनाया ।

5)  उत्पाद की प्राप्ति

6) डाउनस्ट्रीम (उत्पाद को Purify या शुद्ध करना)

महत्वपूर्ण बिन्दु - जैव प्रौद्योगिकी (Bio technology )

  • Father of indian Biotechnology (भारतीय जैव-प्रौद्योगिकी के पिता) → प्रो. V.L. चोपड़ा
  • 1982में भारत सरकार ने NBTB (नेशनल बायोटिक्नोलॉजी बोर्ड) की स्थापना की जो 1986 में “जैव-प्रौद्योगिकी विभाग” में बदल दिया गया।
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  • GEAC (जेनेटिक  इंजीनियरिंग अप्रैजल / अप्रूवल कमेटी) भारत में पुनर्योजी DNA तकनीक से उत्पन्न  उत्पादों के व्यावसायिक उत्पादन की अनुमति प्रदान करती है।
  •  भारत में r-DNA तकनीक से तैयार प्रथम वेक्सीन जिसका व्यावसायिक उत्पादन किया गया → हिपेटाईटिस वैक्सीन
  • OKT-5 (किड्नी प्रत्यारोपन को सफल बनाने में उपयोगी), हीरुडीन (रक्त के थक्के बनने  से रोकने वाली दवा)  → कृत्रिम इंसुलिन (ह्यूमिलिन)