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Class 10 Science Notes in Hindi – PDF – Important Questions Answers Part- Structure of the Earth

Class 10 Science Notes in Hindi - PDF - Important Questions & Answers

Class 10 Science Notes in Hindi PDF – Important Q&A -पृथ्वी की संरचना –  Structure of the Earth

Class 10 Science Notes in Hindi PDF – Important Q&A -पृथ्वी की संरचना – Structure of the Earth

Class 10 Science Notes in Hindi  PDF – Important Questions and Answers

पृथ्वी की संरचना (Structure of the Earth(अंक  भार  – 3)

                                                                                                                                   

पृथ्वी की संरचना

(Structure of the Earth)

Class 10 Science Notes in Hindi PDF – Important Q&A -पृथ्वी की संरचना – Structure of the Earth

प्रश्न 1 – अपक्षयण की शक्तियों का कृषि में क्या लाभ हैं ?

उत्तर – अपक्षयण की शक्तियां चट्टान को तोड़कर कृषि के लिए उपजाऊ मिट्टी का निर्माण करती हैं । इन्हीं शक्तियों ने कृषि के लिए आवश्यक मैदानों का निर्माण किया है । बट्टानों की अपक्षय के कारण चट्टानों में संचित कई प्रकार के रसाय आते हैं ।

प्रश्न 2 – अपक्षयण में मदद करने वाले चार कारण लिखिए ।

उत्तर – सूर्य की गर्मी -दिन में सूर्य की गर्मी से चट्टानें फैलती हैं और रात में सिकुड़ती हैं बार – बार ऐसा होने से चट्टानें कमजोर होकर टूटने लगती हैं ।

वर्षा जल -गरम चट्टानों पर वर्षा का जल गिरकर उनके टूटने की गति को तेज करता है । बहता हुआ जल चट्टानों को काटता है ।

पाला -चट्टानों की दरारों में जमा वर्षा का जल अत्यधिक ठंड में जमकर बर्फ बनता है , बर्फ का आयतन अधिक होने के कारण चट्टानें दबाव के कारण चटकने लगती हैं ।

हवा -हवा के साथ उड़ते हुए धुल कण चट्टानों से टकरा कर उन्हें रेगमाल की तरह घिस कर क्षय करते हैं ।

प्रश्न 3 – पृथ्वी की बाहरी परत को क्या कहते हैं ? वह इनके प्रकार बताइए ।

उत्तर – पृथ्वी की बाहरी परत को जो ठोस होती हैं , इसे भूपर्पटी कहते हैं । पृथ्वी को मोटें तौर पर तीन परतों से बना माना जाता है

1. भूपर्पटी – यह भारी ठोस परत है जिसे पृथ्वी की त्वचा कहा जाता है । इसकी मोटाई सभी स्थानो पर एक समान नहीं है । इस अन्तर के कारण ही कहीं पहाड़ तो कहीं समुद्र बने है ।

2 मेंटल – यह पृथ्वी की दूसरी परत है । यह सबसे मोटी परत है।यह अधिकांशतः गरम पिघली चट्टानों से बनी है ।

3.क्रोड यह पृथ्वी का केन्द्रिय भाग है । यह सर्वाधिक गहराई पर होने के कारण सबसे अधिक गरम होता है ।

प्रश्न 4 – ज्वालामुखी के बारे में आप क्या जानते हैं ? ज्वालामुखी से होने वाले लाभ लिखिए ।

उतर – ज्वालामुखी पृथ्वी की आन्तरिक विवर्तनिक शक्तियों की एक महत्वपूर्ण घटना है । इसमें पृथ्वी के अन्दर होने वाली हलचल के कारण धरती हिलने लगती है तथा भूपटल को फोड़कर धूआं , राख , वाष्प एवं गैसें बाहर निकलने लगती है । कई बार अतितप्त चट्टाने पिघलकर लावा के रुप में बाहर बहने लगती है । पृथ्वी की सतह पर बने मुख से ज्वालाएँ निकलने के कारण इनका हिन्दी नाम ज्वालामुखी पड़ा ।

ज्वालामुखी से होने वाले लाभ – ज्वालामुखी के द्वारा बनी मिट्टी अत्यधिक उपजाऊ होती है । लावा के साथ कई उपयोगी पदार्थ बाहर आते हैं जैसे – गंधक बोरीक अम्ल , कीमती धातुएं , आदि । ज्वालामुखी के कारण ही गर्म पानी के झरने बनते हैं ।

प्रश्न 5 – भूकंप के क्या कारण है ?

उतर – प्लेट विवर्तन सिद्धांत के अनुसार पृथ्वी के महाद्वीप 29 प्लेटों पर स्थित है इन में 6 प्लेटें प्रमुख है । यह प्लेटें धीरे धीरे गति करती हैं और आपस में टकराने या रगड़ने या फिसलने पर भूकंप आता है ।समस्त विवर्तनिक घटनाएं इन्हीं प्लेटो के किनारों पर होती है । प्लेटो के किनारे तीन प्रकार के होते हैं रचनात्मक , विनाशी , और संरक्षि । विनाशी किनारों पर जोर से विनाशक भूकंप आते हैं उत्तरी भारत , तिब्बत और नेपाल के भूकंप का कारण इन प्लेटो के टकराव को माना जाता है । प्लेटो के किनारे विनाशी नहीं होने वाले भागों मे भी भूकंप आते है ।

प्रश्न 6 – ज्वार भाटा किसे कहते हैं ? इसकी उत्पत्ति के क्या कारण है ?

उतर – धरती पर स्थित सागरों के जल स्तर का सामान्य स्तर से ऊपर उठना ज्वार और नीचे गिरना भाटा कहलाता है । पृथ्वी , चंद्रमा और सूर्य की पारस्परिक गुरुत्वाकर्षण शक्ति की क्रियाशीलता ही ज्वार भाटा की उत्पत्ति का मुख्य कारण है । पूर्णिमा और अमावस्या को तीनो एक सरल रेखा में आ जाने के कारण ज्वार प्रबल होता है । ज्वार भाटे के रूप में समुद्र का जल बड़ी मात्रा में ऊपर उठता है इस कारण से अपक्षय और अपरदन होता है और नये भुमिरूपों का निर्माण होता है ।

प्रश्न 7- सूर्य से अलग होने के बाद पृथ्वी में क्या परिवर्तन हुए ?

उतर – सूर्य से अलग होने के बाद पृथ्वी उबलते हुए द्रव के गोले की तरह थी इसके घूमने की गति बहुत तेज थी और लंबे समय तक यह तरल ही रही । अंतरिक्ष के पिंड इस से टकराते रहे लगभग 4.4 अरब वर्ष पहले मंगल ग्रह के आकार के एक पिंड के पृथ्वी से टकराने से चंद्रमा की उत्पत्ति हुई । इसका बाहर का भाग ठंडा होता रहा । ठंडा होने में इसे करोड़ों वर्ष लग गये । इस समय भारी तत्व गहराई में चले गए और हल्के सतह पर बने रहें । शेष बची गैसों का वायुमंडल बना और जीवन की उत्पत्ति के बाद इसमें और अधिक परिवर्तन हुए ।

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