You are currently viewing सिद्धांतों पे चलिए, सफल बनिए, पढ़ें मशहूर लेखक शिव खेड़ा के क्या है विचार!

मशहूर लेखक शिव खेड़ा कहते हैं कि ”सिद्धांतों पे चलिए, सफल बनिए” वह बताते हैं कि दुनिया में किसी भी मनुष्य के अंदर दो तरह की वैल्यूज़ यानी मूल्य होते हैं, पहली पहली अनंत (eternal)और दूसरी सार्वभौमिक(universal). क्या होती हैं ये वैल्यूज़? इन दोनों के मूल्यों के बीच का अंतर शिव खेड़ा एक कहानी के माध्यम से समझाते हैं. आप भी ये कहानी पढ़िए-

एक बार एक बुज़ुर्ग महिला अपने दोनों हाथों में थैले लेकर एक बस का इंतजार कर रही थी. उनके साथ ही एक लड़का भी बस का इंतजार कर रहा था. जैसे ही बस आती है, वो दोनों बस में चढ़ जाते हैं. बस में बहुत ज्यादा भीड़ थी, लेकिन एक सीट खाली थी. जैसे ही उन दोनों ने वो खाली सीट देखी, वो दोनों उस सीट की तरफ बढ़ने लगे. क्योंकि महिला पहले चढ़ी थी, इस कारण उसकी पहुंच सीट तक जल्दी थी. ये देखकर लड़का पीछे से जल्दी से आया और उसने बुजुर्ग महिला को तेज से हाथ मारा. हाथ ही मारते ही महिला गिर गई, और उसका सारा सामान थैले से बाहर निकल कर गिर गया. बस में कई सारे लोग थे. एक महिला ने ये सब देखकर सोचा कि इस लड़के में बिलकुल तमीज नहीं है. वहीं एक वकील की नजर जब इस पर पड़ी तो उसने सोचा ऐसे व्यवहार के खिलाफ की कानून होना चाहिए. पास खड़ा एक सर्जन भी ये सब देख रहा था उसने सोचा कि कहीं गिरने के कारण महिला की कोई हड्डी न टूट गई हो. एक मनोचिकित्सक ने ये सब देखकर अपने मन में सोचा कि शायद इस लड़के को दिमागी तौर पर कोई मदद चाहिए. यहां ये चारों लोग अलग-अलग सोच रहे थे. जिसे कहते हैं यूनिवर्सल वैल्यू. उन चारों में से किसी ने ये सवाल नहीं किया कि क्या सही ये सही था या गलत? क्योंकि जब हम सही-गलत का सवाल करते हैं, तो हमें जजमेंटल कहा जाता है. लेकिन अगर आपके सिद्धांत स्पष्ट है तो जजमेंटल होने में क्या हर्ज है. ऐसे में दो सवाल आते हैं. पहला ये कि क्या उस लड़के को महिला के साथ ऐसा व्यवहार करना चाहिए था, और दूसरा ये कि क्या दुनिया में किसी को भी किसी के साथ ऐसी व्यवहार करना चाहिए. इस कहते हैं Eternal Value.

शिव खेड़ा जी कहते हैं की दुनिया में सही गलत दोनों चीज़ें होती है. सही गलत नज़रीए की बात नहीं है. गलत को गलत और सही को सही ही कहा जाएगा. ये सिद्धांत होते हैं, जो कभी बदले नहीं जा सकते. अगर कोई इंसान अपने सिद्धांत समय को देख कर बदल रहा है. तो वह कभी कामयाब नहीं हो सकता. क्योंकि उसने अपनी नींव कमज़ोर कर ली है. सिद्धांतों को मानना मुश्किल नहीं है, उन पर खरे उतरना मुश्किल है.

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अंधविश्वास नहीं आत्मविश्वास है सफलता की चाबी: शिव खेड़ा

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