एलजी वीके सक्सेना और सीएम अरविंद केजरीवाल
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दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने आपराधिक मामलों में जांच की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए गठित मौजूदा स्थायी समिति को भंग कर दिया। इस समिति को आप सरकार ने गठित किया था। इस समिति में स्थायी और अतिरिक्त स्थायी वकील को जगह दी गई थी। इन्हें समिति का अध्यक्ष और सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया। उपराज्यपाल कार्यालय के मुताबिक यह साल 2014 में सुप्रीम कोर्ट और केंद्र सरकार के निर्देशों का उल्लंघन है।
दरअसल, सर्वोच्च न्यायालय ने सात जनवरी 2014 को गुजरात राज्य बनाम किशन भाई के मामले में एक निर्देश दिया था। इसमें कहा गया था कि प्रत्येक राज्य का गृह विभाग पुलिस और अभियोजन विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों की एक स्थायी समिति का गठन करें। इन्हें जांच करने की जिम्मेदारी सौंपी जाए। यह आपराधिक मामले में बरी करने के सभी आदेश और प्रत्येक मामले में अभियोजन की विफलता का कारण दर्ज करेगा। आप सरकार ने इस आदेश की अवहेलना करते हुए स्थायी वकील और अतिरिक्त स्थायी वकील को इसमें जगह दी। इससे टकराव की स्थिति बनी जो सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का मूल उद्देश्य पूरा नहीं करता। इसे देखते हुए एलजी ने इस समिति को भंग करते हुए अतिरिक्त मुख्य सचिव – प्रमुख सचिव (गृह) को अध्यक्ष और प्रमुख सचिव (कानून), निदेशक (अभियोजन) और विशेष पुलिस आयुक्त को सदस्य बनाकर स्थायी समिति के पुनर्गठन को मंजूरी दी।
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