सांकेतिक तस्वीर…
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एक अध्ययन के अनुसार भारत की बुजुर्ग आबादी अगले 20 साल में तीन गुना अधिक हो जाएगी। तब दो या उससे अधिक बीमारियों की चपेट में आने वाले बुजुर्ग रोगियों की संख्या भी काफी ज्यादा होगी। चिकित्सकों ने चेताया है कि अगर अभी से बुजुर्ग रोगियों के स्वास्थ्य पर खर्च नहीं बढ़ाया गया, तो सरकारी अस्पतालों पर बोझ बढ़ेगा।
दिल्ली के मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज (एमएएमसी) के डॉक्टरों का यह अध्ययन इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईजेएमआर) में प्रकाशित हुआ है। चिकित्सकों ने लोकनायक अस्पताल में भर्ती एक हजार बुजुर्ग मरीजों की दवाओं पर खर्च के विश्लेषण के आधार पर यह रिपोर्ट तैयार की है। इनकी दवाओं पर 10.87 लाख रुपये खर्च हुए हैं। इन्हें 127 फॉर्मूलेशन की 8,366 दवाएं दी गईं।
इनमें सबसे ज्यादा 91% खर्च पैरेंट्रल यानी पाचन तंत्र के अलावा अन्य मार्ग जैसे इंजेक्शन या इन्फ्यूजन से दी जाने वाली दवाओं पर हुआ। गौर करने वाली बात है कि जिन बुजुर्ग मरीजों को एक से अधिक बीमारी के चलते भर्ती करना पड़ा, उनमें दवाओं पर खर्च सबसे अधिक था। नर्सिंग, डॉक्टर की सलाह व जांच जैसी ज्यादातर सेवाएं सरकारी अस्पतालों में निशुल्क हैं। यह स्थिति तब है, जब संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या प्रभाग ने साल 2050 तक भारत में बुजुर्ग आबादी 30 करोड़ से अधिक होने का अनुमान लगाया है, जो अभी 10 करोड़ के आसपास है। अध्ययन के अनुसार, राष्ट्रीय स्तर पर बड़े सरकारी अस्पतालों में खर्च का हिसाब करोड़ों में हो सकता है, जो 20 साल में करीब 400 गुना तक बढ़ सकता है।
दवा नीति की जरूरत
चिकित्सकों का कहना है कि राष्ट्रीय स्तर पर बुजुर्ग आबादी के लिए दवाओं पर खर्च की निगरानी के साथ-साथ दवा नीति भी बनाई जाए और उसे प्राथमिकता के तौर पर लेने की जरूरत है।
पांच साल में 45% खर्च
अनुमान है, 2030 तक भारत में स्वास्थ्य देखभाल का 45 प्रतिशत बोझ बुजुर्ग मरीजों पर खर्च किया जाएगा। देखा गया है कि जिन परिवारों में बुजुर्ग सदस्य होते हैं, वे बिना बुजुर्ग वाले परिवारों की तुलना में स्वास्थ्य पर 3.8 गुना अधिक खर्च करते हैं। ऐसे परिवार आय का 13 फीसदी हिस्सा स्वास्थ्य पर खर्च कर रहे हैं।
चार में से तीन बुजुर्गों में एक से छह बीमारियां
- लोकनायक में भर्ती चार में से तीन बुजुर्ग मरीजों में एक से अधिक बीमारियां थी। 74.7% भर्ती मरीजों में एक से छह बीमारियां मिलीं। इनमें हृदय संबंधी रोग आम है। चार में से एक मरीज इससे पीड़ित मिला। इसके बाद फेफड़ों से जुड़े रोग आम थे।
- अध्ययन में बताया है कि अस्पताल पहुंचने वाले 10 बुजुर्गों में से चार से पांच मरीजों को भर्ती करने की नौबत आ रही है।
- भविष्य में यह स्थिति और बढ़ सकती है, जिसके लिए संचारी और गैर संचारी दोनों तरह के रोग जिम्मेदार हैं।
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