Class 10 Science Notes in Hindi - PDF - Important Questions & Answers Part-10

Class 10 Science Notes in Hindi - PDF - Important Questions & Answers

Class 10 Science Notes in Hindi PDF – Important Q&A – पादप एवं जन्तुओं के आर्थिक महत्व- Economic Importance of Plants and Animals

Class 10 Science Notes in Hindi PDF – Important Q&A -पादप एवं जन्तुओं के आर्थिक महत्व – Economic Importance of Plants and Animals

Class 10 Science Notes in Hindi  PDF – Important Questions and Answers

पादप एवं जन्तुओं के आर्थिक महत्व (Economic Importance of Plants and Animals)

                                                                                                                                   

पादप एवं जन्तुओं के आर्थिक महत्व

(Economic Importance of Plants and Animals)

Class 10 Science Notes in Hindi PDF – Important Q&A -पादप एवं जन्तुओं के आर्थिक महत्व – Economic Importance of Plants and Animals

  • प्रवाल का काम किस पदार्य का बना होता है – कैल्सियम कार्बोनेट 
  • लाख कीट का वैज्ञानिक नाम बताइए –  लैसिफर लैका
  • रेशम कीट का वैज्ञानिक नाम बताइए – बोम्बिक्स मोराई
  • राजस्थान का राज्य पुष्प कौनसा है – रोहिड़ा
  • मारवाड़ का सागवान किसे कहते है – रोहिड़ा
  • राजस्थान का राज्य वृक्ष कौनसा है – प्रोसोपिस सिनेरेरिया ( खेजड़ी )
  • एपीकल्चर किसे कहते हैं –मधुमक्खी पालन को
  • सेरीकल्चर किसे कहते है –रेशम कीट पालन को

कुछ पादपों के वैज्ञानिक नाम  (Scientific Names of Important Plants in English as well as in Hindi) 

Scientific Name Of Mango – आम का वैज्ञानिक नाम – Mangifera Indica ( मैग्नीफेरा इंडिका )
Scientific Name Of Orange – संतरा का वैज्ञानिक नाम – Citrus Sinensis ( साइट्रस सीनेन्सिस )
Scientific Name Of Papaya – पपीता का वैज्ञानिक नाम – Carica Papaya ( कैरीका पपाया )
Scientific Name Of Coconut – नारियल का वैज्ञानिक नाम – Coco Nucifera ( कोको न्यूसीफेरा )
Scientific Name Of Banana – केला का वैज्ञानिक नाम – Musa Paradisiaca ( मूसा पेराडिसिएका )
Scientific Name Of Pineapple – अनानास का वैज्ञानिक नाम – Comosus Pineapple ( कॉमोजस पाइनएप्पल )
Scientific Name Of Apple – सेब का वैज्ञानिक नाम – Malus Pumila/Domestica ( मेलस प्यूमिला/डोमेस्टिका )
Scientific Name Of Grape – अंगूर का वैज्ञानिक नाम – Vitis ( विटिस )
Scientific Name Of Pear – नाशपाती का वैज्ञानिक नाम – Pyrus Communis ( पाइरस कॉममुनिस )
Scientific Name Of Litchi – लीची का वैज्ञानिक नाम –  Litchi Chinensis ( लीची चिन्नीसिस )
Scientific Name Of Sugarcane – गन्ना का वैज्ञानिक नाम – Saccharum officinarum ( सच्चारुम औफिसीनेरम )
Scientific Name Of Beetroot – चुकंदर का वैज्ञानिक नाम – Beta Vulgaris ( बीटा वल्गैरिस )
Scientific Name Of Mango – आम का वैज्ञानिक नाम – Mangifera Indica ( मैग्नीफेरा इंडिका )
Scientific Name Of Orange – संतरा का वैज्ञानिक नाम – Citrus Sinensis ( साइट्रस सीनेन्सिस )
Scientific Name Of Papaya – पपीता का वैज्ञानिक नाम – Carica Papaya ( कैरीका पपाया )
Scientific Name Of Coconut – नारियल का वैज्ञानिक नाम – Coco Nucifera ( कोको न्यूसीफेरा )
Scientific Name Of Banana – केला का वैज्ञानिक नाम – Musa Paradisiaca ( मूसा पेराडिसिएका )
Scientific Name Of Pineapple – अनानास का वैज्ञानिक नाम – Comosus Pineapple ( कॉमोजस पाइनएप्पल )
Scientific Name Of Apple – सेब का वैज्ञानिक नाम – Malus Pumila/Domestica ( मेलस प्यूमिला/डोमेस्टिका )
Scientific Name Of Grape – अंगूर का वैज्ञानिक नाम – Vitis ( विटिस )
Scientific Name Of Pear – नाशपाती का वैज्ञानिक नाम – Pyrus Communis ( पाइरस कॉममुनिस )
Scientific Name Of Litchi – लीची का वैज्ञानिक नाम –  Litchi Chinensis ( लीची चिन्नीसिस )
Scientific Name Of Sugarcane – गन्ना का वैज्ञानिक नाम – Saccharum officinarum ( सच्चारुम औफिसीनेरम )
Scientific Name Of Beetroot – चुकंदर का वैज्ञानिक नाम – Beta Vulgaris ( बीटा वल्गैरिस )
Scientific Name Of Wheat – गेंहू का वैज्ञानिक नाम – Triticum Aestivum ( ट्रिटिकम एस्टीवम )
Scientific Name Of Paddy – धान का वैज्ञानिक नाम – Oryza Sativa ( औरिजा सैटिवा )
Scientific Name Of Maize – मक्का का वैज्ञानिक नाम – Zia Mays ( जिया मेज )
Scientific Name Of Cotton – कपास का वैज्ञानिक नाम – Gossypium ( गौसीपीयम )
Scientific Name Of Coffee – कॉफ़ी का वैज्ञानिक नाम – Coffea Arabica ( कॉफिया अरेबिका )
Scientific Name Of Tea – चाय का वैज्ञानिक नाम – Thea Sinensis ( थिया साइनेन्सिस )
Scientific Name Of Mustard Plant – सरसों का वैज्ञानिक नाम – Brassica Campestris ( ब्रेसिका कम्पेस्टरीज )
Scientific Name Of Pearl Millet – बाजरा का वैज्ञानिक नाम – Pennisetum Americanum ( पेनिसिटम अमेरीकोनम )
Scientific Name Of Tomato – टमाटर का वैज्ञानिक नाम – Lycopersicon Esculentum ( लाइकोप्रेसिकन एस्कुलेँटम )
Scientific Name Of Lemon – नीबू का वैज्ञानिक नाम – Citrus Limon ( साइट्रस लिमोन )
Scientific Name Of Ginger – अदरक का वैज्ञानिक नाम – Zingiber Officinale ( जिंजिबर आफिसिनेल )
Scientific Name Of Carrot – गाज़र का वैज्ञानिक नाम – Daucus Carota ( डाकस कैरोटा )
Scientific Name Of Cauliflower – फूलगोभी का वैज्ञानिक नाम – Brassica Oleracea ( ब्रेसिका ओलेरेसिया )
Scientific Name Of Pea – मटर का वैज्ञानिक नाम – Pisum Sativum ( पाइसम सटिवाम )

प्र- 1 -रेशम कीट की विभिन्न अवस्थाओं के बारे में बताते हुए समझाइए की रेशम कैसे बनता है ?

उत्तर – रेशम कीट एक पतंग का केटरपिलर होला है जिसके कोकून से रेशम बनाया जाता है । इसका नाम बौम्बिक्स मोराई है । एक रेशम कीट के जीवन चक्र में निम्न अवस्थाएं होती हैं –

  1. पूर्णाक अवस्था – एक व्यस्क रेशम कीट के 4 से 5 सेमी लम्बे पंख होते हैं । नर की तुलना में मादा का शरीर बड़ा होता है । इस अवस्था में न ये खाते हैं और न ही अधिक चलते फिरते है केवल प्रजनन करते हैं ।
  2. अंडे – मादा 300 से 600 छोटे – छोटे अंडे देती है । जिनमें से 7 से 14 दिनों में काले काले लार्वा  निकलते हैं ।
  3. लार्वा – यह 2 से 3 मिमि लंबे होते हैं इन्हें केटरपिलर कहते है यह शहतूत की पत्तियां खाते हैं । इनके मुंह में स्थित एक जोड़ी लार ग्रंथियों से लार निकलती है जो हवा के संपर्क में आकर सूखकर धागा बन जाती है । लगभग 45 दिनों में पूर्ण विकसित होने पर कैटरपिलर की लंबाई 7.5 सेमी हो जाती है ।
  4. प्यूपा – जब कैटरपिलर इस धागे को अपने चारो ओर लपेटता हुआ कोकून का निर्माण करके उसके अंदर बंद हो जाता है तो प्यूपा में परिवर्तित हो जाता है । प्यूपा एक मोथ में बदलकर कोकून से बाहर निकलता है जो उसकी पूर्णाग अवस्था होती है ।
  5. रेशम बनाना – जब कैटरपिलर कोकून में बंद हो जाता है तो कोकून को गर्म पानी में डालने से कैटरपिलर मरकर पानी में घुल जाता है और कोकून से रेशम का लंबा धागा प्राप्त किया जाता है एक कोकून से लगभग 1000 से 1200 मीटर लंबा रेशम का धागा प्राप्त होता है |

प्र . 2 – मधुमक्खी पालन में मक्खियों के मध्य विभाजन को समझाइए तथा इसका महत्व लिखिए ।

उत्तर  – मधुमक्खियां झुंड बनाकर रहती है जिसे कॉलोनी कहते हैं मधुमक्खियों को फूलों से रस संग्रह करना , छते का निर्माण , प्रजनन करना , अपने संघ की सुरक्षा करना आदि कार्य करने पड़ते है अलग – अलग कार्यो के लिए अलग – अलग प्रकार की मधुमक्खियां निर्धारित रहती हैं इस विधि से कार्य करने को श्रम विभाजन कहते हैं | श्रम विभाजन के आधार पर एक कोलोनी में तीन तरह की मधुमखियाँ होती हैं – रानी , नर तथा कमेरी

  1. रानी –  एक कोलोनी में हजारों मधुमक्खियां होती हैं इनमें रानी केवल एक होती है , यह वास्तव में पूर्ण विकसित मादा होती है , पूरी कॉलोनी में अंडे देने का काम अकेली रानी मधुमक्खी ही करती है , यह आकार में अन्य मधुमक्खियों से बड़ी और चमकीली होती है जिससे इसे झुंड में आसानी से पहचाना जा सकता है ।
  2. नर मधुमक्खी – मौसम और प्रजनन काल के अनुसार नर मधुमक्खियों की संख्या घटती बढती रहती है प्रजनन काल में एक कॉलोनी में यह ढाई तीन सौ तक हो जाते हैं जबकि विपरीत परिस्थितियों में इनकी संख्या 0 तक हो जाती है इनका काम केवल रानी मधुमक्खी का गर्भाधान करना है , गर्भाधान के लिए यद्यपि कई नर प्रयास करते हैं जिनमें से एक ही सफल हो पाता है ।

  3. कमेरी – इन्हें श्रमिक भी कहते हैं ।इनका मुख्य कार्य फूलों का रस इक्कट्ठा करना है ।

प्र- 3 – मछलीपालन के महत्व को समझाइए|

उत्तर  –  मछली एक आसानी से प्राप्त होने वाला भोजन है विकासशील देशो में करोड़ों लोगों को मछलीपालन से रोजगार मिलता है । यह प्रोटीन युक्त और आसानी से पचने वाला भोजन होता है , इसमें वसा की मात्रा कम होती है, इसमें आयोडीन , विटामिन A.D प्रचुर मात्रा में होते है । मच्छरों से होने वाली बीमारियों को नियंत्रित करने में मछलीपालन का महत्व है क्योंकि मछलियां पानी में मच्छरों के लार्वा को खा जाती है । मछलियों को एक्वेरियम में पालकर विभिन्न स्थानों की सुंदरता में वृद्धि की जाती है । शार्क , सोफिश , कोड मछली के लीयर से तेल , मछली के मल से खाद और मछली की त्वचा से गोद , घमड़ा आदि बहुत से बहुमूल्य पदार्थ बनाए जाते हैं ।

प्र- 4 – मुर्गीपालन का क्या महत्व है ? मुर्गियों में होने वाले रोगों के नाम लिखिए|

उत्तर  – मुर्गी पालन से अंडे और चिकन के रूप में एक सस्ता और सुलभ भोज्य पदार्थ प्राप्त होता है जिसमें प्रचुर मात्रा में प्रोटीन होती है , मुर्गी पालन बहुत सारे लोगों के लिए आय और रोजगार का साधन है अंडों से वेक्सीन और अनुपयोगी अंडो से पशु आहार और खाद बनाई जाती है अंडे की सफेदी का प्रयोग दवाइयों , रंग ,वार्निश , मुद्रण स्याही , किताब बाइंडिंग में होता है अंडे की जर्दी केक  , साबुन , शेपू आदि में प्रयुक्त होती है ।

मुर्गियों में होने वाले रोग – न्यू केसल , एवियन इन्फ्लूएंजा ( बर्ड फ्लू ) , बोटुलिज्म , कोक्षीडिओसिस , फाउल हेजा आदि ।

प्र – 5- मोती का निर्माण कैसे होता है ?

उत्तर  – मोलस्का संघ के जंतु ( सीप ) के द्वारा  स्रावित पदार्थ  के संचय से निर्मित गोलाकार , सफेद , चिकने , धमकीले और कैल्शियम कार्बोनेट का नाम मोती है ।

घोंघा अपने शरीर से निकलने वाले एक पदार्थ से एक घरनुमा सुरक्षित और सुंदर कवच का निर्माण करता है जिसे सीप कहते हैं ।

ओएस्टर जाति का घोंघा वायु , जल व भोजन के लिए कभी – कभी जब सीप के द्वार खोलता है तो रेत कण कीड़े मकोड़े आदि विजातीय पदार्थ सीप में प्रवेश कर जाते हैं ।

घोंघा अपनी त्वचा से निकलने वाले नेक्रे नामक चिकने तरल पदार्य द्वारा उस विजातीय पदार्थ पर परते चढ़ाने लगता है । इस नाभिक के चारों ओर जमने वाला पदार्थ अंत में मोती का रूप लेता है, रासायनिक रूप से मोती सूक्ष्म क्रिस्टलीय रूप में कैल्शियम कार्बोनेट है ।

Class 10 Science Notes in Hindi PDF – Important Q&A -पादप एवं जन्तुओं के आर्थिक महत्व – Economic Importance of Plants and Animals

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