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Lok Sabha Elections: People of Delhi want relief from jam

दिल्ली-एनसीआर में भीषण जाम file pic
– फोटो : ANI

विस्तार


वाहनों के दबाव से कराह रही दिल्ली को अब जाम से मुक्ति चाहिए। चार दशक पहले सरकारों ने फ्लाईओवर को आवाजाही बेहतर करने का तरीका माना था, लेकिन यहां वाहन रेंगते नजर आते हैं। आलम यह है कि व्यस्त समय में वाहनों की रफ्तार दस किमी प्रति घंटा भी नहीं रहती। ऐसे में जाम इस बार सियासी मुद्दा बना है। पहली बार भाजपा के सातों उम्मीदवारों ने चुनाव जीतने के बाद के 100 दिनों के भीतर इसका समाधान करने का वायदा किया है। वहीं, आप व कांग्रेस भी इसे कोर इश्यू मान रही हैं। यातायात प्रबंधन करने वाली पुलिस का भी कहना है कि फ्लाईओवर आज आवाजाही के लिए कारगर साबित नहीं हो रहे हैं। वाहनों के दबाव से फ्लाईओवर पर भी जाम आम है। अतिक्रमण और निर्माण कार्य ने भी समस्या को बढ़ाया है। विशेषज्ञों का कहना है कि कई योजनाएं लाने के बाद भी आवाजाही बेहतर नहीं हुई है। अब वक्त यातायात व्यवस्था में बुनियादी बदलाव लाने का है। इसके लिए बड़े स्तर पर सरकारों को काम करना पड़ेगा। पेश है पुरुषोत्तम वर्मा की रिपोर्ट…

जाम में फंसे बड़े फ्लाईओवर

गीता कॉलोनी, आजादपुर चौक, मुकरबा चौक, हनुमान सेतू, रानी झांसी, पालम व द्वारका, सरिता विहार, बंदा बहादुर वैरागी मार्ग, पीरागढ़ी व पंजाबी बाग फ्लाइओवर पर वाहनों की भारी आवाजाही रहती है। इससे यहां वाहन रेंगते नजर आते हैं।

दिल्ली की मौजूदा स्थिति

दिल्ली के मानचित्र का 23 फीसदी हिस्से पर रोड नेटवर्क है। फ्लाईओवर की संख्या भी करीब 100 है। अंडरपास और रेल ओवर ब्रिज भी जरूरत के हिसाब से हैं। देश का सबसे बड़ा मेट्रो नेटवर्क व ई-बसों का बेड़ा दिल्ली में है। इसके बावजूद सड़कें जाम रहती हैं। इसका सीधा मतलब यह है कि जहां काम करना है, वहां ध्यान नहीं दिया गया, तभी सड़कों पर निजी वाहनों की संख्या बहुत ज्यादा है। 

किस रेंज में कितनी जगहों पर जाम

  • पूर्वी रेंज : इस रेंज के शाहदरा जिले में 5, पूर्वी जिले में 5 और उत्तर-पूर्व जिले में 10 जगहों पर जाम लगता है। बाकी जगहों पर निर्माण कार्य, अतिक्रमण और अन्य कारण हैं। वाहनों की भारी आवाजाही से पूर्वी जिले में चार, उत्तर-पूर्वी जिले में 5 जगह और शाहदरा जिले में रोड नंबर 6 पर जाम लगता है। 
  • नार्थ रेंज : उत्तर-पश्चिमी जिले में 6, रोहिणी में 13 और बाहरी-उतरी जिले में 8 जगहों पर जाम लगता है। भारी वाहनों के कारण उत्तरी-पश्चिमी जिले में चार, रोहिणी में सात, बाहरी-उत्तरी जिले में 12 जगहों पर जाम लगता है।
  • सेंटर रेंज : मध्य जिले में 10 और उत्तरी जिले में 11 जगहों पर सबसे ज्यादा जाम लगता है। भारी वाहनों की आवाजाही से मध्य जिले में 12 और उत्तरी जिले में 7 जगहों पर जाम लगता है। 
  • सर्दन रेंज : दक्षिण जिले में 12 व दक्षिण-पूर्व जिले में 10 ऐसी जगह हैं जहां सबसे ज्यादा जाम लगता है। 
  • नई दिल्ली रेंज : नई दिल्ली जिले में पांच और दक्षिण-पश्चिमी जिले में तीन जगहों पर सबसे ज्यादा जाम लगता है। नई दिल्ली में सिर्फ वाहनों की भारी आवाजाही से जाम लगता है। 
  • वेस्टर्न रेंज : बाहरी जिले में 6, द्वारका में 8 व पश्चिमी जिले में 5 जगहों पर सबसे ज्यादा आए दिन जाम लगता है। 

दिल्ली में 1971 में बना था पहला फ्लाईओवर

आजादी के बाद राजधानी को पहला फ्लाईओवर शादीपुर में बना था। यह फ्लाईओवर रेलवे फाटक की वजह से जाम की समस्या को खत्म करने के लिए दिल्ली नगर निगम ने बनाया था। मुख्य कार्यकारी पार्षद विजय कुमार मल्होत्रा ने 14 फरवरी 1971 को इसका उद्घाटन किया था। वर्तमान में दिल्ली में 100 से ज्यादा फ्लाईओवर हैं, जबकि चार से पांच फ्लाईओवर निर्माणाधीन हैं।

निर्माण कार्य व अतिक्रमण भी समस्या

ट्रैफिक पुलिस का हालिया अध्ययन बताता है कि पूरी दिल्ली की 117 प्रमुख सड़कों पर जाम लगता है। यहां वाहनों का दबाव क्षमता से ज्यादा रहता है। वहीं, अलग-अलग कॉरिडोर पर चलने वाले निर्माण कार्य व अतिक्रमण भी आवाजाही बाधित करते हैं। अगर सड़क पर कोई वाहन खराब हो जाता है तो समस्या और भी बढ़ जाती है।

एनडीएमसी क्षेत्र में जाम के कारण

  • सर्वोच्च न्यायालय, दिल्ली उच्च न्यायालय और पटियाला हाउस कोर्ट परिसर के पास पार्किंग की कमी से जाम लगता है।
  • कर्तव्य पथ, इंडिया गेट, नेशनल आर्ट गैलरी, राष्ट्रपति भवन, जंतर मंतर, कनॉट प्लेस, मंडी हाउस, चिडिय़ाघर, पुराना किला, राष्ट्रीय विज्ञान संग्रहालय के नजदीक पर्यटकों की भीड़ रहती है।
  • नेशनल स्टेडियम, विज्ञान भवन, ताल कटोरा स्टेडियम, सुषमा स्वराज सदन और आईटीपीओ में आयोजन समस्या बढ़ाते हैं।
  • विरोध प्रदर्शन, जुलूस, रैलियां, आंदोलन जाम की वजह बनती हैं।

ट्रैफिक पुलिस के इंतजाम

  • अलग-अलग प्वाइंट पर ट्रैफिक पुलिसकर्मी की तैनाती।
  • नियम तोड़ने वालों पर कानूनी कार्रवाई।
  • वाहन चालकों में जागरूकता।
  • सड़क के डिजाइन में सुधार।
  • बेहतर तकनीक का इस्तेमाल।

ट्रैफिक पुलिस दिल्ली में इंटीग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम (आईटीएमएस) भी लागू करने जा रही है। आईटीएमएस सिस्टम दिल्ली में सिग्नल को सिंक्रोनाइज करेगा, जिससे यातायात के प्रवाह को सुचारू बनाने में मदद मिलेगी। जाम वाली जगहो कारण पता कर उसे हटाने का प्रयास किया जा रहा है।  

–  एचजीएस धालीवाल, विशेष पुलिस आयुक्त, यातायात पुलिस

बुनियादी ढांचा होने के बाद भी आवाजाही खराब है तो इसका सीधा मतलब यही है कि जहां जरूरत है, वहां काम नहीं हुआ। सबसे पहले सार्वजनिक परिवहन सेवा मजबूत करनी पड़ेगी। बसों का वेटिंग टाइम कम करना होगा।

-डॉ. अनुमिता रॉय चौधरी, कार्यकारी निदेशक, सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट और पर्यावरण 

यातायात नियमों के प्रति वाहन चालकों को जागरूक होना होगा। जब भी वाहन लेकर सड़कों पर निकलें तो ट्रैफिक एडवाइजरी को जरूर देखना चाहिए, ताकि वाहन चालकों को पहले से पता रहे कि किस मार्ग पर ज्यादा ट्रैफिक होगा और कौन सा मार्ग  यातायात के लिए बंद है। 

-अतुल रणजीत कुमार ट्रांसपोर्ट एक्सपर्ट

 

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