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मौसमी बदलाव के बाद बढ़ रहे वायरल, फ्लू जैसे मामलों में इम्युनिटी सुरक्षा कवच का काम करेगी। यह चीनी बच्चों में फैल रहे माइको प्लाज्मा निमोनिया से लड़ने में भी कारगर है। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में चीन जैसे हालत नहीं होंगे। फिर भी सतर्क रहने की जरूरत है।
देश में बच्चे अक्सर इन्फ्लूएंजा और उसके सीरो टाइप से प्रभावित होते रहते हैं। यहां जुखाम, खांसी जैसे रोग सामान्य है। मौजूदा समय में यह रोग हर घर में बच्चों को प्रभावित कर रहा है। बच्चे इससे पीड़ित होकर ठीक भी हो रहे हैं। ऐसे में इनके खिलाफ इम्युनिटी बन गई होगी। एच 9 एन 2 इन्फ्लूएंजा (माइको प्लाज्मा निमोनिया) भी इसी का हिस्सा है। यह चीन में स्कूल जाने वाले बच्चों को प्रभावित कर रहा है। उनमें बुखार, खांसी सहित कोविड जैसे गंभीर लक्षण बना रहा है।
लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज के निदेशक डॉ. सुभाष गिरी ने कहा कि चीन में कोरोना के बाद लॉकडाउन को सख्ती से लागू किया गया। वहां पर बच्चे इन्फ्लूएंजा के चपेट में नहीं आए, जबकि देश में यह आम बात है। यहां के बच्चों में जुखाम, खासी होना आम बात है। मौसम के आधार पर इन्फ्लूएंजा का वायरस अपनी प्रोटिन (सीरो टाइप) में बदलाव करके मजबूत होता है।
ऐसे में यदि बच्चे इन बदले हुए स्वरूप की चपेट में आते हैं तो गंभीर हो सकते हैं, लेकिन देश इससे बच्चों में गंभीरता होने की आशंका कम है। बच्चों में इनके प्रति इम्युनिटी बन गई है। इसके अलावा यदि बच्चे अपने लाइफ स्टाइल में सुधार करें तो ऐसे रोगों के खिलाफ इम्युनिटी मजबूत होगी और रोग प्रभावी नहीं हो पाएगा।
करें प्रकृति के नियम का पालन
किसी भी रोग से लड़ने में दवा से बेहतर उसके खिलाफ शरीर में बनी इम्युनिटी है और इसे मजबूत करने में पोषक आहार, बेहतर लाइफ स्टाल महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जग प्रवेश अस्पताल में आयुष विभाग के वरिष्ठ डॉ. नीरज त्रिपाठी ने बताया कि यदि हम प्रकृति का अनुसरण करें तो मौसमी रोगों से बच सकते हैं। प्रकृति मौसम के आधार पर शरीर की जरूरत को देखते हुए खाने-पीने की वस्तु देती है। ऐसे में यदि मौसमी फल-सब्जी का सेवन करेें तो शरीर स्वस्थ रहेगा। साथ ही योग, व्यायाम भी हमें मजबूत बनाएगा।
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