Notes in Hindi for Competitive exams – Geography – Ocean Streams – महासागरीय जलधाराएँ – 8
Notes in Hindi - Geography - Ocean Streams - महासागरीय जलधाराएँ
Notes in Hindi – Geography – Ocean Streams – महासागरीय जलधाराएँ
Notes in Hindi – Geography – Ocean Streams – महासागरीय जलधाराएँ
Geography in Hindi
( i ) स्थलमंडल (Lithosphere) , ( ii ) जलमंडल (Hydrosphere) , ( iii ) वायुमंडल (Atmosphere) , ( iv ) (Biosphere)
महासागरीय जलधाराएँ
(Ocean Streams)
Notes in Hindi – Geography – Ocean Streams – महासागरीय जलधाराएँ
एक निश्चित दिशा में बहुत अधिक दूरी तक महासागरीय जल की एक विशाल जल राशि के प्रवाह को महासागरीय जलधारा कहते हैं ।
यह धारा दो प्रकार की होती है गर्म जलधारा और ठण्डी जलधारा होता है ।
गर्म जलधारा:-
- निम्न अक्षांशो में उष्ण कटिंबंधों से उच्च समशीतोष्ण और उपध्रुवीय कटिबंधों की ओर बहने वाली जल धाराओं को गर्म जलधारा कहते है |
- ये प्राय: भूमध्य रेखा से ध्रुवों की ओर चलती है | इनके जल का तापमान मार्ग में आने वाले जल के तापमान से अधिक होता है | अतः ये धाराएँ जिन क्षेत्रों में चलती है वहाँ का तापमान बढ़ा देती हैं |
ठण्डी जलधारा :-
- उच्च अक्षाशों से निम्न अक्षांशों की ओर बहने वाली जलधारा को ठण्डी जलधारा कहते हैं ।
- ये प्रायः ध्रुवों से भूमध्य रेखा की ओर चलती है । इनके जल के तापमान रास्ते आने वाले जल के तापमान से कम होता है । अतः ये धराए जिन क्षेत्रों में चलती है , वहाँ तापमान घटा देती है ।
- उत्तरी गोलार्द्ध की जलधाराएँ अपनी दायीं ओर तथा दक्षिण गोलार्द्ध की जलधाराएं अपनी बायी ओर प्रवाहित होती हैं । यह कॉरिआलिम बल के प्रभाव से होता है ।
- महासागरीय जलधाराओं के संचरण की सामान्य व्यवस्था का एकमात्र प्रसिद्ध अपवाद हिन्द महासागर के उत्तरी भाग में पाया जाता है । इस भाग में धाराओं के प्रवाह की दिशा मानसूनी पवन की दिशा के साथ बदल जाती है – गर्म जलधाराएं ठंढे सागरों की ओर और ठण्डी जलधाराएँ गर्म सागरों की ओर बहने लगती है ।
प्रशान्त महासागर की गर्म जल धाराएं : | |||||
1. उत्तरी विषुवतरेखीय | 6. सुशीमा की जलधारा | ||||
2. क्यूरोसियो की जलधारा | 7. दक्षिण विषुवतरेखीय जलधारा | ||||
3. उत्तरी प्रशान्त जल प्रवाह | 8. पूर्वी आस्ट्रेलिया की जलधारा | ||||
4. अलास्का की जलधारा | 9.विपरीत विषुवतरेखीय जलधारा | ||||
5. एलनिनो जलधारा |
प्रशान्त महासागर की ठण्डी जल धाराएँ | |||
1. क्यूराइल विषुवरेखीय जलधारा | |||
2.कैलीफोर्निया की जलधारा | |||
3. हम्बोल्ट या पेरुवियन की जलधारा | |||
4.अंटार्कटिका की जलधारा |
अटलांटिक महासागर की गर्म जल धाराएँ | |||||||
1. उत्तरी विषुवत् रेखीय जलधारा | 5.ब्राजील जलधारा | ||||||
2. गल्फ स्ट्रीम जलधारा | 6. विपरीत विषुवरेखीय गिनी जलधारा | ||||||
3. फ्लोरिडा जलधारा | 7.दरमिंजर की जलधारा | ||||||
4. द ० विषुवरेखीय जलधारा |
अटलांटिक महासागर की ठण्डी जल धाराएं | |||||
1. लेब्राडोर की जलधारा | 4. पूर्वी ग्रीनलैंड की जलधारा | ||||
2. बेंगुएला की जलधारा | 5. अंटार्कटिका की जलधारा | ||||
3. कनारी जलधारा | 6. फॉकलैंड की जलधारा |
हिन्द महासागर की गर्म एवं स्थायी जल धाराएं | |||
1. दक्षिण विषुवत् रेखीय जलधारा | |||
2. मोजाम्बिक की जलधारा | |||
3. अगुलहास की जलधारा |
- हिन्द महासागर की ठण्टी एवं स्थायी जल धाराएँ : पश्चिम आस्ट्रेलिया की जलधारा
नोट : हिन्द महासागर की ग्रीष्मकालीन मानसून की जलधारा गर्म एवं परिवर्तनशील जलधारा है एवं शीतकालीन मानसून प्रवाह ठण्ठी एवं परिवर्तनशील जलधारा है ।
सारगेसो सागर ( Sargasso sea ) :
- उत्तरी अटलांटिक महासागर में 20 ° से 40 ° उत्तरी अक्षाशों तथा 35 से 75 ° पश्चिमी देशान्तरों के मध्य चारों ओर प्रवाहित होने वाली जलधाराओं के मध्य स्थित शान्त एवं स्थिर जल के क्षेत्र को सारगैसो सागर के नाम से जाना जाता है । यह गल्फ स्ट्रीम , कनारी तथा उत्तरी विषुवतीय धाराओं के चक्र बीच स्थित शांत जल क्षेत्र है । इसके तट पर मोटी समुद्री घास तैरती है । इस घास को पुर्तगाली भाषा में सारंगैसम ( Sargassum ) कहते हैं , जिसके नाम पर ही इसका नाम सारगैसो सागर रखा गया है । सारंगैसम जड़विहीन पास हैं । सारगैसो सागर क्षेत्रफल लगभग 11000 वर्ग किमी है ।
- सारगैसो सागर को सर्वप्रथम स्पेन के नाविकों ने देखा था ।
- सारगैसो सागर को महासागरीय मरूस्थल के रूप में पहचाना जाता है ।
- न्यूफाउण्डलैंड के समीप ही गल्फ स्ट्रीम एवं लेवाडोर जलधारा मिलती है । न्यूफाउण्डलैंड पर ही समुद्री मछली पकड़ने का प्रसिद्ध स्थान प्रेण्ड बैंक स्थित है ।
- गर्म एवं ठण्डी जलधारा जहाँ मिलती है वहाँ प्लेंकटन नामक घास मिलती है , जिसमें उस स्थान पर मत्स्य उद्योग अत्यधिक विकसित हुआ |
- जापान के निकट क्यूरो – शियो की गर्म धारा तथा ओय-शिवो की ठण्डीधारा के जल के मिलने से वहां पर घना कुहासा छाया रहता है |
ज्वार – भाटा ( Tides ) :
- चन्द्रमा एवं सूर्य की आकर्षण शक्तियों के कारण सागरीय जल के ऊपर उठने तथा गिरने को ज्वार – भाटा कहते हैं । सागरीय जल के ऊपर उठकर आगे बढ़ने को ज्वार ( Tide ) तथा सागरीय जल को नीचे गिरकर पीछे लौटने ( सागर की ओर ) को भाटा (Ebb) कहते है |
- चन्द्रमा का ज्वार – उत्पादक बल सूर्य की अपेक्षा दुगुना होता है , क्योंकि यह सूर्य की तुलना में पृथ्वी के अधिक निकट है ।
- अमावस्या और पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा , सूर्य एवं पृथ्वी एक सीध में होते हैं । अतः इस दिन उच्च ज्वार उत्पन्न होता है ।
- दोनों पक्षों की सप्तमी या अष्टमी को सूर्य और चन्द्रमा पृथ्वी के केन्द्र पर समकोण बनाते है, इस स्थिति में सूर्य और चन्द्रमा के आकर्षण बल एक – दूसरे को संतुलित करने के प्रयास में प्रभावहीन हो जाते हैं । अतः इस दिन निम्न ज्वार उत्पन्न होता है ।
- पृथ्वी पर प्रत्येक स्थान पर प्रतिदिन 12 घंटे 26 मिनट बाद ज्वार तथा प्रचार के 6 घंटा 13 मिनट बाद भाटा आता है ।
- सामान्यतः ज्चार प्रतिदिन दो बार आता है किन्तु इंग्लैंड के दक्षिणी तट पर स्थित साटवघटन में ज्वार प्रतिदिन चार बार आते हैं । यहाँ दो बार ज्वार इंगलिश चैनल से होकर और दो बार उत्तरी सागर से होकर विभिन्न अंतरालों पर पहुँचते हैं ।
- महासागरीय जल की सतह का औसत दैनिक तापान्तर नगण्य होता है ( लगभग 1 ° C ) |
- महासागरीय जल का उच्चतम वार्षिक तापक्रम अगस्त में एवं न्यूनतम वार्षिक तापक्रम फरवरी में अंकित किया जाता है ।