Applications of Nano Technology in Hindi

Applications of Nano Technology in Hindi

Applications of Nano Technology in Hindi - नैनो प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग

Nano Technology – नैनो-प्रौद्योगिकी 

Applications of Nano Technology – नैनो प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग 

स्चिर्ड स्मेली के अनुसार नैनो प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग 2 भागों में बांटे जा सकते हैं

(i) Dry Applications / शुष्क अनुप्रयोग (निर्जीव वस्तुओं से संबंधित)

(ii) Wet Applications / नम अनुप्रयोग ( कोशिका व जीवों से संबंधित)

(i) Dry Applications / शुष्क अनुप्रयोग (निर्जीव वस्तुओं से संबंधित)

  •  मॉलीक्यूलर इलेक्ट्रॉनिक्स
  •  मेटेरियल साइंस में।
  •  ऑटोमोबाईल्स में।
  •  ऊर्जा साधनों के विकास में।
  •  अंतरिक्ष व रक्षा प्रौद्योगिकी में।
  • अन्य उपयोग।

(ii) Wet Applications / नम अनुप्रयोग ( कोशिका व जीवों से संबंधित)

  •  नैनो बायोटेक्नॉलॉजी (बायोसेंसर्स, ड्रग डिलीवरी)
  •  DNA नैनो टेक्नोलॉजी
  •  कृत्रिम अंग निर्माण ।
  •  कोशिका विज्ञान क्षेत्र में।

Nano Technology in Hindi - (i) Dry Applications / शुष्क अनुप्रयोग

(i) Dry Applications / शुष्क अनुप्रयोग

→ मॉलीक्यूलर इलेक्ट्रॉनिक्स

 

  • आण्विक स्तर पर इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों, सर्किट, लॉजिक गेट्स मेमोरी चिप्स, नैनी रोबोट्स (नैनो बोट्स) तथा नैनो- कंप्यूटर्स का निर्माण इस क्षेत्र में किया जाता है।
  • मॉलीक्यूलर इलेक्ट्रॉनिक्स का सिद्धांत  यह है कि एक अणु (molecule) संपूर्ण सर्किट / परिपथ का अनुहरण /mimicry कर सकता है अर्थात सिंगल eट्रांजिस्टर जैसी युक्तियाँ मॉलीक्यूलर इलेक्ट्रॉनिक्स का आधार है।
  • IBM कंपनी का मेमारी से संबंधित “मिलीपीड प्रोजेक्ट” जिसमें अत्यन्त सूक्ष्म आकार की मेमॉरी चिप में बहुत ज्यादा भंडारण क्षमता विकसित की गई है।

 

क्वाण्टम डॉट्स

  • Si व Ge के नैनो कण क्वाण्टम डॉट्स कहलाते हैं, ये क्वाण्टम डॉट्स विशेष प्रकाशीय गुण दर्शाते हैं, इनमें अलग रंगों के प्रकाश उत्पन्न करने की क्षमता के कारण इनका प्रयोग टी.वी., मोबाईल, कंप्यूटर आदि के डिस्प्ले बनाने, ऑप्टिकल स्विचेस के निर्माण में, L.E.D. निर्माण में भी किया जाता है।

 

  • छोटे आकार के क्वाण्टम डॉट्स जहाँ नीले रंग का प्रकाश उत्सर्जित करते हैं वहीं बड़े आकार के क्वाण्टम डॉट्स से लाल रंग का प्रकाश उत्सर्जित।

 

मैग्नेटिक नैनाइट – सैद्धांतिक तौर पर विकसित किया गया नैनो- आकार का कंप्यूटर है जिसकी प्रोसेसिंग एवं भण्डारण क्षमता अत्याधिक है।

 

माइक्रो इलेक्ट्रॉनिक्स में CNT का उपयोग इलेक्ट्रॉन फील्ड उत्सर्जक, L.E. D. निर्माण, स्वचालित ट्रैफिक लाईट्स तथा लॉजिक गेट्स के निर्माण में।



Nano Technology – नैनो-प्रौद्योगिकी 

→ मेटेरियल साइंस :

  • नैनो प्रौद्योगिकी के अंतर्गत नैनो स्तर की सरंचनाएं जैसे नैनो पार्टिकल्स, नैनो फ़िल्म्स्, नैनो फिल्टर्स, नैनो पाईप्स आदि का निर्माण किया गया हैं, ऐसे कुछ प्रमुख उदाहरण इस प्रकार हैं:

 

→  डायमण्डॉइडस –  

  • पेट्रोलियम पदार्थों से प्राप्त नैनो कण जिनका उपयोग ड्रग डिलीवरी में।

 

 चालक प्लास्टिक /Conductive Plastic –  

  • नैनो स्तर पर प्लास्टिक में चालकता / Conductivity का गुण पाया जाता है।
  • ऐसे नैनो प्लास्टिक की कोटिंग सोलर सेल पर करने से इनकी क्षमता कई गुना बढ़ जाती है।

 

 गोल्ड नैनो कण  

  • सामान्य रूप में Gold  (सोना) रासायनिक सक्रियता नहीं दर्शाता, इसके नैनो का रासायनिक रूप से अत्याधिक सक्रिय तथा इनका प्रयोग उत्प्रेरकीय परिवर्तक / Catalytic Converter के रुप में।

 

टाईटेनियम डाई ऑक्साईड (TiO2)

  • TiO2 के नैनो कण विशेष प्रकाशीय गुण दर्शाते हैं, जिनके कारण इनसे निर्मित फ़िल्म्स का प्रयोग पराबैंगनी विकिरणों (UV Rays) में सुरक्षा / बचाव हेतु करते हैं।

 

→ ऑटोमोबाइल्स –

  • आधुनिक गाड़ियों में नैनो सेंसर्स का प्रयोग किया जाता है।  
  • ऑटोमोबाइल पार्टस् तथा बॉडी निर्माण में नैनो मेटेरियल्स का प्रयोग जिससे गाड़ी हल्की व मजबूत ।
  • गाड़ियों में ‘ऑटो क्लीनिंग” जैसा गुण विकसित करने हेतु सिरेमिक नैनो कोटिंग का प्रयोग किया जा रहा है।
  • गाडियों के विंडशील्ड/ सामने के ग्लास पर नैनो फिल्म्स् की कोटिंग से पराबैंगनी विकिरणों/UV-Rays से सुरक्षा/

 

 → ऊर्जा साधनों के विकास में-

  • हाइड्रोजन जिसे कि भविष्य का ईधन माना जाता है इसका ईधनमान अत्याधिक तथा पर्यावरण के प्रति अनुकूलता इसे बेहतरीन ईधन बनाती है परंतु इसके संग्रहण / Storage के स्तर पर विशेष तकनीक एवं पदार्थों की आवश्यकता के कारण इसका प्रयोग सुलभ नहीं लेकिन C.N.T. / कार्बन नैनो ट्यूब्स ने H2 ईंधन के रूप में संगृहीत  व सुरक्षित प्रयोग को संभव बनाया है, इन C.N.T. में H₂ को ईधन के रुप में संग्रहित कर इसका उपयोग बैटरी के रूप में कर सकते है।
  • परंपरागत सौर-सेल / पेनल्स पर नैनो कणों की कोटिंग के दुवारा इनकी क्षमता को बढ़ाया जा सकता है।
  •  नेशनल फिज़िकल लैब व दिल्ली विश्वविद्यालय के संयुक्त अध्ययन के दौरान “कैडमियम टेल्यूराईड” के नैनो कणों में सौर ऊर्जा को अवशोषित करने की आत्यधिक क्षमता देखी गई है।

 

 → अन्तरिक्ष  एवं रक्षा प्रौद्योगिकी में-

  •  हल्के वायुयान, बुलेट प्रूफ जैकेट, नाईट विज़न सेंसर्स, हल्के हथियारों के उत्पादन में कार्बन नैनो ट्यून्स, नैनो फाईबर्स का प्रयोग किया जा रहा है।
  • उपग्रह के विभिन्न पेलोडस का निर्माण, ताप एवं घर्षण सहय सुरक्षात्मक परतों का निर्माण नैनो पदार्थों से किया जाता है।

 → अन्य उपयोग

  • टैक्सटाईल्स में जीवाणुरोधी गुणों से मुक्त कपड़े के निर्माण हेतु “सिल्वर नैनो कणों” का प्रयोग किया जाता है।
  • ऑटोमोबाईल्म में हल्के व मजबूत टायर्स के निर्माण में।
  • एलीवेटर केबल के निर्माण में।

Nano Technology – नैनो-प्रौद्योगिकी 

Nano Technology in Hindi - (ii) Wet Applications / नम अनुप्रयोग

 (ii) Wet Applications / नम अनुप्रयोग

 

कोशिकीय स्तर पर नैनो उत्पादों का अनुप्रयोग, जीवों के शरीर में नैनो संरचनाओं का प्रयोग तथा DNA के स्तर पर नैनो कणों का प्रयोग कर किसी विकार / रोग की पहचान, शरीर में ड्रग डिलीवरी, रोगों का उपचार व कृत्रिम नैनो अंग निर्माण नैनो प्रौद्योगिकी के नम अनुप्रयोगों में शामिल है।

→ नैनो बायोटेक्नोलॉजी –

  • इसमें नैनो स्तर की संरचनाओं जैसे C.N.T. / कार्बन नैनो ट्यूब्स, बायोसैसर्स, बायोमार्कर्स आदि की सहायता से चिकित्सा एवं जीव-विज्ञान के क्षेत्र में नैनो तकनीक का अनुप्रयोग किया जाता है।
  • डायमण्डॉइड्स व C.N.T. का उपयोग लक्षित अंग तक ड्रग डिलीवरी में किया जाता है। डेन्ड्रीमर नामक संरचना जो कि शाखित / branched नैनो संरचना है, ये कोशिका के भीतर प्रवेश कर सकती है तथा कोशिका के अंदर ड्रग डिलीवरी करती है।
  • नैनो कणों से निर्मित बायोसेंसर्स एवं नैनो प्रोब्स की सहायता से शारीरिक क्रियाओं में होने वाले परिवर्तन, किसी रोग की पहचान समय पर की जा सकती है।
  • प्रोस्टेट कैंसर, डायबिटीज आदि का पता प्रारंभिक अवस्था में ही लगाया जा सकता है।
  •  “Na-Nose” (नैनो  नोज़ (नाक) श्वास के साथ ली जाने वाली हानिकारक, VOC (Volatile organic compounds) के बारे में सूचित कर देता है, इनसे फेफड़ों के कैंसर की संभावना ज्यादा होती है।

 

→DNA नैनो टेक्नोलॉजी 

  • DNA स्वप्रविकृति / Self Replication दर्शाने वाला विशिष्ट जैव अणु/Biomolecule है. इसमें पौलीन्यूक्लियोटाईड श्रृंखलाएँ विशिष्ट कम में जुड़ी रहती है।
  • DNA नैनो टेक्नोलॉजी में के इन विशिष्ट गुणों का प्रयोग कर मजबूत एवं विशेष गुणों वाले नैनो पदार्थों के निर्माण में किया जा रहा है, इनमें ‘सेल्फ असेम्बलिग’ जैसे गुण भी पाए जाते हैं।
  • गोल्ड नैनो पार्टिकल्स को चुम्बकीय  क्षेत्र से उपचारित कर जब इन्हें DNA के साथ जोड़ते हैं तो ये DNA के विशेष भागों अर्थात् जीन्स/genes की क्रियाशीलता को प्रभावित करते हैं जिसमे थे जीन्स “स्विच ऑन या ऑफ” किए जा सकते हैं।  इस गुण का प्रयोग “जीन थरेपी” में किया जा सकता है।

 

→ कृत्रिम अंगे के निर्माण में

  •  CNT, क्वांटम डॉडस तथा नैनो कणों की सहायता से ऐसी कृत्रिम सरंचनाओं / अंगों का निर्माण संभव जिनकी क्षमता सामान्य मानव अंगों से कहीं ज्यादा होती है।
  • नैनो कर्ण  / Nano Ear –  ये स्वर्ण नैनो कण / Nano gold particle से बना, जो -60 डेसीबल की ध्वनि के लिए भी संबेदी।
  • नैनो बोन | Nana bone – ये हाइड्रॉक्सी ऐपेटाईट के नैनो क्रिस्टल्स व सिलिका जैल का मिश्रण है जिससे अस्थि/ Bone का निर्माण किया जाता है ।
  • डर्मल ग्राफ्ट Dermal graft – त्वचा के नष्ट हो जाने या चोट के कारण खराब त्वचा पर ऐसे नैनो  ग्राफ्ट का प्रयोग किया जाता है।

 

 कोशिकीय स्तर पर नैनो प्रौद्योगिकी

  • Anti-microbial सतहों  जैसे TiO2 से निर्मित, नैनो एन्जाय्म्स ऐसे कृत्रिम नैनो पदार्थ है जो सूक्ष्मजीवों जैसे बैक्टीरिया आदि को मार देते है।
  • नैनोकण कुछ कौशिकाओं, प्रोटीन्स के समान व्यवहार करते हुए हमारे प्रतिरक्षा तंत्र को सक्रिय बनाते है।