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2024 नए भारत की बुनियाद बनने जा रहा है। इस वर्ष देश अंतरिक्ष की नई ताकत बनने, अंतरिक्ष के सहारे अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाई पर पहुंचाने के साथ उभरती तकनीकों में खुद को मजबूत बनाने की दिशा में कदम बढ़ाएगा। ये उपक्रम हमें अगले एक दशक और कुछ मामलों में आधी सदी तक फल देते रहेंगे। सिर्फ अंतरिक्ष ही क्यों भारत कृत्रिम मेधा (एआई), मशीन लर्निंग, क्वांटम कंप्यूटिंग जैसी तकनीकों में दुनिया के नेतृत्व के लिए मजबूती से कदम बढ़ाने की कोशिशों को परवान चढ़ाएगा। ये प्रयास हमें महज सेवा प्रदाता की सीमित भूमिका से आजाद कर नवीन प्रौद्योगिकियों और हार्डवेयर के प्रमुख वैश्विक उत्पादक के रूप में स्थापित करेंगे।

निसार

भारतीय-अमेरिकी परियोजना नासा-इसरो सिंथेटिक अपर्चर रडार (निसार) उपग्रह का सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपण जनवरी में ही होगा। करीब 150 करोड़ डॉलर की लागत के साथ इसे दुनिया का सबसे महंगा पृथ्वी की तस्वीरें लेने वाला उपग्रह माना जा रहा है। निसार हर 12 दिन में पृथ्वी का स्कैन पूरा कर लेगा। इसके जरिये पृथ्वी पर जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक आपदाओं के असर, पर्यावरणगत और भौगोलिक बदलावों का अध्ययन होगा। इसे भारत का सबसे शक्तिशाली रॉकेट जीएसएलवी एमके 2 अंतरिक्ष में पहुंचाएगा।

एक्सपोसैट

नव वर्ष के पहले दिन एक जनवरी को ही इसरो के चार प्रमुख मिशनों में से एक एक्स-रे पोलरीमीटर उपग्रह (एक्सपोसैट) उड़ान भर रहा है। यह उपग्रह गहन अंतरिक्ष से आने वाली एक्स-रे के स्रोतों और उनकी प्रकृति के साथ ब्लैक होल, न्यूट्रॉन तारों और निहारिकाओं की उत्पत्ति व विकास का रहस्य खोलेगा। यह उपग्रह गहन अंतरिक्ष से निकलने वाली ऊर्जा की समग्र जानकारी जुटाने में मदद करेगा। इस काम में एक्सपोसैट में लगे दो उपकरण पोलिक्स और एक्स्पेक्ट मदद करेंगे। इनसे मिली जानकारियां और डाटा न केवल भारत बल्कि दुनियाभर के वैज्ञानिकों के लिए लंबे समय तक उपयोगी साबित होंगे।

इनसेट 3डीएस…मनमौजी मौसम का मूड भांपने की कवायद

भारत के मौसम-विज्ञान उपग्रहों की सीरीज इनसेट 3 के तहत सातवां प्रक्षेपण इनसेट 3डीएस 12 जनवरी को या इसके आसपास हो सकता है। इसे जीएसएलवी एफ14 रॉकेट के जरिये करीब 35,800 किमी ऊंचाई पर स्थापित किया जाना है। यह उपग्रह शृंखला अनिश्चित मौसम के बेहतर पूर्वानुमान और प्राकृतिक आपदाओं से बचाने में मदद करती है। साल 2003 में इनसेट 3ए से शुरुआत हुई और 2016 में पिछला प्रक्षेपण इनसेट 3डीआर का हुआ। पिछला उपग्रह 2026 तक काम करने के लिए बना था। अब 907 किलो वजनी इनसेट 3डीएस मिशन 2030 तक काम करेगा।

सबसे चमकीले शुक्र पर जीवन उत्पत्ति के तत्वों की खोज

सौर मंडल के सबसे चमकीले ग्रह शुक्र के लिए शुक्रयान को दिसंबर में प्रक्षेपित करने का प्रस्ताव है। इसके लिए तैयारियां 2017 में शुरू हुई थीं। मिशन के 3 उपकरण शुक्र की चट्टानों के अध्ययन (स्ट्रेटीग्राफी), वातावरण के रासायनिक अध्ययन और ग्रह पर सौर उत्सर्जन व विद्युत-चुंबकीय प्रभाव का विश्लेषण करेंगे। सबसे अहम होगी फॉस्फाइन की जांच। फॉस्फाइन नामक कंपाउंड को जीवन की मौजूदगी का संकेत माना जाता है। कुछ समय पूर्व शुक्र के बादलों में इसके मिलने का दावा किया गया था। भारत अगर इसकी पुष्टि कर देता है, तो यह आधुनिक खगोल शोध में बहुत बड़ा योगदान होगा।

क्वांटम मिशन…अगले आठ साल के कामों की शुरुआत का समय

अगले कुछ वर्षों में जो देश क्वांटम तकनीक, इसके शोध और विकास में आगे होगा, दुनिया उसकी होगी। इस सच को स्वीकार कर 2023-24 के बजट में भारत ने करीब 6,000 करोड़ रुपये का बजट 2030-31 तक राष्ट्रीय क्वांटम मिशन के तहत रखा। मिशन का लक्ष्य है…अगले 8 साल में भारत 50 से 1,000 क्यूबिट्स के कंप्यूटर बनाना। क्वांटम कंप्यूटर क्यूबिट्स पर काम करते हैं। ये पारंपरिक कंप्यूटर की बाइनरी कोडिंग 0 और 1 से अलग होते हैं और कहीं तेजी से व नए क्षेत्रों में काम करने में मदद करते हैं।

आदित्य एल1- सौर संक्रांतियों पर नजर

2 सितंबर को प्रक्षेपित सूर्य मिशन आदित्य एल1 6 जनवरी को अपराह्न बाद 4 बजे अपनी मंजिल पृथ्वी से 15 लाख किमी दूर लग्रांजियन बिंदु 1 (एल1) पर पहुंचकर सौर संक्रांतियों (सूर्य की हलचलों) पर नजर रखना शुरू कर देगा।  यान के चार उपकरण सौर लपटों और उनसे उत्सर्जित ऊर्जा का डाटा जुटाएंगे, तस्वीरें लेंगे। यह सूर्य की सतह के मुकाबले उसके कोरोना का तापमान कई गुना ज्यादा होने की पहेली समझने की कोशिश भी करेगा। इसके तीन उपकरण अपने आसपास मौजूद सूर्य से निकले कणों और विकिरणों से जुड़े परीक्षण करेंगे। यह सौर वेधशाला सौर तूफानों की पूर्व सूचना भी दे सकेगी।

गगनयान: मानवरहित उड़ानों से अंतरिक्ष में बढ़ेगा एक और कदम

खुद के बूते तीन भारतीयों को अंतरिक्ष में 400 किमी की ऊंचाई पर भेजने का महत्वाकांक्षी मिशन गगनयान 2025 में परवाज भरेगा। यह वर्ष इस मिशन को साकार करने की मजबूत बुनियाद रखेगा। इस मिशन को सुरक्षित ढंग से पूरा करने के लिए कई परीक्षण 2024 में होने हैं। बीते साल टेस्ट व्हीकल अबॉर्ट मिशन 1 (टीवी डी1) परीक्षण सफलता से संपन्न हुए।

अब टीवी डी2 और इसी शृंखला के अन्य परीक्षण इसी वर्ष किए जाने हैं। इस दिशा में सबसे अहम जी-एक्स मानव रहित डमी उड़ान होगी। इसे एलवीएम 3 रॉकेट से प्रक्षेपित किया जाएगा। यह परीक्षण उड़ान दो बार की जा सकती है। अंतरिक्षयात्रियों के लिए बनाई जा रही जीवन रक्षा प्रणाली, तापरोधी प्रणाली और पैराशूट प्रणाली को भी परखा जाएगा। इंटीग्रेटेड ड्रॉप टेस्ट और पैड अबॉर्ट टेस्ट सुरक्षित उड़ान के लिए आवश्यक हैं। इनके जरिये क्रू बचाव प्रणाली को जटिल हालात से गुजारकर परखा जाएगा।

ऑनलाइन गेमिंग : हर तीसरे भारतीय को पसंद इसलिए तेज विकास

फिल्मों के बाद मनोरंजन का दूसरा सबसे बड़ा माध्यम बन चुके कई प्रकार के ऑनलाइन गेम साल 2023 में भारत में 154 करोड़ बार डाउनलोड किए गए। इस मामले में चीन के बाद भारत दूसरे स्थान पर है। नए साल में इनमें 22 से 25 प्रतिशत तक की वृद्धि की उम्मीद है। वजह, 56.8 करोड़ भारतीयों के स्मार्टफोन में ये पहुंच चुके हैं।

सोशल मीडिया पर होंगे ज्यादा भारतीय

विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर साल 2023 में करीब 32.8 प्रतिशत नागरिक सक्रिय हो चुके थे, 2024 में यह संख्या 40 प्रतिशत तक पहुंच सकती है। इसकी सबसे बड़ी वजह कम उम्र के बच्चों का इन माध्यमों से जुड़ना है। हालांकि, इसके कई खतरे भी हैं। इससे बचने के लिए अमेरिका और यूरोपीय संघ जहां सख्त कानून बना रहे हैं और अपने बच्चों को बेहतर ऑनलाइन सुरक्षा देने में जुटे हैं, भारत भी नए साल में कानूनी प्रावधान बना कर ऐसा कर सकता है।

एआई: नौकरियों पर आपदा को अवसर बनाने का साल

एआई ने 2023 में अपना विस्तार कर चिंता के साथ उम्मीदें भी बंधाईं। नए साल में एआई सभी लोगों तक पहुंच बना सकती है। जितना बड़ा डाटाबेस उतनी ही विस्तारित एआई। इस सिद्धांत के मुताबिक, 1.40 अरब नागरिकों वाले भारत में करीब 90 करोड़ लोगों की ऑनलाइन गतिविधियों और विभिन्न उपकरणों में एआई के उपयोग से जुड़े अनुभवों का डाटा आमजीवन को और बेहतर कर सकता है। 2024 एआई से पारंपरिक नौकरियों में कमी के खतरे को नए तरह के रोजगार अवसरों में तब्दील करने का साल साबित हो सकता है।

कवच: डिजिटल खतरों से बचाएगा डिजिटल इंडिया कानून

नई तकनीकों का विकास आम नागरिकों के जीवन की बेहतरी के साथ उनके शोषण का औजार भी बन रहा है। ऑनलाइन दुनिया में नए खतरे उभर रहे हैं। डीपफेक वीडियो-ऑडियो साइबर अपराधियों का हथियार बनने लगे हैं। नागरिकों को इससे बचाने के लिए सरकार 23 साल पुराने आईटी कानून की जगह नया डिजिटल इंडिया कानून लाने जा रही है। यह 2024 में आम चुनाव के बाद आ सकता है। इससे नागरिकों की निजता, डिजिटल डाटा की सुरक्षा व डीपफेक जैसे खतरों को रोकने की कोशिश होगी।

जीडीपी : प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेज रहेंगे हम

2023-24 के पहले छह महीने में जीडीपी की वृद्धि दर 7.7 फीसदी। 2024-25 के लिए इसे अच्छा संकेत माना जा रहा है। विश्व की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में भारत सबसे तेजी से बढ़ रहा है। चीन को पीछे छोड़ चुका है। नए साल में आर्थिक सहयोग व विकास संगठन (ओईसीडी) ने भारत के 6.1 और चीन के 4.7 फीसदी की दर से बढ़ने का अनुमान दिया है। आईएमएफ का कहना है कि  भारत दुनिया की कुल जीडीपी वृद्धि में 16 फीसदी से अधिक योगदान देने को तैयार है। उद्योग संगठन एसोचैम ने भी 2024 में भारत को सबसे तेजी से बढ़ने वाला अर्थव्यवस्था करार दिया। विभिन्न विशेषज्ञ इसे 6.5 से 7.5 प्रतिशत की रेंज में मान रहे हैं।

प्रमुख क्षेत्रों में 15 से 17 प्रतिशत वृद्धि  

इस साल वित्तीय क्षेत्र में काम कर रही कंपनियों, ऑटोमोबाइल, निर्माण, होटल, उड्डयन और इलेक्ट्रॉनिक सेक्टर के अच्छा प्रदर्शन करने की उम्मीद जताई जा रही है। सभी प्रमुख क्षेत्रों में बिक्री पिछले वर्ष के मुकाबले 15 से 17 प्रतिशत तक बढ़ सकती हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह घरेलू उपभोग व मांग बढ़ना है। वहीं, निर्यात आधारित उद्योगों को विकसित अर्थव्यवस्थाओं में धीमी मांग के बीच भी अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद है।

डिजिटल अर्थव्यवस्था…नए कारोबारों को देगी बढ़ावा

सरकार का लक्ष्य डिजिटल अर्थव्यवस्था को निकट भविष्य में एक लाख करोड़ डॉलर का बनाना है। इंडिया स्टेक के जरिये नागरिक सेवाओं को सुधारते हुए अर्थव्यवस्था को भी तेजी दी जा रही है। चार साल में इसके नतीजे दिखने लगे हैं। 2024 में डिजिटल होती आर्थिक गतिविधियों का लाभ नए ढंग से उत्पादों को उपभोक्ताओं तक पहुंचाने में मिलेगा।

इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात…12 हजार करोड़ डॉलर के लक्ष्य पर बढ़ेंगे आगे

2023-24 की पहली छमाही में इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों का निर्यात 27 फीसदी बढ़ा। नए साल में इसमें तेजी की उम्मीद है। उम्मीद है कि 2026 तक भारत 12,000 करोड़ डॉलर मूल्य के इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद निर्यात करेगा।

अंतरिक्ष के लिए निजी क्षेत्र की उड़ान

नए साल में करीब 600 भारतीय अंतरिक्ष स्टार्टअप नई उड़ान भर सकते हैं। भारतीय कंपनियां पृथ्वी की निचली कक्षा में उपग्रह भेजने की क्षमता दिखा सकती हैं। इससे देश में उपग्रह प्रक्षेपण व्यवसाय को बढ़ावा मिलेगा। साल की पहली छमाही में स्काईरूट कंपनी के विक्रम-1 रॉकेट का प्रक्षेपण प्रस्तावित है। इसके अलावा, अग्निकुल कॉसमॉस कंपनी 3डी प्रिंटेड रॉकेट का परीक्षण कर सकती है। पिक्सल कंपनी इस साल 6 और 2025 में 18 उपग्रह अंतरिक्ष में भेजेगी।

रक्षा क्षेत्र में नया भारत

अमेरिका से एमक्यू 9बी प्रिडेटर ड्रोन खरीद को 2024 के शुरुआती हफ्तों में अंतिम रूप दिया जा सकता है। भारत ऐसे 31 ड्रोन खरीद रहा है, जो एलएसी और एलओसी के साथ साथ हिंद महासागर में भी देश की सुरक्षा को मजबूत बनाएंगे। रूस से भी वायु क्षेत्र रक्षा प्रणाली एस 400 की दो यूनिट मिल सकती हैं।

2023 में सरकार ने रक्षा खरीद घरेलू स्रोतों से करने के लिए खरीद बजट का 68 फीसदी निर्धारित किया था। इसे 2024 के बजट के लिए 75 प्रतिशत कर दिया गया। इसका लाभ 2024 में मिलेगा। कई नए स्टार्टअप उभरे हैं। ये 500 से अधिक प्रकार के सेंसर, कलपुर्जे और हथियार से जुड़ी प्रणालियां बना रहे हैं।

4 साल में रक्षा निर्यातक का दर्जा

2023 के खत्म होते-होते वित्त मंत्री ने दावा किया, वित्त वर्ष 2024 में भारत 288 करोड़ डॉलर (करीब 24 हजार करोड़ रुपये) के करीब रक्षा सामग्री व उपकरण निर्यात करने जा रहा है। इस सेक्टर में आयात आधारित देश से निर्यातक बनने का यह सफर हमने आत्मनिर्भर भारत अभियान शुरू होने के महज 4 साल में तय किया है। हमारी ब्रह्मोस मिसाइलों से लेकर तेजस विमानों तक को कई देश खरीदने में दिलचस्पी दिखा रहे हैं, अंतरराष्ट्रीय समझौते भी कर रहे हैं। 2024 में इसमें और तेजी आएगी।

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