Mohan Yadav
– फोटो : Social Media
विस्तार
भाजपा में भी अब ‘यादव राज’ की शुरुआत हो गई है। मध्य प्रदेश भाजपा विधायक दल की बैठक में सोमवार को मोहन यादव को राज्य के अगले मुख्यमंत्री के लिए चुन लिया गया। मोहन यादव का नाम आते ही यह कहा जाने लगा है कि उनका नाम उत्तर प्रदेश और बिहार की राजनीति को ध्यान में रखते हुए तय किया गया है जहां अखिलेश यादव और तेजस्वी यादव के रूप में दो बड़े नेता यादव जातियों की राजनीति कर रहे हैं। भाजपा में बड़े यादव चेहरे के उभरने से सपा-राजद की जातीय राजनीति को कड़ी चुनौती मिल सकती है। इस तरह यूपी-बिहार की सियासत के लिए यह भाजपा का तुरुप का पत्ता साबित हो सकता है। हालांकि, राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि भाजपा को यह दांव बेहद सतर्कता के साथ खेलने की आवश्यकता है, अन्यथा उसे यह दांव उलटा भी पड़ सकता है।
उत्तर प्रदेश में यादवों की संख्या आठ प्रतिशत से कुछ अधिक मानी जाती है। हालांकि, कुल ओबीसी आबादी की यह लगभग 20 प्रतिशत है। अपनी इसी हिस्सेदारी के दम पर यादव जाति का ओबीसी समुदाय की राजनीति पर दबदबा है। इसी तरह बिहार में यादव समाज की हिस्सेदारी लगभग 14.26 प्रतिशत है। इसी जातीय समीकरण के दम पर लालू यादव बिहार में ओबीसी समुदाय के सबसे बड़े नेता बनकर उभरे और आज तक उनकी पार्टी राज कर रही है।
काफी कोशिशों के बाद भी भाजपा यूपी-बिहार की यादव जातियों की राजनीति में सेंध नहीं लगा पा रही थी, लेकिन मोहन यादव को मध्य प्रदेश की कमान सौंपकर उसने इन राज्यों के यादव मतदाताओं को यह संकेत दिया है कि वह उन्हें भी सत्ता की कमान सौंपने के लिए तैयार है। इस वोट बैंक को साधने के लिए अगले लोकसभा चुनावों में मोहन यादव यूपी-बिहार के यादव बहुल इलाकों में भाजपा का चुनाव प्रचार करते हुए देखे जा सकते हैं। उसे इसका लाभ मिल सकता है।
#Bjpअब #बजप #म #भ #यदव #रज #अखलशतजसव #स #अलग #लकर #खचन #स #ह #बनग #बत #Madhya #Pradesh #Politics #Assembly #Election #Mohan #Yadav #State