Shiv Khera Special: “बहस सब कुछ नष्ट कर सकती है, जबकि बातचीत करके समस्याओं का समाधान निकाला जा सकता है.” कुछ ऐसा ही कहते काफी मशहूर लेखक शिव खेड़ा.
बहस से खराब होते हैं रिश्ते:
वो कहते हैं कि, “अगर आप बहस जीत भी जाएंगे तो भी अच्छे रिश्ते, दोस्ती, काम खो बैठेंगे. आप कभी अपनी जीवन में बहस में न पड़ें, क्यूंकि बहस में जीते भी हार है और हारे भी हार.” वो कहते हैं कि ऐसी जीत खोखली होती है. बातचीत करो बहस नहीं क्योंकि इन दोनों में जमीन आसमान का अंतर है. बातचीत से ज्ञान पैदा होता है और बहस से गर्माइश पैदा होती है.
शिव खेड़ा इस बात को एक किस्से के जरिए समझाते हैं, कि कैसे बहस से नुकसान हो सकता है और बातचीत करके एक बेहतर जीवन की दिशा में कैसे बढ़ा जा सकता है. आप भी पढ़िए ये किस्सा-
खेड़ा ने सुनाया ये किस्सा:
यह कहानी है एक जंगल की, जहां एक गधा और एक बाघ के बीच एक विवाद हुआ. गधा यह कह रहा था कि घास नीली है, जबकि बाघ उसे हरी बता रहा था. इस बहस के बाद, उन्होंने अपनी समस्या का समाधान के लिए राजा शेर के पास जाने का निर्णय लिया.
राजा शेर ने गधे और बाघ के बीच की बहस को सुना और कहा, “घास नीली है”. यह निर्णय गधे को जीत का एहसास करवाता है, लेकिन इसके साथ ही उसे अपने अच्छे रिश्तों को खो दिया. राजा शेर ने बाघ को एक अजीब सी सजा दी, उसे 4 दिनों तक चुप रहने के लिए बोल दिया. बाघ, जो चुप रहने के लिए सजा पा रहा था, ने यह सवाल उठाया कि न्याय क्या है और कैसे होना चाहिए? राजा शेर जवाब देते है की जब तुम्हें, मुझे और सारी दुनिया को मालूम है की घास हरी है तो तुमने गधे से बहस क्यों की? तुम्हें सजा मिली है क्यूंकि तुमने अपना समय व्यर्थ किया गधे के साथ बहस करने में. यह सुनकर बाघ को समझ आया कि उसकी गलती कहा थी.
तो इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है कि, “बहस से केवल जीत का हौंसला बढ़ाता है, न कि समझदारी का.”
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