You are currently viewing Rajasthan:गहलोत रिवाज तो वसुंधरा राज बदलने के लिए लगा रहीं ताकत, छह चर्चित सीटों के जमीनी माहौल पर नजर – Ashok Gehlot And Vasundhara Raj Concentrates On Win Deep Study Of Six Major Seats Rajasthan Assembly Election

Ashok Gehlot and Vasundhara Raj concentrates on Win Deep study of Six major Seats Rajasthan Assembly Election

Rajasthan Election 2023
– फोटो : AMAR UJALA

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राजस्थान में किसकी सरकार बनेगी? इस सवाल का जवाब तो तीन दिसंबर को ही मिलेगा, लेकिन कांग्रेस और भाजपा के नेता प्रदेश में जीत के लिए दिन रात एक किए हुए हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत रिवाज बदलने के लिए तो पूर्व सीएम वसुंधरा राजे राज बदलने के लिए ताबड़तोड़ रैलियां कर रही हैं। वहीं अपनी सीट को बचाने के लिए पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट, स्पीकर सीपी जोशी, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ को सर्दी के मौसम में भी दिन रात पसीना बहाना पड़ रहा है। राजस्थान में दिग्गज नेताओं की सीटों पर प्रेम प्रताप सिंह की रिपोर्ट…

सरदारपुरा : जनता लड़ रही सीएम की लड़ाई

जोधपुर की सरदारपुरा सीट से नामांकन करने के बाद मुख्यमंत्री गहलोत एक दिन भी अपने क्षेत्र में चुनाव प्रचार करने नहीं गए। कांग्रेस के कार्यकर्ता और स्थानीय लोग ही उन्हें जीताने के लिए प्रचार में जुटे हैं। यहां रहने वाले दीपेश वैष्णव कहते हैं कि जादूगर सीएम को अपनी सीट की चिंता करने की जरूरत नहीं है। यहां की जनता ने रिवाज बदलने के लिए उन्हें छोड़ दिया है, जिससे दूसरी सीटों पर जाकर अपनी सरकार की स्कीम के बारे में बता सकें।

झालरापाटन : वसुंधरा को जीत की चिंता नहीं

वसुंधरा राजे ने कांग्रेस सरकार बदलने के लिए पूरी ताकत लगा दी है। वह पूरे प्रदेश में रैलियां कर रही हैं। बेशक उन्हें सीएम चेहरा घोषित नहीं किया गया है, लेकिन उत्साह में कोई कमी नहीं है। झालरापाटन सीट से नामांकन के बाद वह प्रचार करने के लिए वापस नहीं आईं। झालरापाटन के राम किशन प्रजापति का कहना है, आज पूरे भारत में झालरापाटन को लोग वसुंधरा राजे के कारण जानते हैं। राजे ने यहां जितना काम कराया है, उसकी गिनती नहीं है।

नाथद्वारा : जोशी को मेवाड़ के स्वाभिमान से चुनौती

राजस्थान कांग्रेस में गहलोत के बाद स्पीकर सीपी जोशी सबसे सीनियर नेता हैं। इस बार नाथद्वारा में उनका मुकाबला भाजपा प्रत्याशी और राजपरिवार के विश्वराज सिंह मेवाड़ से है। भाजपा ने इस चुनाव को मेवाड़ के स्वाभिमान से जोड़ दिया है। विश्वराज सिंह लगातार चुनावी मैदान में डटे हुए हैं, जबकि सीपी जोशी गांव-गांव जाकर वोट मांग रहे हैं। पांच साल में उनकी ओर से कराए गए विकास के नाम पर वोट मांगा जा रहा है। जोशी लंबे समय से इस सीट से चुनाव लड़ते आ रहे हैं।

लक्ष्मणगढ़ : दो जाटों की जंग

कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा सीकर जिले के लक्ष्मणगढ़ सीट से लगातार तीन बार चुनाव जीतते आ रहे हैं। इस बार उनका मुकाबला पूर्व केंद्रीय मंत्री सुभाष महरिया से है। दोनों के बीच कांटे की टक्कर है। भाजपा की ओर से पेपरलीक, भ्रष्टाचार के मामले को उठाया जा रहा, जबकि कांग्रेस की ओर से महरिया को दलबदलू कहा जा रहा है। दो जाटों की जंग पर कौन किस पर भारी पड़ेगा। यह तीन दिसंबर को स्पष्ट हो जाएगा।

तारानगर : जातियों का गणित

नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ चूरू से अपनी सीट बदलकर लंबे समय बाद तारानगर से चुनाव लड़ रहे हैं। तारानगर से एक बार वह विधायक रह चुके हैं, लेकिन पिछली बार इस सीट से नरेंद्र बुडानिया विधायक थे। उन्होंने पांच साल के दौरान स्थानीय स्तर पर खूब काम कराए। यह सीट जाट बहुल भी है। मुस्लिम वोट भी काफी संख्या में हैं। जातिगत समीकरण राठौड़ के पक्ष में नहीं है, लेकिन राठौड़ ने चूरू शहर से जाट प्रत्याशी मैदान में उताकर यहां वोटबैंक में सेंधमारी की कोशिश की है।

टोंक : पायलट का फोकस

पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट नामांकन से लेकर अब तक वह अपनी सीट पर लगातार प्रचार कर रहे हैं। चुनाव से ठीक दस दिन पहले उन्होंने अपने समर्थक कुछ विधायकों के प्रचार के लिए निकलना शुरू किया है। उनकी सीट तो सुरक्षित है, लेकिन 2018 के मुकाबले 2023 में जीत का अंतर कम होने की बात कही जा रही है। पिछली बार यहां के लोगों को लगा था कि वह सीएम बन रहे हैं, जिसके कारण वोटिंग अच्छी हुई थी। इस बार ऐसा माहौल नहीं है।

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