Science and Technology – Types of Orbits and Satellite
Science and Technology - Types of Orbits and Satellite
कक्षा / Orbit
पृथ्वी के चारों ओर का वह स्थान जिसमें कोई उपग्रह / Satelite लगातार चक्कर लगाता है।
- निम्न भू-कक्षा / Low Earth Orbit. (200-2000 Km.)
- मध्य भू-कक्षा / Medium Earth Orbit. (2000 – 35786 Km.)
- भू-तुल्यकाली कक्षा / Geo-Synchronous Orbit. (35786 Km से अधिक ऊंचाई पर)
- भू-स्थिर कक्षा / Geo-Stationary Orbit. (35786 Km से अधिक ऊंचाई पर)
1.निम्न भू-कक्षा / Low Earth Orbit. (200-2000 Km.) LEO
- 200-2000 Km. की ऊँचाई पर
- ध्रुवों के मध्य उपग्रह लगभग 80 से 130 मिनट में एक चक्कर पूरा करते हैं।
- ध्रुवीय कक्षा / Polar Orbit भी कहते हैं।
- इन कक्षाओं में जासूसी उपग्रह, रिमोट सेंसिंग, अंतरिअ स्टेशन, स्पेस टेलीस्कोप को स्थापित करते हैं।
- मध्य भू-कक्षा / Medium Earth Orbit. (2000 – 35786 Km.) MEO
- 2000 – 35786 km. की ऊँचाई पर स्थित कक्षाएँ।
- एक उपग्रह इन कक्षाओं में लगभग 20000 Km. की ऊँचाई पर, लगभग 12-24 घंटे के समय में एक चक्कर पूरा करते हैं।
- इन कक्षाओं में “नेविगेशन सेटेलाईट्स” को स्थापित किया जाता है।
- भू-तुल्यकाली कक्षा / Geo-Synchronous Orbit. (35786 Km से अधिक ऊंचाई पर)
- ऊँचाई:- 35786 km से ऊपर ।
- ये कक्षा विषुवत् रेखा/ equator के ऊपर पाई जाती है।
- इसमें गति करता उपग्रह पृथ्वी के घूर्णनकाल (24 घंटे) के बराबर समय में चक्कर पूरा करता है अतः ये उपग्रह पृथ्वी की सतह से एक स्थान पर दिखाई देते हैं ।
- Ex.- मौसम एवं दूरसंचार Communication उपग्रह।
- भू-स्थिर कक्षा / Geo-Stationary Orbit. (35786 Km से अधिक ऊंचाई पर)
- 35786 Km. से अधिक ऊँचाई की कक्षा, जो कि विषुवत् रेखा से कुछ कोण / Angle बनाती है।
- इस कक्षा में दूरसंचार उपग्रह स्थापित किए जाते हैं।
- इस कक्षा गति करते उपग्रह, पृथ्वी से स्थिर नहीं दिखते बल्कि 8 की आकृति / Sin wave बनाते हैं।
- इस कक्षा के उपग्रह की स्थिति की तुलना किसी Star या तारे की स्थिति से समझ सकते हैं।
*NOTE
सूर्य-तुल्यकाली कक्षा : (Sun-Synchronus Orbit) – ये एक प्रकार की LEO ही है, जिसमें चक्कर लगाता हुआ उपग्रह का निश्चित भाग हमेशा सूर्य के सामने रहता है। इस कक्षा में “रिमोट सेंसिंग सेटेलाइट्स को स्थापित करते है।
भू-स्थानांतरण कक्षा : Geo-transfer Orbit (GTO) – भू-तुल्यकाली या भू-स्थिर कक्षाओं में उपग्रह को स्थापित करने से पूर्व इन्हें “G70” में भेजते हैं, जहाँ से थ्रस्टर्स / बूस्टर्स के द्वारा ये निर्धारित कक्षा में पहुँचते हैं।
उपग्रह के विभिन्न भाग
- बस / Bus – इसमें उपग्रह के सभी भागों / Parts रखा जाता है। अर्थात् ये उपग्रह का वास्तविक ढाँचा है। इसे तापमान में होने वाले परिवर्तनों से बचाने हेतु “थर्मल शील्ड का प्रयोग करते हैं।
- पेलोड – इसमें विभिन्न प्रकार के उपकरण जैसे- कैमरा, सेंसर, रडार, टेलीस्कोप, स्पेक्ट्रोमीटर, फोटोमीटर, बेटरी आदि सम्मिलित है।
- Acs (ऊँचाई नियंत्रण केंद्र) – ये उपग्रह को हमेशा पृथ्वी की ओर निर्देशित रखता है। तथा उपग्रह की ऊँचाई / Altitude का नियंत्रण भी रखता है।
- पॉवर सिस्टम – सोलर पेनल्स की सहायता से उपकरणों को विद्युत ऊर्जा प्राप्त होती है।
5. टेलीमेट्री – ये उपग्रह के कक्षा में पहुँचने के बाद विभिन्न डाटा / आँकड़ों को पृथ्वी तक भेजते हैं।