इंटरनेट डेस्क। राजस्थान में विधानसभा चुनावों के पहले गहलोत सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है। लेकिन इस फैसले का विरोध भी शुरू हो गया है। इस बार सरकार ने फैसला किया है की यूनिवर्सिटीज में छात्रसंघ चुनाव नहीं होंगे। ऐसे में लगभग प्रदेशभर के 900 से ज्यादा सरकारी और प्राइवेट कॉलेजों में भी वोट नहीं डाले जाएंगे।
सरकार के इस फैसले के बाद छात्र संगठनों में भारी आक्रोश है और प्रदेशभर में विरोध का सिलसिला भी शुरू हो गया है। आपको बता दें की छात्रसंघ चुनाव को लेकर उच्च शिक्षा विभाग की बैठक में प्रदेशभर के विश्वविद्यालयों के कुलपतियों ने नई शिक्षा नीति 2020 लागू करने के साथ यूनिवर्सिटी में चल रही है एडमिशन, रिजल्ट प्रक्रिया का हवाला देकर छात्रसंघ चुनाव पर रोक लगाने की बात कही है।
जिस पर सर्वसम्मति से इस साल चुनाव नहीं कराने का फैसला किया गया है। मीडिया रिपोटर्स की माने तो उच्च शिक्षा विभाग की और से जो आदेश है उनमें विश्वविद्यालयों के कुलपतियों ने यह स्पष्ट किया है कि छात्रसंघ चुनावों में धनबल और बाहुबली का खुलकर उपयोग किया जा रहा है, जो लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों का उल्लंधन है। खबरों के अनुसार आदेश में कहा गया है की अगर चुनाव कराए जाते हैं तो पढ़ाई प्रभावित होगी और राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत सेमेस्टर सिस्टम लागू नहीं हो पाएगा। इसलिए छात्र संघ चुनाव नहीं कराने का फैसला किया गया है। वहीं छात्रसंघ चुनावों से जुड़ छात्रों ने विरोध प्रदर्शन करने का फैसला किया है।
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