Notes in Hindi – Geography – भूगोल – ब्रह्माण्ड और सौरमंडल
Notes in Hindi - Geography - भूगोल - ब्रह्माण्ड और सौरमंडल
Geography in Hindi
भूगोल (Geography)
भूगोल-सामान्य जानकारी –
- भूगोल के नामकरण एवं इस विषय को प्राथमिक स्तर पर व्यवस्थित स्वरूप प्रदान करने का श्रय यूनान के निवासियों को जाता है ।
- हेकिटयस ने अपनी पुस्तक जस पीरियोडस अर्थात ‘ पृथ्वी का वर्णन ‘ में सर्वप्रथम भौगोलिक का तत्वों का क्रमबद्ध समावेश किया ।
- इरेटोस्थनीज ने भूगोल के लिए सर्वप्रथम ज्योफिका शब्द का प्रयोग किया ।
- एनेक्सीमिंडर प्रथम व्यक्ति या जिसने विश्व का मानचित्र मापक पर बनाया ।
- अध्ययन के लिए स्वतंत्र विषय के रूप में भूगोल को 19 वीं शताब्दी में ही मान्यता मिली । 20 वीं शताब्दी के आरंभ में भूगोल मनुष्य और पर्यावरण के पारस्परिक संबंधों के अध्ययन के रूप में विकसित हुआ । इसकी दो विचारधाराएँ थीं – 1 . संभववाद 2. निश्चयवाद
- संभववाद : इसके अनुसार मनुष्य अपने पर्यावरण में परिवर्तन करने में समर्थ है तथा वह प्रकृति प्रदत्त अनेक संभावनाओं को अपनी इच्छा के अनुसार उपयोग कर सकता है । इस विचारधारा के समर्थक हैं भूगोलवेत्ता – वाइडल – डि – ला बलाश और फैवरे ।
- निश्चयवाद : इसके अनुसार मनुष्य के सारे काम पर्यावरण द्वारा निर्धारित होते हैं , अतः मनुष्य को स्वेच्छापूर्वक कुछ करने की स्वतंत्रता कम है । इस विचारधारा के प्रमुख समर्थक हैं – भूगोलवेत्ता रिटर , रैटजेल ( नवीन निश्चयवाद का संस्थापक ) , एलन सेम्पुल और हंटिंगटन ।
भूगोल की कुछ परिभाषाएँ
- ‘ भूगोल एक ऐसा स्वतंत्र विषय है , जिसका उद्देश्य लोगों को विश्व , आकाशीय पिंडों , स्थल , महासागरों , जीव जन्तुओं , वनस्पति , फलों तथा भू – धरातल के क्षेत्रों में देखी जाने वाली प्रत्येक अन्य वस्तु का ज्ञान प्राप्त कराना है ।’- स्ट्रैयो ।
- ‘ भूगोल पृथ्वी की झलक को स्वर्ग में देखने वाला आभामय विज्ञान है । ‘ कलैडियस , टॉलमी ।
- ‘ भूगोल वह विज्ञान है , जिसमें पृथ्वी को स्वतंत्र ग्रह के रूप में मान्यता देते हुए उसके समस्त लक्षणों , घटनाओं एवं उसके अन्तःसम्बन्ध का अध्ययन किया जाता है ।’- कार्ल रिटर ।
- भूगोल में पृथ्वी के उस भाग का अध्ययन किया जाता है , जो मानव के रहने का स्थान है ।’- आर्थर होम्स ।
Notes in Hindi – Geography – भूगोल – ब्रह्माण्ड और सौरमंडल
1. ब्रह्माण्ड
- अस्तित्वमान द्रव्य एवं ऊर्जा के सम्मिलित रूप को ब्रह्माण्ड कहते हैं ।
- ब्रह्माण्ड के अन्तर्गत उन सभी आकाशीय पिंडों एवं उल्काओं तया समस्त सौर परिवार , जिसमें सूर्य , चन्द्र , आदि भी सम्मिलित हैं , का अध्ययन किया जाता है ।
- ब्रह्माण्ड उस अनंत आकाश को कहते हैं , जिसमें अनंत तारे , ग्रह , चन्द्रमा एवं अन्य आकाशीय पिण्ड स्थित हैं ।
- आधुनिक विचारधारा के अनुसार ब्रह्माण्ड के दो भाग हैं 1. वायुमंडल और 2. अंतरिक्ष
- सामान्य स्थिति सिद्धान्त : इस सिद्धान्त के प्रतिपादक बेल्जियम के खगोलविद एवं पादरी ऐब जॉर्ज लेमेण्टर थे।
- महा – विस्फोट सिद्धान्त ( Big – Bang Theory ) :यह सिद्धान्त दो सिद्धान्तों पर आधारित है ( i ) निरन्तर उत्पत्ति का सिद्धान्त : इसके प्रतिपादक गोल्ड और हरमैन बॉण्डी थे । ( ii ) संकुचन विमोचन का सिद्धान्त : डॉ ० ऐलन सैण्डेज इसके प्रतिपादक थे ।
मंदाकिनी :-
- तारों का ऐसा समूह , जो धुंधला – सा दिखाई पड़ता है तथा जो तारा – निर्माण प्रक्रिया की शुरुआत का गैसपुंज है , मंदाकिनी ( galaxy ) कहलाता है । ब्रह्माण्ड करोड़ों मंदाकिनियों का बना है । हमारी पृथ्वी की अपनी एक मंदाकिनी है , जिसे दुग्धमेखला या आकाशगंगा ( Milky way ) कहते हैं । अब तक ज्ञात इस मंदाकिनी का 80 % भाग सर्पिला ( sprial ) है । इस मंदाकिनी को सबसे पहले गैलिलियों ने देखा था ।
- अकाशगंगा की सबसे नजदीकी मंदाकिनी को देवयानी ( Andromeda ) नाम दिया गया है ।
- नवीनतम ज्ञात मंदाकिनी ( Galaxy ) है – इवार्फ मंदाकिनी
Notes in Hindi – Geography – भूगोल – ब्रह्माण्ड और सौरमंडल
2. सौरमंडल
सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाने वाले विभिन्न ग्रहों , क्षुद्रग्रहों , धूमकेतुओं , उल्काओं तथा अन्य आकाशीय पिडों के समूह को सौरमंडल ( Solar system ) कहते हैं । सौरमंडल में सूर्य का प्रभुत्व है , क्योंकि सौरमंडल निकाय के द्रव्य का लगभग 99.999 द्रव्य सूर्य में निहित है । सौरमंडल के समस्त ऊर्जा का स्रोत भी सूर्य ही है ।
सूर्य (Sun) –
- सूर्य ( Sun ) सौरमंडल का प्रधान है । यह हमारी मंदाकिनी दुग्धमेखला के केन्द्र से लगभग 30,000 प्रकाश वर्ष की दूरी पर एक कोने में स्थित है ।
- यह दुग्धमेखला मंदाकिनी के केन्द्र के चारों और 250 किमी / से ० की गति से परिक्रमा कर रहा हैं । इसका परिक्रमण काल ( दुग्धमेखला के केन्द्र के चारों ओर एक बार धूमने में लगा समय ) 25 करोड़ वर्ष है , जिसे ब्रह्मांड वर्ष ( Cosmos year ) कहते हैं ।
- सूर्य अपने अक्ष पर पूर्व से पश्चिम की ओर घूमता है । इसका मध्य भाग 25 दिनों व ध्रुवीय भाग 35 दिनों में एक धूर्णन करता है ।
- सूर्य एक गैसीय गोला है जिसमें हाइड्रोजन 71 % हीलियम 26.5 % एवं अन्य तत्व 2.5 % होता है ।
- सूर्य का केन्द्रीय भाग क्रोड ( Core ) कहलाता है , जिसका ताप 15 लाख ° C होता है तथा सूर्य के बाहरी सतह का तापमान 6000 ° C है |
- हैंस वेथ ( Hans Bethe ) ने बताया कि 10 लाख ° C ताप पर सूर्य के केन्द्र पर चार हाइड्रोजन नाभिक मिलकर एक हीलियम नाभिक का निर्माण करता है । अर्थात् सूर्य के केन्द्र पर नाभिकीय संलयन होता है जो सूर्य की ऊर्जा का स्रोत है ।
- सूर्य की दीप्तिमान सतह को प्रकाश – मंडल ( Photosphere ) कहते हैं । प्रकाश – मंडल के किनारे प्रकाशमान नहीं होते , क्योंकि सूर्य का वायुमंडल प्रकाश का अवशोषण कर लेता है । इसे वर्णमंडल ( Chromosphere ) कहते हैं । यह लाल रंग का होता है ।
सूर्य – ग्रहण के समय सूर्य के दिखाई देनेवाले भाग को सूर्य किरीट ( Corona ) कहते हैं । सूर्य – किरीट x – ray उत्सर्जित करता है । इसे सूर्य का मुकुट कहा जाता है । पूर्ण सूर्य – ग्रहण के समय सूर्य किरीट से प्रकाश की प्राप्ति होती है ।
भविष्य में सूर्य द्वारा ऊर्जा देते रहने का समय 10 अरब वर्ष है ।
सूर्य की उम्र -5 बिलियन वर्ष है ।
सूर्य के प्रकाश को पृथ्वी तक पहुँचने में 8 मिनट 16-6 सेकेण्ड समय लगता है ।
सौर ज्वाला को उत्तरी ध्रुव पर औरोरा बोरियलिस और दक्षिणी ध्रुव पर औरोरा ऑस्ट्रेलिम कहते हैं ।
सूर्य के धब्बे ( चलते हुए गैसों के खोल ) का तापमान आसपास के तापमान से 1500 ° C कम होता है । सूर्य के धब्यों का एक पूरा चक्र 22 वर्षों का होता है पहले 11 वर्षों तक यह धब्बा बढ़ता है और बाद के 11 वर्षो तक यह धब्या घटता है ।
जब सूर्य की सतह पर धब्या दिखलाई पड़ता है , उस समय पृथ्वी पर चुम्बकीय झंझावत ( Magnetic Storms ) उत्पन्न होते हैं । इससे चुम्बकीय सुई की दिशा बदल जाती है एवं रेडियो , टेलीविजन , बिजली चालित मशीन आदि में गड़बड़ी उत्पन्न हो जाती है ।
सूर्य का व्यास 13 लाख 92 हजार किमी है , जो पृथ्वी के व्यास का लगभग 110 गुना है ।
सूर्य हमारी पृथ्वी से 13 लाख गुना बड़ा है , और पृथ्वी को सूर्यताप का 2 अरबवा भाग मिलता है ।
Notes in Hindi – Geography – भूगोल – ब्रह्माण्ड और सौरमंडल