रवीना टंडन का नाम हिंदी सिनेमा में ऐसे सुपरहिट गानों का पर्याय रहा है जिनकी धुनों पर आज की पीढ़ी भी ठुमके लगाती है, रील्स बनाती है। बीते तीन दशक से सिनेमा में सक्रिय रवीना टंडन उन गिनी चुनी अभिनेत्रियों में से भी हैं, जिनके साथ देसी सिनेमा के दर्शकों का रिश्ता आज भी बना हुआ है। ओटीटी पर उन्होंने वेब सीरीज ‘अरण्यक’ से शुरुआत की और अब उनकी अगली सीरीज आ रही है, ‘कर्मा कॉलिंग’। कर्म और भाग्य में बराबर विश्वास करने वाली रवीना टंडन से ये एक्सक्लूसिव बातचीत की, ‘अमर उजाला’ के सलाहकार संपादक पंकज शुक्ल ने।
आपकी नई सीरीज आ रही है कर्मा कॉलिंग और गीता में तो कहा ही गया कि कर्म करते रहिए, फल की चिंता मत करिए..लेकिन यहां फल शायद बदले का है..?
कह सकते हैं आप। लेकिन हम सब का बचपन से विश्वास गीता पर रहा ही है और उसके सबक जो हैं वे हमने बचपन से आत्मसात किए हैं। हमारा धर्म ही ये कहता है। लेकिन, हमारी सीरीज में जो ‘बदला’ है वह भी हमने कर्म पर ही छोड़ा है कि जो आपके कर्म हैं, वे कभी न कभी लौटकर, आपको तलाशकर वापस आप तक आते ही हैं। यही एक बात हम इस कहानी में बार बार दोहरा रहे हैं कि जो तुम करोगे, वैसा ही फल तुम पाओगे।
अलीबाग की जो इंद्राणी कोठारी है इस कहानी में, उसके बारे में ट्रेलर में बताया जा रहा है कि वह 90 के दशक की एक दिवा (हीरोइन) है, किरदार बहुत कुछ रवीना जैसा ही लगता है, इसके पीछे कोई खास विचार रहा बनाने वालों का?
आप तो मुझे जानते हैं इतने बरसों से। मैं तो बहुत ही मिलनसार और ऊर्जावान हूं। और मुझसे जो भी मिलता है, उसे मैं बहुत सामान्य महसूस कराने की कोशिश करती हूं जो कि मेरा मानना है सबको एक सामान्य व्यक्ति के रूप में रहना ही चाहिए। इंद्राणी का जो किरदार है वह मेरी व्यक्तिगत पहचान से बिल्कुल अलग है। हर इंसान की अलग जीवन यात्रा होती है और हर किरदार में हम अपने व्यक्तिगत अनुभव शामिल नहीं कर सकते हैं।
इससे पहले माधुरी दीक्षित ने वेब सीरीज ‘फेमगेम’ में एक हीरोइन का किरदार कैमरे के सामने किया और आपका किरदार भी ‘कर्मा कॉलिंग’ में एक पूर्व हीरोइन का ही बताया जा रहा है। उस दौर की जो नायिकाएं हैं, उनसे देश के आम दर्शकों का रिश्ता आज भी बना हुआ है। आज भी गांव, देहात और छोटे कस्बों में उन्हीं के गाने बजते सुनाई देते हैं, इस रिश्ते को बनाए रखने के लिए आप कितना प्रयास करती रहती हैं?
मेहनत तो हर कोई करता है। मैं ये नहीं कह सकती है मैं कुछ ज्यादा करती हूं लेकिन किसी काम को लेकर जो समर्पण और ईमानदारी की जरूरत होती है, वह जब हम करते हैं तो वह दर्शकों के दिलों को छूता ही है। 32-33 साल से मैं काम कर रही हूं तो मुझे लगता है कि मैंने पूरी ईमानदारी से काम किया है। मेहनत करने से कभी डरे नहीं। लोग कहते हैं कि अरे, इनका संघर्ष क्या है? लेकिन, इतने साल मुख्यधारा में बने रहना, एक मुकाम हासिल करना और यहां तक आने के बाद भी अच्छे किरदार मिलते रहना, अपने आप में ही एक अलग संघर्ष होता है।
बिल्कुल, भाग्य की बहुत बहुत जरूरत होती है। आपके ग्रह, नक्षत्र जब सही सीध में होते हैं तो बहुत जल्दी काम हो जाता है। नहीं तो कभी तो आप जितनी भी मेहनत कर लो। हर फिल्म में हम उतनी ही मेहनत करते हैं लेकिन कभी कभी फिल्म नहीं चलती तो बुरा लगता है कि हमारी मेहनत बेकार गई। हमने एक किरदार विकसित किया जो दर्शकों के दिलों तक नहीं पहुंच पाया। दिल को बहुत ठेस पहुंचती है तब। लेकिन हमें आगे तो बढ़ना ही होता है। मैं बीते हुए कल या आने वाले कल में नहीं जीती हूं। मैं आज में और इस पल में जीती हूं जो मेरे सामने है कि इस समय जो हो रहा है, उसे अपना सर्वश्रेष्ठ कैसे दे सकती हूं।