Notes in Hindi - Geography - Ocean Streams - महासागरीय जलधाराएँ

Notes in Hindi for Competitive exams - Geography - Ocean Streams - महासागरीय जलधाराएँ

Notes in Hindi – Geography – Ocean Streams – महासागरीय जलधाराएँ

Notes in Hindi – Geography – Ocean Streams – महासागरीय जलधाराएँ

Geography in Hindi

( i ) स्थलमंडल (Lithosphere) , ( ii ) जलमंडल (Hydrosphere) , ( iii ) वायुमंडल (Atmosphere) , ( iv ) (Biosphere)

                                                                                                       

महासागरीय जलधाराएँ 

(Ocean Streams)

 

Notes in Hindi – Geography  – Ocean Streams – महासागरीय जलधाराएँ

  • एक निश्चित दिशा में बहुत अधिक दूरी तक महासागरीय जल की एक विशाल जल राशि के प्रवाह को महासागरीय जलधारा कहते हैं ।

  • यह धारा दो प्रकार की होती है गर्म जलधारा और ठण्डी जलधारा होता है ।

गर्म जलधारा:-

    •  निम्न अक्षांशो में उष्ण कटिंबंधों से उच्च समशीतोष्ण और उपध्रुवीय कटिबंधों की ओर बहने वाली जल धाराओं को गर्म जलधारा कहते है |
    • ये प्राय: भूमध्य रेखा से ध्रुवों की ओर चलती है | इनके जल का तापमान मार्ग में आने वाले जल के तापमान से अधिक होता है | अतः ये धाराएँ जिन क्षेत्रों में चलती है वहाँ का तापमान बढ़ा देती हैं |

ठण्डी जलधारा :-

    • उच्च अक्षाशों से निम्न अक्षांशों की ओर बहने वाली जलधारा को ठण्डी जलधारा कहते हैं ।
    • ये प्रायः ध्रुवों से भूमध्य रेखा की ओर चलती है । इनके जल के तापमान रास्ते आने वाले जल के तापमान से कम होता है । अतः ये धराए जिन क्षेत्रों में चलती है , वहाँ तापमान घटा देती है ।
  • उत्तरी गोलार्द्ध की जलधाराएँ अपनी दायीं ओर तथा दक्षिण गोलार्द्ध की जलधाराएं अपनी बायी ओर प्रवाहित होती हैं । यह कॉरिआलिम बल के प्रभाव से होता है । 
  • महासागरीय जलधाराओं के संचरण की सामान्य व्यवस्था का एकमात्र प्रसिद्ध अपवाद हिन्द महासागर के उत्तरी भाग में पाया जाता है । इस भाग में धाराओं के प्रवाह की दिशा मानसूनी पवन की दिशा के साथ बदल जाती है – गर्म जलधाराएं ठंढे सागरों की ओर और ठण्डी जलधाराएँ गर्म सागरों की ओर बहने लगती है । 
प्रशान्त महासागर की गर्म जल धाराएं :
1. उत्तरी विषुवतरेखीय6. सुशीमा की जलधारा
2. क्यूरोसियो की जलधारा7. दक्षिण विषुवतरेखीय जलधारा
3. उत्तरी प्रशान्त जल प्रवाह8. पूर्वी आस्ट्रेलिया की जलधारा
4. अलास्का की जलधारा9.विपरीत विषुवतरेखीय जलधारा
5. एलनिनो जलधारा
प्रशान्त महासागर की ठण्डी जल धाराएँ 
1. क्यूराइल विषुवरेखीय जलधारा
2.कैलीफोर्निया की जलधारा
3. हम्बोल्ट या पेरुवियन की जलधारा
4.अंटार्कटिका की जलधारा
अटलांटिक महासागर की गर्म जल धाराएँ
1. उत्तरी विषुवत् रेखीय जलधारा5.ब्राजील जलधारा
2. गल्फ स्ट्रीम जलधारा6. विपरीत विषुवरेखीय गिनी जलधारा
3. फ्लोरिडा जलधारा7.दरमिंजर की जलधारा
4. द ० विषुवरेखीय जलधारा 
अटलांटिक महासागर की ठण्डी जल धाराएं 
1. लेब्राडोर की जलधारा4. पूर्वी ग्रीनलैंड की जलधारा
2. बेंगुएला की जलधारा5. अंटार्कटिका की जलधारा
3. कनारी जलधारा6. फॉकलैंड की जलधारा 
हिन्द महासागर की गर्म एवं स्थायी जल धाराएं 
1. दक्षिण विषुवत् रेखीय जलधारा 
2. मोजाम्बिक की जलधारा 
3. अगुलहास की जलधारा

 

 

  • हिन्द महासागर की ठण्टी एवं स्थायी जल धाराएँ : पश्चिम आस्ट्रेलिया की जलधारा

नोट : हिन्द महासागर की ग्रीष्मकालीन मानसून की जलधारा गर्म एवं परिवर्तनशील जलधारा है एवं शीतकालीन मानसून प्रवाह ठण्ठी एवं परिवर्तनशील जलधारा है ।

सारगेसो सागर ( Sargasso sea ) :

  • उत्तरी अटलांटिक महासागर में 20 ° से 40 ° उत्तरी अक्षाशों तथा 35 से 75 ° पश्चिमी देशान्तरों के मध्य चारों ओर प्रवाहित होने वाली जलधाराओं के मध्य स्थित शान्त एवं स्थिर जल के क्षेत्र को सारगैसो सागर के नाम से जाना जाता है । यह गल्फ स्ट्रीम , कनारी तथा उत्तरी विषुवतीय धाराओं के चक्र बीच स्थित शांत जल क्षेत्र है । इसके तट पर मोटी समुद्री घास तैरती है । इस घास को पुर्तगाली भाषा में सारंगैसम ( Sargassum ) कहते हैं , जिसके नाम पर ही इसका नाम सारगैसो सागर रखा गया है । सारंगैसम जड़विहीन पास हैं । सारगैसो सागर क्षेत्रफल लगभग 11000 वर्ग किमी है ।
  • सारगैसो सागर को सर्वप्रथम स्पेन के नाविकों ने देखा था ।
  • सारगैसो सागर को महासागरीय मरूस्थल के रूप में पहचाना जाता है ।
  • न्यूफाउण्डलैंड के समीप ही गल्फ स्ट्रीम एवं लेवाडोर जलधारा मिलती है । न्यूफाउण्डलैंड पर ही समुद्री मछली पकड़ने का प्रसिद्ध स्थान प्रेण्ड बैंक स्थित है ।
  • गर्म एवं ठण्डी जलधारा जहाँ मिलती है वहाँ प्लेंकटन नामक घास मिलती है , जिसमें उस स्थान पर मत्स्य उद्योग अत्यधिक विकसित हुआ |
  • जापान के निकट क्यूरो – शियो की गर्म धारा तथा ओय-शिवो की ठण्डीधारा के जल के मिलने से वहां पर घना कुहासा छाया रहता है |

ज्वार – भाटा ( Tides ) :

  • चन्द्रमा एवं सूर्य की आकर्षण शक्तियों के कारण सागरीय जल के ऊपर उठने तथा गिरने को ज्वार – भाटा कहते हैं । सागरीय जल के ऊपर उठकर आगे बढ़ने को ज्वार ( Tide ) तथा सागरीय जल को नीचे गिरकर पीछे लौटने ( सागर की ओर ) को भाटा (Ebb) कहते है |
  • चन्द्रमा का ज्वार – उत्पादक बल सूर्य की अपेक्षा दुगुना होता है , क्योंकि यह सूर्य की तुलना  में पृथ्वी के अधिक निकट है ।
  • अमावस्या और पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा , सूर्य एवं पृथ्वी एक सीध में होते हैं । अतः इस दिन उच्च ज्वार उत्पन्न होता है ।
  • दोनों पक्षों की सप्तमी या अष्टमी को सूर्य और चन्द्रमा पृथ्वी के केन्द्र पर समकोण बनाते है,  इस स्थिति में सूर्य और चन्द्रमा के आकर्षण बल एक – दूसरे को संतुलित करने के प्रयास में प्रभावहीन हो जाते हैं । अतः इस दिन निम्न ज्वार उत्पन्न होता है ।
  • पृथ्वी पर प्रत्येक स्थान पर प्रतिदिन 12 घंटे 26 मिनट बाद ज्वार तथा प्रचार के 6 घंटा 13 मिनट बाद भाटा आता है ।
  • सामान्यतः ज्चार प्रतिदिन दो बार आता है किन्तु इंग्लैंड के दक्षिणी तट पर स्थित साटवघटन में ज्वार प्रतिदिन चार बार आते हैं । यहाँ दो बार ज्वार इंगलिश चैनल से होकर और दो बार उत्तरी सागर से होकर विभिन्न अंतरालों पर पहुँचते हैं ।
  •  महासागरीय जल की सतह का औसत दैनिक तापान्तर नगण्य होता है ( लगभग 1 ° C ) |
  • महासागरीय जल का उच्चतम वार्षिक तापक्रम अगस्त में एवं न्यूनतम वार्षिक तापक्रम फरवरी में अंकित किया जाता है ।

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