लर्निंग और अर्निंग का कनेक्शन शिव खेड़ा जी ने एक कहानी की सहायता के साथ समझाया आइये जानते हैं आखिर क्या है वो कहानी:
एक लकड़हारा था जिसने एक कम्पनी में 5 साल तक काम किया लेकिन पूरे 5 साल तक उसे कोई तरक्की नहीं मिली और न ही कोई प्रमोशन मिला, और फिर एक बार कंपनी ने एक नया आदमी हायर किया और एक साल के अंदर उसको तरक्की मिल गयी और साथ ही प्रमोशन भी मिल गया, तो जो वहां 5 साल से था उसे बहुत तकलीफ हुई और वो अपने मैनेजर के पास गया, उसने यह बात अपने मैनेजर से पूछी कि मुझे क्यूँ नहीं प्रमोशन मिला जब कि में इस कंपनी में 5 साल से हूँ, और यह अभी एक साल से ही आया है, तब मैनेजर ने कहा हमारी कंपनी रिज़ल्ट ओरिएंटेड संस्था है, और इस एम्प्लोयी में हमें एक साल के अन्दर ही जो प्रोडक्टिविटी दिखी वो आपमें नहीं दिखी आप भी नयी चीज़ें करिए , तो वो लकडहारा उस आदमी के पास गया कि भैया आप क्या करते हैं ऐसा ?
तब उस आदमी ने कहा कि में जब भी एक पेड़ काटता हूँ उसके बाद 2 मिनट का ब्रेक लेता हूँ और अपनी कुह्लाडी को धार देता हूँ, जब पुराने आदमी से पूछा गया तो उसने बताया मैंने तो अपनी कुह्लाडी के साथ पांच साल पहले ही ऐसा किया था.
प्रेरक शिव खेड़ा जी का कहना है यही चीज़ हमारे जीवन में भी लागू होती है, कि हम एक निरंतर एजुकेशन से जुड़े हुए हैं या नहीं हैं, कुछ लोग होते हैं जिन्होंने स्कूल या कॉलेज के बाद कभी किताबें खोल कर देखी ही नहीं होती हैं, उनका मानना होता है मैंने सीख लिया और में पढ़ चुका.
शिव खेड़ा जी ने अपनी एक किताब “You Can Achieve More” में एक सर्वे कोट किया है जिसमे लिखा है, तकरीबन 85 प्रतिशत लोग जो अमीर हैं वो पहेली पीढ़ी है, सिर्फ 15 प्रतिशत लोग ही ऐसे हैं जो एक सदी से पैसे लेकर आरहे हैं, और ये 85 प्रतिशत लोग जिन्होंने आज ही पैसा कमाया है वो लोग ऐसे हैं जो साल की 50 किताबें पढ़ते ही पढ़ते हैं, और ये लोग वो नहीं हैं जो फिक्शन पढ़ते हैं क्यूँ कि फिक्शन तो रहेगा ही फिक्शन ये वो लोग हैं जो सिर्फ और सिर्फ सेल्फ हेल्प बुक्स पढ़ते हैं, क्यूँ कि उस किताब में से आपको कोई एक आईडिया भी मिल जाए और हम उसे ज़िन्दगी में अपना लें वो हमें मिलियन डॉलर्स तक दे जाता है.
वन आइडिया वर्थ मिलियन डॉलर, जितने भी अरबपति और खरबपति लोग हैं वो एक किताब हर हफ्ता पढ़ते हैं , और इसका सीधा कनेक्शन है इस बात से कि लर्निंग और अर्निंग एक दूसरे के प्रपोशनल हैं मतलब ज्ञान लो आगे बढ़ो.
बहुत से ऐसे लोग हैं जो कहते हैं मेरे पास किताब पढ़ने का टाइम नहीं हैं, यह वाही लोग होते हैं जो टेलीविज़न की सामने या फ़ोन में कुछ रील्स देखते देखते पूरे तीन से चार घंटे ख़राब कर देते हैं.
शिव खेड़ा कहते हैं हमारी ज़िन्दगी तब बदलती है, जब हम जो पढ़ते हैं उसे जीवन में उतारते हैं तब फर्क आता है.
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