delhi high court
– फोटो : ANI
विस्तार
उच्च न्यायालय ने बुधवार को एक महिला की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उसने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में अपनी बेटी का प्रवेश सुनिश्चित करने के लिए एक व्यक्ति को दिए गए 30 लाख रुपये की वसूली की मांग की थी।
न्यायमूर्ति जसमीत सिंह ने महिला को कोई भी राहत देने से इन्कार करते हुए कहा कि महिला ने स्वयं एक अवैधता कायम रखी और कानून ऐसे अनुबंधों को मान्यता नहीं देता है जो गैर-कानूनी, अनैतिक और सार्वजनिक नीति के खिलाफ हैं। अदालत ने कहा कि एम्स में एमबीबीएस पाठ्यक्रम की सीटें बिक्री के लिए नहीं हैं। अपीलकर्ता भोला हो सकता है, लेकिन अदालत ऐसे व्यक्ति की सहायता के लिए नहीं आ सकती, जिसने गैर-कानूनी काम किया है।
महिला ने निचली अदालत के उस आदेश के खिलाफ अपील में उच्च न्यायालय का रुख किया था, जिसमें उस व्यक्ति से 30 लाख रुपये की वसूली के लिए उसके मुकदमे को खारिज कर दिया गया था, जिसने कथित तौर पर स्वास्थ्य मंत्री और अधिकारियों के साथ संपर्क होने का दावा करते हुए उसे संस्थान में अपनी बेटी के लिए सीट सुरक्षित करने के लिए पैसे देने का लालच दिया था।
अदालत ने कहा कि एम्स में प्रवेश पाने के इच्छुक छात्रों ने प्रतिदिन 18 घंटे पढ़ाई की और अपीलकर्ता ने धोखाधड़ी कर कतार में कूदने की कोशिश की। अगर 40 लाख रुपये का भुगतान करके आप सीट पाने में सक्षम हैं, तो हमारे देश का क्या होगा। मामले के तथ्य एक निराशाजनक तस्वीर पेश करते हैं। अदालत ने माना कि निचली अदालत के आदेश में कोई अवैधता नहीं है।
#Delhi #दलल #हईकरट #न #कह #बकर #क #लए #नह #ह #एमस #म #एमबबएस #पठयकरम #क #सट #Delhi #High #Court #Mbbs #Seats #Aiims #Sale