Notes in Hindi – Indian History in Hindi – भाग -3 – वैदिक सभ्यता
Notes in Hindi - Indian History in Hindi
Notes in Hindi – Indian History in Hindi
Indian Histroy in Hindi
प्राचीन भारत (Ancient India)
4.वैदिक सभ्यता
वैदिककाल का विभाजन दो भागों में –
- ऋग्वैदिक काल – 1500-1000 ई ० पू ० और
- उत्तर वैदिककाल – 1000-600 ई ० पू ० में किया गया है ।
- आर्य सर्वप्रथम पंजाब एवं अफगानिस्तान में बसे । मैक्स मूलर ने आर्यों का मूल निवास स्थान मध्य एशिया को माना है । आर्यों द्वारा निर्मित सभ्यता वैदिक सभ्यता कहलाई ।
- आर्यों द्वारा विकसित सभ्यता ग्रामीण सभ्यता थी ।
- आर्यों की भाषा संस्कृत थी ।
- आर्यों के प्रशासनिक ईकाई आरोही क्रम से इन पाँच भागों में बँटा था – कुल , ग्राम , विश , जन , राष्ट्र ।
- ग्राम के मुखिया ग्रामिणी एवं विश् का प्रधान विशपति कहलाते थे । जन के शासक को राजन कहा जाता था ।
- राज्याधिकारियों में पुरोहित एवं सेनानी प्रमुख थे ।
- सूत , रथकार तथा कम्मादि नामक अधिकारी रत्नी कहे जाते थे । इनकी संख्या राजा सहित करीब 12 हुआ करती थी ।
- पुरप – दुर्गपति एवं पश – जनता की गतिविधियों को देखने वाले गुप्तचर होते थे ।
- वाजपति – गोचर भूमि का अधिकारी होता था ।
- उग्र – अपराधियों को पकड़ने का कार्य करता था ।
- सभा एवं समिति राजा को सलाह देने वाली संस्था थी । सभा श्रेष्ठ एवं संभ्रात लोगों की संस्था थी जबकि समिति सामान्य जनता का प्रतिनिधित्व करती थी । इसके अध्यक्ष को ईशान कहा जाता था ।
- युद्ध में कबीले का नेतृत्व राजा करता था । युद्ध के लिए गविष्टि शब्द का प्रयोग किया गया है , जिसका अर्थ है – गायों की खोज ।
- दसराज्ञ युद्ध का उल्लेख ऋग्वेद के 7 वें मंडल में है , यह युद्ध परुषणी ( रावी ) नदी के तट पर सुदास एवं दस जनों के बीच लड़ा गया , जिसमें सुदास विजयी हुआ ।
- ऋग्वैदिक समाज चार वर्णों में विभक्त था । वे वर्ण थे ब्राह्मण , क्षत्रिय , वैश्य और शूद्र । यह विभाजन व्यवसाय पर आधारित था । ऋग्वेद के 10 वें मंडल के पुरुषमूक्त में चतुर्वणों का उल्लेख मिलता है । इसमें कहा गया है कि ब्राह्मण परम पुरुष के मुख से , क्षत्रिय उनकी भुजाओं से , वैश्य उनकी जाँघों से एवं शूद्र उनके पैरों से उत्पन्न हुए हैं ।
- आर्यों का समाज पितृप्रधान था । समाज की सबसे छोटी इकाई परिवार या कुल थी , जिसका मुखिया पिता होता था , जिसे कुलप कहा जाता था ।
- स्त्रियां इस काल में अपने पति के साथ यज्ञ कार्य में भाग लेती थी ।
- बाल – विवाह एवं पर्दा प्रथा का प्रचलन नहीं था|
- विधवा अपने मृतक पति के छोटे भाई ( देवर ) से विवाह कर सकती थी ।
- स्त्रियाँ शिक्षा ग्रहण करती थीं । ऋग्वेद में लोपामुद्रा , घोषा . सिकता . आपला एवं विश्वास जैसी विदुषी स्त्रियों का वर्णन है ।
- जीवन भर अविवाहित रहनेवाली महिलाओं को अभाजू कहा जाता था ।
- आयों का मुख्य पेय पदार्थ सोमरस था । यह वनस्पति से बनाया जाता था ।
- आर्य मुख्यतः तीन प्रकार के वस्त्रों का उपयोग करते थे –1 . वास 2. अधिवास और 3. उष्णीष । अन्दर पहननेवाले कपड़े को नीवि कहा जाता था । आवों के मनोरंजन के मुख्य साधन थे – संगीत , रथदौड़ , घुड़दौड़ एवं घूतक्रीड़ा ।
Notes in Hindi – Indian History in Hindi
उपनिषदों की कुल संख्या है -108
महापुराणों की संख्या है -18
वेदांग की संख्या है -6
ऋग्वैदिककालीन नदियाँ
- क्रुभ – कुर्रम
- कुभा – काबुल
- वितस्ता – झेलम
- परुषणी – रावी
- शतुद्रि – सतलज
- द्रसद्धती – घग्घर
- सदानीरा – गंडक
ऋग्वैदिककालीन देवता
- इन्द्र – युद्ध का नेता एवं वर्षा का देवता ।
- अग्नि – देवता एवं मनुष्य के बीच मध्यस्थ
- वरुण – पृथ्वी एवं सूर्य के निर्माता , समुद्र का देवता , विश्व के नियामक एवं शासक, सत्य का प्रतीक , ऋतु – परिवर्तन एवं दिन – रात का कर्ता ।
- द्यौ – आकाश का देवता ( सबसे प्राचीन ) ।
- विष्णु – विश्व के संरक्षक एवं पालनकर्ता ।
- मरुत – आँधी – तूफान का देवता ।