Notes in Hindi for Competitive Exams–Indian Histroy-भाग-14-मौर्य साम्राज्य
Notes in Hindi – Indian Histroy - प्राचीन भारत - मौर्य साम्राज्य
Notes in Hindi – Indian Histroy – प्राचीन भारत – मौर्य साम्राज्य
Notes in Hindi – Indian Histroy – प्राचीन भारत – मौर्य साम्राज्य
History in Hindi
प्राचीन भारत (Ancient India)
मौर्य साम्राज्य
Notes in Hindi – Indian Histroy – प्राचीन भारत – मौर्य साम्राज्य
- मौर्य वंश का संस्थापक चन्द्रगुप्त मौर्य था ।
- चन्द्रगुप्त मौर्य का जन्म 345 ई ० पू ० में हुआ था ।
- घनानंद को हराने में चाणक्य ने चन्द्रगुप्त मौर्य की मदद की थी , जो बाद में चन्द्रगुप्त का प्रधानमंत्री बना ।
- चाणक्य ( कौटिल्य / विष्णुगुप्त ) द्वारा लिखित पुस्तक है अर्थशास्त्र है , जिसका संबंध राजनीति से है ।
- चन्द्रगुप्त मगध की राजगद्दी पर 322 ई ० पू ० में बैठा ।
- चन्द्रगुप्त जैनधर्म का अनुयायी था ।
- चन्द्रगुप्त ने अपना अंतिम समय कर्नाटक के श्रवणबेलगोला नामक स्थान पर बिताया ।
- चन्द्रगुप्त ने 305 ई ० पू ० में सेल्यूकस निकेटर को हराया ।
- सेल्यूकस निकेटर ने अपनी पुत्री कार्नेलिया की शादी चन्द्रगुप्त मौर्य के साथ कर दी और युद्ध की संधि शर्तों के अनुसार चार प्रांत काबुल , कन्धार , हेरात एवं मकरान चन्द्रगुप्त को दिए ।
- चन्द्रगुप्त मौर्य ने जैनी गुरु भद्रबाहु से जैनधर्म की दीक्षा ली थी ।
- मेगास्थनीज सेल्यूकस निकेटर का राजदूत था , जो चन्द्रगुप्त के दरबार में रहता था ।
- मेगास्थनीज द्वारा लिखी गयी पुस्तक इंडिका है ।
- चन्द्रगुप्त मौर्य और सेल्यूकस के बीच हुए युद्ध का वर्णन एप्पिायानस ने किया है ।
- प्लूटार्क के अनुसार चन्द्रगुप्त ने सेल्यूकस को 500 हाथी उपहार में दिए थे ।
- चन्द्रगुप्त मौर्य की मृत्यु 298 ई ० पू ० में श्रवणबेलगोला में उपवास द्वारा हुई ।
बिन्दुसार
- चन्द्रगुप्त मौर्य का उत्तराधिकारी बिन्दुसार हुआ , जो 298 ई ० पू ० में मगध की राजगद्दी पर बैठा ।
- अमित्रघात के नाम से बिन्दुसार जाना जाता है । अमित्रघात का अर्थ है – शत्रु विनाशक ।
- बिन्दुसार आजीवक सम्प्रदाय का अनुयायी था ।
- ‘ वायुपुराण ‘ में बिन्दुसार को भद्रसार ( या वारिसार ) कहा गया है ।
- स्ट्रैबो के अनुसार सीरियन नरेश एण्टियोकस ने बिन्दुसार के दरबार में डाइमेकस नामक राजदूत भेजा । इसे ही मेगास्थनीज का उत्तराधिकारी माना जाता है ।
- जैन ग्रंथों में बिन्दुसार को सिंहसेन कहा गया है ।
- बिन्दुसार के शासनकाल में तक्षशिला में हुए दो विद्रोहों का वर्णन है । इस विद्रोह को दबाने के लिए बिन्दुसार ने पहले सुसीम को और बाद में अशोक को भेजा ।
- एथीनियस के अनुसार बिन्दुसार ने सीरिया के शासक एण्टिवोकस -1 से मदिरा , सूखे अंजीर एवं एक दार्शनिक भेजने की प्रार्थना की थी ।
- बौद्ध विद्वान् तारानाथ ने बिन्दुसार को 16 राज्यों का विजेता बताया है ।
अशोक महान
- बिन्दुसार का उत्तराधिकारी अशोक महान हुआ जो 269 ई ० पू ० में मगध की राजगद्दी पर बैठा ।
- राजगद्दी पर बैठने के समय अशोक अवन्ती का राज्यपाल था ।
- मास्की एवं गुर्जरा अभिलेख में अशोक का नाम अशोक मिलता है ।
- पुराणों में अशोक को अशोकवर्धन कहा गया है ।
- अशोक ने अपने अभिषेक के आठवें वर्ष लगभग 261 ई ० पू ० में कलिंग पर आक्रमण किया और कलिंग की राजधानी तोसली पर अधिकार कर लिया ।
- ” प्लिनी का कथन है कि मिस्र का राजा फिलाडेल्फस [ टॉलमी ॥ ] ने पाटलिपुत्र में डियानीसियस नाम का एक राजदूत भेजा था । ( अशोक के दरबार में ) |
- उपगुप्त नामक बौद्ध भिक्षु ने अशोक को बौद्ध धर्म की दीक्षा दी ।
- अशोक ने आजीवकों को रहने हेतु बराबर की पहाड़ियों में चार गुफाओं का निर्माण करवाया , जिनका नाम कर्ज , चोपार , सुदामा तथा विश्व झोपड़ी था ।
नोटः अशोक के पौत्र दशरथ ने आजीविकों को नागार्जुन गुफा प्रदान की थी ।
- अशोक की माता का नाम सुभद्रांगी था ।
- अशोक ने बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए अपने पुत्र महेन्द्र एवं पुत्री संघमित्रा को श्रीलंका भेजा ।
- भारत में शिलालेख का प्रचलन सर्वप्रथम अशोक ने किया ।
- अशोक के शिलालेखों में ब्राह्मी , खरोष्ठी , ग्रीक एवं अरमाइक लिपि का प्रयोग हुआ है ।
- ग्रीक एवं अरमाइक लिपि का अभिलेख अफगानिस्तान से , खरोष्ठी लिपि का अभिलेख उत्तर पश्चिम पाकिस्तान से और शेष भारत से ब्राह्मी लिपि के अभिलेख मिले हैं ।
- अशोक के अभिलेखों को तीन भागों में बाँटा जा सकता है
( i ) शिलालेख , ( ii ) स्तम्भलेख तथा ( iii ) गुहालेख ।
- अशोक के शिलालेख की खोज 1750 ई ० में पाद्रेटी फेन्थैलर ने की थी । इनकी संख्या -14 है ।
- अशोक के अभिलेख पढ़ने में सबसे पहली सफलता 1837 ई ० में जेम्स प्रिसेप को हुई ।
Notes in Hindi – Indian Histroy – प्राचीन भारत – मौर्य साम्राज्य
अशोक के प्रमुख शिलालेख एवं उनमें वर्णित विषय | |||||||
पहला शिलालेख | इसमें पशुबलि की निंदा की गयी है । | ||||||
दूसरा शिलालेख | इसमें अशोक ने मनुष्य एवं पशु दोनों की चिकित्सा – व्यवस्था का उल्लेख किया है । | ||||||
तीसरा शिलालेख | इसमें राजकीय अधिकारियों को यह आदेश दिया गया है कि वे हर पाँचवें वर्ष के उपरान्त दौरे पर जाएँ । इस शिलालेख में कुछ धार्मिक नियमों का भी उल्लेख किया गया है । | ||||||
चौथा शिलालेख | इस अभिलेख में भेरीघोष की जगह धम्मघोष की घोषणा की गयी है । | ||||||
पाँचवाँ शिलालेख | इस शिलालेख में धर्म – महामात्रों की नियुक्ति के विषय में जानकारी मिलती है ।। | ||||||
छठा शिलालेख | इसमें आत्म – नियंत्रण की शिक्षा दी गयी है । | ||||||
सातवाँ एवं आठवाँ शिलालेख | इनमें अशोक की तीर्थ – यात्राओं का उल्लेख किया गया है । | ||||||
नौवाँ शिलालेख | इसमें सच्ची भेंट तथा सच्चे शिष्टाचार का उल्लेख किया गया है । | ||||||
दसवाँ शिलालेख | इसमें अशोक ने आदेश दिया है कि राजा तथा उच्च अधिकारी हमेशा प्रजा के हित में सोचें । | ||||||
ग्यारहवाँ शिलालेख | इसमें धम्म की व्याख्या की गयी है । | ||||||
बारहवाँ शिलालेख | इसमें स्त्री महामात्रों की नियुक्ति एवं सभी प्रकार के विचारों के सम्मान की बात कही गयी है । | ||||||
तेहरवाँ शिलालेख | इसमें कलिंग युद्ध का वर्णन एवं अशोक के हृदय – परिवर्तन की बात कही गयी है । इसी में पड़ोसी राजाओं का वर्णन है । | ||||||
चौदहवाँ शिलालेख | अशोक ने जनता को धार्मिक जीवन बिताने के लिए प्रेरित किया । | ||||||
- अशोक के स्तम्भ – लेखों की संख्या 7 है , जो केवल ब्राह्मी लिपि में लिखी गयी है । यह अलग – अलग स्थानों से प्राप्त हुआ है:-
- ( 1 ) प्रयाग स्तम्भ – लेख : यह पहले कौशाम्बी में स्थित था । इस स्तम्भ लेख को अकबर ने इलाहाबाद के किले में स्थापित कराया ।
- ( 2 ) दिल्ली टोपरा : यह स्तम्भ – लेख फिरोजशाह तुगलक के द्वारा टोपरा से दिल्ली लाया गया ।
- ( 3 ) दिल्ली – मेरठ : पहले मेरठ में स्थित यह स्तम्भ – लेख फिरोजशाह द्वारा दिल्ली लाया गया है ।
- ( 4 ) रामपुरवा : यह स्तम्भ – लेख चम्पारण ( बिहार ) में स्थापित है । इसकी खोज 1872 ई ० कारलायल ने की ।
- ( 5 ) लौरिया अरेराज : चम्पारण ( बिहार ) में ।
- ( 6 ) लौरिया नन्दनगढ़ : चम्पारण ( बिहार ) में इस स्तम्भ पर मोर का चित्र बना है ।
- कौशाम्बी अभिलेख को ‘ रानी का अभिलेख ‘ कहा जाता है ।
- अशोक का सबसे छोटा स्तम्भ – लेख रुम्मिदेई है । इसी में लुम्बिनी में धम्म यात्रा के दौरान अशोक द्वारा भूराजस्व की दर घटा देने की घोषणा की गयी है ।
- अशोक का 7वाँ अभिलेख सबसे लम्बा है ।
- प्रथम पृथक् शिलालेख में यह घोषणा है कि सभी मनुष्य मेरे बच्चे हैं ।
- अशोक का शार – ए – कुना ( कंदहार ) अभिलेख ग्रीक एवं आर्मेइक भाषाओं में प्राप्त हुआ है ।
- साम्राज्य में मुख्यमंत्री एवं पुरोहित की नियुक्ति के पूर्व इनके चरित्र को काफी जाँचा – परखा जाता था, जिसे उपधा परीक्षण कहा जाता था ।
- सम्राट् की सहायता के लिए एक मंत्रिपरिषद् होती थी जिसमें सदस्यों की संख्या 12 , 16 या 20 हुआ करती थी ।
- अर्थशास्त्र में शीर्षस्थ अधिकारी के रूप में तीर्थ का उल्लेख मिलता है , जिसे महामात्र भी कहा जाता था । इसकी संख्या 18 थी । अर्थशास्त्र में चर जासुस को कहा गया है ।
- अशोक के समय मौर्य साम्राज्य में प्रांतों की संख्या 5 थी । प्रांतों को चक्र कहा जाता था ।
- प्रांतों के प्रशासक कुमार या आर्यपुत्र या राष्ट्रिक कहलाते थे ।
- प्रांतों का विभाजन विषय में किया गया था , जो विषयपति के अधीन होते थे |
- प्रशासन की सबसे छोटी इकाई ग्राम थी , जिसका मुखिया ग्रामीक कहलाता था ।
- प्रशासको में सबसे छोटा गोप था , जो दस ग्रामों का शासन सँभालता था ।
- मेगास्थनीज के अनुसार नगर का प्रशासन 30 सदस्यों का एक मंडल करता था । जो 6 समितियों में विभाजित था । प्रत्येक समिति में 5 सदस्य होते थे ।
Notes in Hindi – Indian Histroy – प्राचीन भारत – मौर्य साम्राज्य
अर्थशास्त्र में वर्णित तीर्थ
- उत्तरापथ – तक्षशिला
- अवन्ति राष्ट्र – उज्जयिनी कलिंग – तोसली
- दक्षिणापथ – सुवर्णागिरी प्राशी ( पूर्वी प्रांत ) – पाटलिपुत्र
- बिक्री कर के रूप में मूल्य का 10 वाँ भाग वसूला जाता था , इसे बचाने वालों को मृत्युदंड दिया जाता था ।
- मेगास्थनीज के अनुसार एग्रोनोमाई मार्ग निर्माण अधिकारी था ।
- जस्टिन के अनुसार चन्द्रगुप्त मौर्य की सेना में लगभग 50,000 अश्वारोही सैनिक , 9000 हाथी एवं 8000 रथ थे ।
- प्लूटार्क/जस्टिन के अनुसार चन्द्रगुप्त ने नंदों की पैदल सेना से तीन गुनी अधिक संख्या में अर्थात् 60,000 आदमियों को लेकर सम्पूर्ण उत्तर – भारत को रौंद डाला था ।
- युद्ध – क्षेत्र में सेना का नेतृत्व करनेवाला अधिकारी नायक कहलाता था ।
- सैन्य विभाग का सबसे बड़ा अधिकारी सेनापति होता था ।
- मेगास्थनीज के अनुसार मौर्य सेना का रखरखाव 5 सदस्यीय , छह समितियाँ करती थीं
- मौर्य प्रशासन में गुप्तचर विभाग महामात्य सर्प नामक अमात्य के अधीन था ।
- अर्थशास्त्र में गुप्तचर को गूढ पुरुष कहा गया है । तथा एक ही स्थान पर रहकर कार्य करनेवाले गुप्तचर को संस्था कहा जाता था ।
- एक स्थान से दूसरे स्थान पर भ्रमण करके कार्य करनेवाले गुप्तचर को संचार कहा जाता था ।
- अशोक के समय जनपदीय न्यायालय के न्यायाधीश को राजुक कहा जाता था ।
- सरकारी भूमि को सीता भूमि कहा जाता था ।
- बिना वर्षा के अच्छी खेती होनेवाली भूमि को अदेवमातृक कहा जाता था ।
- मेगास्थनीज ने भारतीय समाज को सात वर्गों में विभाजित किया है— ( 1 ) दार्शनिक , ( 2 ) किसान , ( 3 ) अहीर , ( 4 ) कारीगर , ( 5 ) सैनिक , ( 6 ) निरीक्षक एवं ( 7 ) सभासद ।
- स्वतंत्र वेश्यावृत्ति को अपनाने वाली महिला रूपाजीवा कहलाती थी ।
- नंद वंश के विनाश करने में चन्द्रगुप्त मौर्य ने कश्मीर के राजा पर्वतक से सहायता प्राप्त की थी ।
- मौर्य शासन 137 वर्षों तक रहा ।
- मौर्य वंश का अंतिम शासक बृहद्रथ था । इसकी हत्या इसके सेनापति पुष्यमित्र शुंग ने 185 ई ० पू ० में कर दी और मगध पर शुंग वंश की नींव डाली |