भारत सहित दुनिया के कई देशों में
कोरोना के नए वैरिएंट JN.1 के कारण संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ते हुए रिकॉर्ड किए जा रहे हैं। ओमिक्रॉन वैरिएंट का ही एक म्यूटेटेड रूप माना जा रहा JN.1 अधिक संक्रामकता और आसानी से शरीर में वैक्सीन से बनी प्रतिरक्षा प्रणाली को चकमा देने वाला पाया गया है। इसकी प्रकृति को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इसे ‘वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट’ के रूप में वर्गीकृत किया है।
JN.1 को लेकर अब तक हुए अध्ययनों में पाया गया है कि वैसे तो इसके कारण गंभीर रोग विकसित होने का खतरा कम है, पर ये वैरिएंट तेजी से फैल सकता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कोरोना के बढ़ते मामलों को लेकर अलर्ट करते हुए सभी लोगों को बचाव करते रहने की सलाह दी है।
डॉक्टर्स कहते हैं कोरोना के कारण कुछ प्रकार की गंभीर बीमारियों का खतरा भी बढ़ रहा है, जिसको लेकर सावधानी बरतनी जरूरी है।
नए वैरिएंट के कारण बढ़ रहा है संक्रमण
इन बीमारियों के बारे में जानने से पहले देश में कोरोना की स्थिति जान लीजिए।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार पिछले 24 घंटे में 412 नए लोगों में संक्रमण की पुष्टि की गई है, इसके साथ देश में कोरोना के एक्टिव मामलों की संख्या 4100 को पार कर गई है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों ने सोमवार को बताया कि रविवार तक कोरोना के नए JN.1 वैरिएंट से संक्रमित कुल 63 मामलों का पता चला है, जिसमें गोवा में सबसे अधिक मामले दर्ज किए गए हैं। कुल मामलों में से 34 गोवा से, नौ महाराष्ट्र, आठ कर्नाटक, छह केरल, चार तमिलनाडु और दो तेलंगाना में रिपोर्ट किए गए हैं।
खसरा और एसएसपीई का जोखिम
इस बीच किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) लखनऊ के न्यूरोलॉजी विभाग द्वारा आयोजित कार्यक्रम में प्रोफेसर आर.के. गर्ग ने कहा, कोरोना ने कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ाई हैं। इसके कारण खसरा और सबस्यूट स्केलेरोजिंग पैनेंसेफलाइटिस (एसएसपीई) का जोखिम भी काफी बढ़ गया है। कोविड महामारी के दौरान 2020 से 2022 के बीच इन बीमारियों के टीकाकरण में समस्या आई है जिसके कारण इन रोगों का जोखिम हो सकता है।
बच्चों में इसका खतरा अधिक होता है, जिसको लेकर सभी लोगों को सावधान रहना होगा।
कितनी गंभीर है ये बीमारी?
सबस्यूट स्केलेरोजिंग पैनेंसेफलाइटिस (एसएसपीई), खसरा वायरस के कारण होने वाली गंभीर जटिलता है। हालांकि इसके मामले काफी दुर्लभ रहे हैं। खसरे के वायरस को टीकाकरण से रोका जा सकता है, व्यापक स्तर पर टीकाकरण ने एसएसपीई की समस्या को काफी नियंत्रित किया हुआ था। हालांकि पिछले कुछ वर्षों में टीकाकरण में आई बाधा के कारण भारत सहित कई देशों में खसरे के फिर से उभरने का जोखिम है, जिसने एसएसपीई के लिए भी चिंताओं को बढ़ा दिया है।
मस्तिष्क से संबंधित समस्याओं का खतरा
सबस्यूट स्केलेरोजिंग पैनेंसेफलाइटिस (एसएसपीई) को खसरा वायरस के कारण होने वाली दीर्घकालिक समस्या है। खसरे के संक्रमण के दौरान कभी-कभी वायरस मस्तिष्क में प्रवेश कर जाता है। इस स्थिति में खसरे का वायरस मस्तिष्क में संक्रमण (एन्सेफलाइटिस) का भी कारण बन सकता है। इतना ही नहीं वायरस बिना किसी समस्या के लंबे समय तक मस्तिष्क में रह भी सकता है।
महिलाओं की तुलना में पुरुषों में इसका खतरा अधिक देखा जाता रहा है। एसएसपीई विकसित होने का जोखिम उन लोगों में सबसे अधिक होता है जो 2 वर्ष की आयु से पहले खसरे से संक्रमित हो जाते हैं। एसएसपीई आमतौर पर बच्चों या युवा वयस्कों में शुरू होता है।
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नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।
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