Science and Technology – Bio Technology Notes
Science and Technology – Bio Technology Notes
Science and Technology – Bio Technology Notes
जैव-प्रौद्योगिकी Bio-Technology
काले इर्के – इन्होंने पॉल्ट्री फॉर्म में सुअर – उत्पादन बढ़ाने के लिए सर्वप्रथम जैव प्रौद्योगिकी” शब्द दिया।
- जैव प्रौद्योगिकी में किसी सूक्ष्मजीव (Microorganism), जंतु या पादप (Plant) कोशिका के किसी उत्पाद (Product) / एंजाइम की सहायता से मनुष्य के लिए उपयोगी वस्तुओं/दवाओं/ खाद्य पदार्थों का उत्पादन किया जाता है।
- परंपरागत / Traditional बायोटेक्नॉलॉजी में खाद्य-उत्पादन में वृद्धि, दवाओं ( एंटिबायोटिक्स) का निर्माण, शराब निर्माण पर फोकस किया जाता था।
- 1970 के बाद से आधुनिक / Modern बायोटेक्नोलॉजी में अब जीवों के आनुवांशिक पदार्थ अर्थात् DNA में परिवर्तन करते हुए मानव उपयोगी वस्तुओं/पदार्थों एवं वैक्सीन का निर्माण किया जाने लगा।
- जैसे आनुवांशिक तथा रुपांतरित फसलों व जंतुओं का उत्पादन, जेनेटिक इंजीनियरिंग के द्वारा वैक्सीन निर्माण।
- आधुनिक बायोटेक्नोलॉजी, जिसके अंतर्गत DNA में परिवर्तन किया जाता है इसके लिए 2 प्रमुख संरचनाएँ उत्तरदायी हैं :
- रेस्ट्रिक्शन एंडोन्यूक्लियेज (प्रतिबंधित एंजाइम / आण्विक कैंचियाँ / चाकू –
- ये जीवाणुओं / बैक्टीरिया में पाए जाते हैं ।
- इनकी खोज: आर्बर, नाथन एवं स्मिथ ने की।
- ये DNA को विशेष स्थानों पर काटते हैं।
- प्लाज्मिड / Plasmid
- ये भी जीवाणुओं में पाया जाने वाला वृत्ताकार (Circular) DNA है।
- खोज – विलियम हेस एवं जोशुआ लेडरबर्ग ।
- EFB (यूरोपीयन फेडरेशन ऑफ़ बायोटेक्नोलॉजी) के अनुसार जैव-प्रौद्योगिकी में माइक्रोबायलॉजी, बायोकेमेस्ट्रिी तथा इंजीनियरिंग की सहायता से मानव उपयोगी वस्तुओं एवं सेवाओं का उत्पादन किया जाता है।
- 1972 में “पॉल बर्ग” ने सबसे पहले जीवाणुभोजी वायरस की सहायता से बैक्टीरिया में SV-40 नामक जीन को प्रवेश कराया। पॉल बर्ग को ही ‘जेनेटिक इंजीनिर्वारंग के पिता’ कहते हैं।
- हरबर्ट बोयर एवं स्टेनले कोहेन ने सर्वप्रथम “पुनर्योजी DNA/Recombinant DNA का निर्माण किया।
जैव प्रौद्योगिकी के चरण Steps in Biotechnology
जैव प्रौद्योगिकी के चरण Steps in Biotechnology
- सर्वप्रथम वांछित DNA की प्राप्ति ।
- वांछित DNA की क्लोनिंग ।
- जीव / कोशिका में DNA का स्थानांतरण।
जैव-प्रौद्योगिकी के उपकरण (Tools)
- एंजाइम्स
- प्लाज्मिड
- लक्ष्य कोशिका Target coll
एंजाइम्स
विभिन्न प्रकार के एंजाइम्स की सहायता से वांछित DNH प्राप्त किया जाता है। ये एंजाइम इस प्रकार हैं:
- A) लाइसिंग / लयनकारी एंजाइम – ये कोशिका व केंद्रक के आवरणों/coverings को हटाने का कार्य करते हैं। जैसे:सेल्युलेज, काईटिनेन आदि।
- B) न्यूक्लियेज एंजाइम्स – ये DNA को काटने का कार्य करते हैं।
(i) एक्सोन्यूक्लियेज : ये DNA के तंतु के सिरों को काटता है।
(ii) एण्डोन्यूक्लियेज : ये DNA के तंतु को बीच में से काटता है ।
(iii) रेस्ट्रिक्शन एण्डोन्यूक्लियेज ( रेस्ट्रिक्शन एंडोन्यूक्लियेज – R.E.) :
- खोज: आर्बर, नाथन एवं स्मिथ ।
- ये एंजाइम्स DNA के दोनों तंतुओं/ Strands को निश्चित स्थान पर काटते हैं।
- बायोटेक्नोलॉजी में “R.E. Type-II” का प्रयोग किया जाता है क्योंकि ये ATP (ऊर्जा) की अनुपस्थिति में भी केवल Mg+2 आयन्स के द्वारा सक्रिय हो जाता है।
- R.E. DNA को “पैलिन्ड्रॉमिक क्रम” में काटता है।
——-> MADAM <—— | G A A T T C | E Co RI E Co – बैक्टीरिया का नाम ऐशरिचिया कोलाई (E.coli) R – बैक्टीरिया का प्रभेद (Strain) I- वह कृम जिस पर ये R.E. प्राप्त किया गया था |
| C T T A A G |
R.E. एंजाइम केवल प्रोकेरियोटिक cells से ही प्राप्त होते हैं।
जेल इलेक्ट्रोफोरेसिस विधि
जेल इलेक्ट्रोफोरेसिस विधि –
- DNA के कटे भागों में से छोटे वांछित टुकड़े पृथक करने के लिए जेल इलेक्ट्रोफोरेसिस विधि का प्रयोग करते हैं।
- इस विधि में DNA के टुकड़ों को संवर्धन माध्यम (एगारोज़ जैल) पर रख कर बाह्य विद्युत क्षेत्र में रखते हैं। चूंकि DNA ऋणावेशित अणु है अतः DNA के टुकड़े धनार्वोशत प्लेट (एनोड) की गति करते हैं। बड़े आकार के टुकड़े भारी होते हैं अतः ये कम दूरी तय कर पाते हैं जबकि छोटे टुकड़े हल्के होने के कारण एनोड को ज्यादा पास पाए जाते हैं।
- DNA के खंडों को देखने हेतु हेतु इन न पर “इथिडीयम ब्रोमाइड” डालते हैतथा इन पर UV-Rays डालने पर ये ऑरेंज रंग के के दिखाई देते हैं ।
- इन टुकड़ों को संवर्धन माध्यम से पृथक कर लेते हैं, जिसे “इलुशन/प्रक्षालन” कहते हैं ।