You are currently viewing क्या आप भी हैं टाल-मटोल करने की आदत से मजबूर? तो जानिये मशहूर लेखक शिव खेड़ा की टिप्स और जुट जायें सफलता की सीढ़ी की ओर

मशहूर लेखक शिव खेड़ा का कहना है, ज़िन्दगी में जो लोग असफल होते हैं उनमे जो सबसे बुरी आदत होती है वो है “प्रोक्रेस्टिनेशन” जिसे हिन्दी में कहा जाता है टाल-मटोल. चलिये जानते है इस पर मशहूर लेखक शिव खेड़ा के क्या है विचार.  

पढियें 'टाल-मटोल' क्या है मशहूर लेखक शिव खेड़ा के विचार

पढियें ‘टाल-मटोल’ क्या है मशहूर लेखक शिव खेड़ा के विचार

Shiv Khera Special: मशहूर लेखक शिव खेड़ा का कहना है, ज़िन्दगी में जो लोग असफल होते हैं उनमे जो सबसे बुरी आदत होती है वो है “प्रोक्रेस्टिनेशन” जिसे हिन्दी में कहा जाता है टाल-मटोल.

जो लोग आज का काम कल पर, और कल का काम आने वाले कल पर टालते हैं और इस टालने की आदत से मजबूर होकर हम एक वक्त पर अपना पूरा जीवन हमारे सामने से गुज़रता हुआ पाते हैं, और तब बैठकर सोचते हैं कि हमने हमारी पूरी ज़िन्दगी कल पर टाल कर जाने दी.

जीवन एक खेल है और इसे सफल बनाने का  हमारे पास एक मौका है सिर्फ और सिर्फ एक शॉट ये कोई भी ड्रेस रिहर्ससल जैसा नहीं है जिसमे हम बार बार गलतियाँ करते रहे तो बदला जा सके, जिंदगी नामक  खेल को हमें सोच समझकर और आज में जीकर ही सफल बनाना होगा नहीं तो खेल खराब होता जाएगा.

शिव खेड़ा कहते हैं  जब आप टीवी, वीसीआर, या कार खरीदते हैं, तो आपको एक ऑपरेटर का मैनुअल मिलता है, लेकिन जब कोई बच्चा पैदा होता है तो वह बिना मैनुअल के आता है, उसके पास कोई मैनुअल नहीं है उसे हमें यहीं  जीवन के मूल्य सिखाने होंगे.

Shiv Khera

हम कहते हैं कि आपने अपनी गलतियों से सीखा है या हम ये भी कहते हैं गलतियाँ आपको अनुभव देती हैं और लेखक शिव खेड़ा का कहना है समझदार लोग अपनी गलतियों से सीखते हैं। लेकिन जो लोग अधिक बुद्धिमान होते हैं, वे दूसरों की गलतियों से सीखते हैं जी बिल्कुल क्योंकि हमारा जीवन इतना लंबा नहीं है कि हम हर बार गलतियाँ करते रहें इस बात का हवाला देकर कि चलो सीख मिल गयी.

बात यह है कि हम हर बात को टालते क्यों रहते हैं ? इस बात का जवाब शिव खेड़ा देते हैं हम वो काम करते हैं, या करना चाहते हैं, जो आसान हैं, लेकिन हम वो काम नहीं करते जो ज़रूरी और यहीं हम असफल हो जाते हैं.

लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि लोग टाल-मटोल क्यों करते हैं? जिसे अंग्रेज़ी में कहा जाता है एस्केपिस बिहेवियर, उनके अन्दर हिम्मत नहीं होती परिस्थितियों का सामना करने की और काम को या काम को बेहतर करने की पहल करने की और वो चीज़ों को आने वाले कल के लिए टालते रहते हैं, और यही चीज़ आपको मेहेंगी पड़ती जाती है.

हम कहाँ हैं और हम कौन हैं?  इसका जवाब जानते हैं ? इसका जवाब है मैं यहाँ हूँ और समय अभी है. अब समय है. तो याद रखें अगर जीवन में सफल होना है तो इस बुरी आदत से छुटकारा पाना ही होगा.

 

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