Notes in Hindi – Indian Histroy – प्राचीन भारत – मगध राज्य और सिकन्दर
Notes in Hindi – Indian Histroy – प्राचीन भारत – मगध राज्य और सिकन्दर
History in Hindi
प्राचीन भारत (Ancient India)
मगध राज्य का उत्कर्ष
Notes in Hindi – Indian Histroy – प्राचीन भारत – मगध राज्य और सिकन्दर –
मगध के सबसे प्राचीन वंश के संस्थापक बृहद्रथथा । इसकी राजधानी गिरिब्रज ( राजगृह ) थी । जरासंध बृहद्रथ का पुत्र था ।
हर्यक वंश के संस्थापक बिम्बिसार मगध की गद्दी पर 544 ई ० पू ० ( बौद्ध ग्रंथों के अनुसार ) में बैठा था । वह बौद्ध धर्म का अनुयायी था ।
बिम्बिसार ने ब्रह्मदत्त को हराकर अंग राज्य को मगध में मिला लिया ।
बिम्बिसार ने राजगृहका निर्माण कर उसे अपनी राजधानी बनाया।
बिम्बिसार ने मगध पर करीब 52 वर्षों तक शासन किया ।
महात्मा बुद्ध की सेवा में बिम्बिसार ने राजवैद्य जीवक को भेजा ।अवन्ति के राजा प्रद्योत जब पाण्डु रोग से ग्रसित थे उस समय भी बिम्बिसार ने जीवक को उनकी सेवा सुश्रुषा के लिए भेजा था ।
बिम्बिसार ने वैवाहिक संबंध स्थापित कर अपने साम्राज्य का विस्तार किया ।इसने कोशल नरेश प्रसेनजित की बहन महाकोशला से , वैशाली के चेटक की पुत्री चेल्लना से तथा मद्र देश ( आधुनिक पंजाब ) की राजकुमारी क्षेमा से शादी की ।
बिम्बिसार की हत्या उसके पुत्र अजातशत्रुने कर दी और वह 493 ई ० पू ० में मगध की गद्दी पर बैठा ।
अजातशत्रु का उपनाम कुणिक था ।
अजातशत्रु ने 32 वर्षों तक मगध पर शासन किया ।
अजातशत्रु प्रारंभ में जैनधर्म का अनुयायी था ।
अजातशत्रु के सुयोग्य मंत्री का नाम वर्षकार ( वरस्कार ) था । इसी की सहायता से अजातशत्रु ने वैशाली पर विजय प्राप्त की ।
अजातशत्रु की हत्या उसके पुत्र उदायिन्ने 461 ई ० पू ० में कर दी और वह मगध की गद्दी पर बैठा ।
उदायिन् ने पाटिलग्राम की स्थापना की ।
उदायिन् भी जैनधर्म का अनुयायी था ।
हर्यक वंशका अंतिम राजा उदायिन् का पुत्र नागदशक था ।
नागदशक को उसके अमात्य शिशुनाग ने 412 ई ० पू ० में अपदस्थ करके मगध पर शिशुनाग वंश की स्थापना की ।
शिशुनाग ने अपनी राजधानी पाटलिपुत्र से हटाकर वैशाली में स्थापित की ।
शिशुनाग का उत्तराधिकारी कालाशोक पुनः राजधानी को पाटलिपुत्र ले गया ।
शिशुनाग वंश का अंतिम राजा नदिवर्धन था ।
नंदवंश का संस्थापक महापद्म नंद था ।
नंदवंश का अंतिम शासक घनानंद था ।यह सिकन्दर का समकालीन था ।इसे चन्द्रगुप्त मौर्यने युद्ध में पराजित किया और मगध पर एक नये वंश मौर्य वंशकी स्थापना की ।
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