प्रतीकात्मक तस्वीर
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नई दिल्ली के तुगलक रोड थाना क्षेत्र में मासूम बच्ची की मौत कुत्तों के काटने के बजाय सदमे से हुई है। तुगलक रोड थाना पुलिस की शुरुआती जांच में ये बात सामने आई है। हालांकि बच्ची के शव की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही मौत का कारण पूरी तरह स्पष्ट हो पाएगा। दूसरी तरफ बच्ची के परिजनों ने सोमवार को तुगलक रोड थाना पुलिस को शिकायत दी है। परिजनों ने इस घटना के लिए एक महिला को जिम्मेदार मान रहे हैं। ये महिला लावारिस कुत्तों को खाना खिलाती थी।
प्रधानमंत्री आवास से कुछ दूरी पर स्थित तुगलक रोड थाना इलाके में कुत्तों ने नोंचकर एक डेढ़ साल की बच्ची को मार डाला था। डेढ़ साल की बच्ची दिव्यांशी परिवार के साथ तुगलक लेन के चमन घाट इलाके में रहती थी। स्थानीय लोगों का कहना है कि पीड़ित परिवार के घर के बाहर कुत्ते घूम रहे थे। बच्ची घर से बाहर निकली तो कुत्तों ने उस पर हमला कर दिया। पास में तेज आवाज में संगीत बजने के कारण परिजन बच्ची की आवाज नहीं सुन पाए थे। पुलिस अधिकारियों के अनुसार पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता लगा है कि कुत्तों ने बच्ची को जांघ, हाथ, चेहरे पर कुत्तों के काटने के निशान थे। कुत्तों ने बच्ची के एक कान को काटकर अलग कर दिया था।
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, काटने के निशान ज्यादा बड़े नहीं है ऐसे में माना जा रहा है कि कुत्तों के हमले से बच्ची सदमे में आ गई और इसी वजह से उसकी मौत हो गई। बच्ची के पिता राहुल ने सोमवार को पुलिस को शिकायत दी है। इस शिकायत में राहुल ने कुत्तों को खाना खिलाने वाली एक महिला को जिम्मेदार ठहराया है। शिकायत में पीडि़त परिवार ने कहा है कि महिला खाना खिलाती थी। इस कारण यहां कुत्ते घूमते थे।
इसे कहा जाता है न्यूरोजेनिक शॉक
राममनोहर लोहिया अस्पताल के प्रोफेसर(मनोचिकित्सक) डॉ. लोकेश श्रीवास्तव ने बताया कि व्यक्ति पर अचानक हमला होने पर वह सदमे में चला जाता है। इसे न्यूरोजेनिक शॉक बोलते हैं। इस शॉक से कभी-कभी पीडि़त की मौत भी हो जाती है।
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